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आपदा प्रबंधन में हिमाचल को मॉडल स्टेट बनाने की कोशिश करें अधिकारी: राज्यपाल - आपदा प्रबंधन पर राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर

राज्यपाल ने प्रदेश (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) में बार-बार होने वाले भूस्खलन के कारण जानमाल के नुकसान के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए नुकसान को कम करने के लिए वैज्ञानिक व इंजीनियरिंग से सम्बन्धित समाधानों का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने सोमवार को प्रदेश में लगातार हो रहे भूस्खलन (Landslide in Himachal) और इसके प्रभावों को कम करने के लिए विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल माध्यम से एक बैठक की. इस दौरा उन्होंने कहा कि अधिकारी आपदा प्रबंधन में हिमाचल को मॉडल स्टेट बनाने की कोशिश करें.

Governor Rajendra Vishwanath Arlekar.
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर.
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Published : Jan 17, 2022, 9:23 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 6:35 AM IST

शिमला: राज्यपाल ने प्रदेश (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) में बार-बार होने वाले भूस्खलन के कारण जानमाल के नुकसान के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए नुकसान को कम करने के लिए वैज्ञानिक व इंजीनियरिंग से सम्बन्धित समाधानों का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रहे भूस्खलन (Landslide in Himachal) और इसके प्रभावों को कम करने के लिए विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल माध्यम से एक बैठक की.

इस दौरान उन्होंने विशेषज्ञों और अधिकारियों से हिमाचल प्रदेश को भूस्खलन आपदा प्रबंधन के (Disaster management in Himachal) सम्बन्ध में आदर्श राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए एक समय सीमा के अंदर समग्र समाधान प्रदान करने की बात कही. राज्यपाल ने कहा कि भूस्खलन के खतरों के अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए और क्षेत्र का पता लगाने के पश्चात जोखिम का आकलन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कार्य बल को भू-वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग मापदंडों पर काम करना चाहिए. राज्यपाल ने भूस्खलन (Governor Rajendra Arlekar on Landslide) प्रभावित क्षेत्रों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए किन्नौर को पायलट जिला के रूप में चयनित करने के निर्देश भी दिए. राज्यपाल के सचिव विवेक भाटिया ने बैठक का संचालन किया. वहीं, निदेशक आपदा प्रबंधन सुदेश कुमार मोक्टा ने विभाग द्वारा आपदा प्रबंधन और अनुसंधान के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों और पहलों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि सरकार इन मामलों से भली-भांति परिचित है और प्रदेश सरकार ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) के साथ मिलकर विभिन्न अनुसंधान किए हैं. भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण कोलकाता के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. एस. राजु, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र नई दिल्ली के सलाहकार एवं निदेशक डा. ओ.पी. मिश्रा, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ए.के. महाजन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भूस्खलन से संबंधित अपने विचार व्यक्त किए.

ये भी पढ़ें: एंबुलेंस कर्मियों से मिले सीएम जयराम ठाकुर, दिया ये आश्वासन

शिमला: राज्यपाल ने प्रदेश (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) में बार-बार होने वाले भूस्खलन के कारण जानमाल के नुकसान के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए नुकसान को कम करने के लिए वैज्ञानिक व इंजीनियरिंग से सम्बन्धित समाधानों का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रहे भूस्खलन (Landslide in Himachal) और इसके प्रभावों को कम करने के लिए विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल माध्यम से एक बैठक की.

इस दौरान उन्होंने विशेषज्ञों और अधिकारियों से हिमाचल प्रदेश को भूस्खलन आपदा प्रबंधन के (Disaster management in Himachal) सम्बन्ध में आदर्श राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए एक समय सीमा के अंदर समग्र समाधान प्रदान करने की बात कही. राज्यपाल ने कहा कि भूस्खलन के खतरों के अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए और क्षेत्र का पता लगाने के पश्चात जोखिम का आकलन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कार्य बल को भू-वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग मापदंडों पर काम करना चाहिए. राज्यपाल ने भूस्खलन (Governor Rajendra Arlekar on Landslide) प्रभावित क्षेत्रों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए किन्नौर को पायलट जिला के रूप में चयनित करने के निर्देश भी दिए. राज्यपाल के सचिव विवेक भाटिया ने बैठक का संचालन किया. वहीं, निदेशक आपदा प्रबंधन सुदेश कुमार मोक्टा ने विभाग द्वारा आपदा प्रबंधन और अनुसंधान के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों और पहलों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि सरकार इन मामलों से भली-भांति परिचित है और प्रदेश सरकार ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) के साथ मिलकर विभिन्न अनुसंधान किए हैं. भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण कोलकाता के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. एस. राजु, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र नई दिल्ली के सलाहकार एवं निदेशक डा. ओ.पी. मिश्रा, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ए.के. महाजन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भूस्खलन से संबंधित अपने विचार व्यक्त किए.

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Last Updated : Jan 18, 2022, 6:35 AM IST
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