शिमला: गुरुवार के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है. गुरुवार का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत रखने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. माना जाता है कि गुरुवार के दिन व्रत करने व कथा सुनने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. ग्रंथों में उल्लेख है कि अगर व्रत के दिन नियमों का पालन न किया जाए, तो भगवान श्री हरि विष्णु नाराज भी हो जाते हैं. ऐसे में इन चीजों का हमेशा ध्यान रखें.
कब और कैसे रखें गुरुवार का व्रत: भगवान विष्णु संग देवगुरु बृहस्पति की कृपा दिलाने वाले गुरुवार व्रत को आप किसी मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले पहले गुरुवार से शुरु कर सकते हैं. इस अत्यंत ही पुण्यदायी व्रत को आप कम से कम 16 गुरुवार अथवा जब तक आपकी सेहत साथ दे तक कर सकते हैं.
गुरुवार व्रत की पूजा विधि: भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति से मनचाहा वरदान दिलाने वाले गुरुवार व्रत को करने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले स्नान-ध्यान करके सबसे पहले उगते हुए सूर्य नारायण को जल देना चाहिए. इसके बाद गुरुवार व्रत का संकल्प करके भगवान विष्णु और देवगुरू बृहस्पति की पीले पुष्प, पीले फल, पीले नैवेद्य आदि को अर्पित करना चाहिए. गुरुवार व्रत की पूजा में शुद्ध घी के दीया जलाकर श्रद्धा और विश्वास के साथ बृहस्पतिवार व्रत की कथा कहनी चाहिए.
गुरुवार व्रत की पूजा का उपाय: गुरुवार व्रत का शुभ फल पाने के लिए व्रत वाले दिन व्यक्ति को तन और मन से पवित्र रहते हुए चंदन अथवा तुलसी की माला से देवगुरु बृहस्पति के मंत्र 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः‘ अथवा ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः' का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए.
गुरुवार के व्रत के लाभ: हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन रखा जाने वाला व्रत जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु और और देवगुरु बृहस्पति की कृपा बरसाने वाला माना गया है. मान्यता है कि गुरुवार का व्रत रखने पर साधक को जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. उसे कदम-कदम पर सुख-सौभाग्य और मान-सम्मान मिलता है. साथ ही साथ साधक को पीले वस्त्रों का प्रयोग करते हुए हल्दी या केसर का तिलक धारण करना चाहिए.
गुरुवार व्रत की विधि (Guruvar Vrat Vidhi In Hindi): गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करें. इसके बाद पूजा घर या केले के पेड़ की नीचे भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा या फोटो रखकर उन्हें प्रणाम करें. कोई नया छोटा सा पीला वस्त्र भगवान को अर्पित करें. हाथ में चावल और पवित्र जल लेकर व्रत का संकल्प लें. एक लोटे में पानी और हल्दी डालकर पूजा के स्थान पर रखें. भगवान को गुड़ और धुली चने की दाल का भोग लगाएं. गुरुवार व्रत की कथा का पाठ करें. पूजा-पाठ व आरती करें. भगवान को प्रणाम करें और हल्दी वाला पानी केले की जड़ या किसी अन्य पौधे की जड़ों में डालें.
गुरुवार के दिन व्रत के समय रखें इन बातों का ध्यान (Bhagwan Vishnu Vrat Niyam): अगर आप पहली बार गुरुवार का व्रत रखने जा रहे हैं तो आपको उस गुरुवार का चयन करना चाहिए, जिस दिन पुष्य नक्षत्र हो. अगर ये संभव न हो पाये तो किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से यह व्रत की शुरुआत कर सकते हैं. इस बात का ख्याल रखें कि जब भी व्रत प्रारंभ करने जा रहे हो, तो उस दौरान पौष माह न हो.
अगर आप गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो उस दिन केले का सेवन भूलकर भी न करें. हिंदू धर्म के अनुसार, केले के पेड़ में भगवान श्री हरि विष्णु का वास माना जाता है, इसलिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ पर जल अर्पित करें. उसका विधि-विधान से पूजन करें. अगर हो सके तो गुरुवार के दिन उड़द की दाल व चावल के सेवन से परहेज करना चाहिए.
वहीं, माना जाता है कि गुरुवार के दिन दाढ़ी, बाल, नाखून नहीं कटवाने चाहिए. इसके साथ ही इस दिन कपड़े धोने व सिर धोने आदि की भी मनाही होती है. पूजा के दौरान पीले कपड़े पहनने की कोशिश करें. पीले फल और पीले फूल भगवान श्री हरि विष्णु और गुरु बृहस्पति को बेहद प्रिय हैं, इसलिए पूजा के दौरान ये चीजें जरूर अर्पित करें. जिस प्रकार से 16 सोमवार का व्रत रखा जाता है, ठीक उसी प्रकार 16 गुरुवार को भी व्रत रखे जाते हैं.
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