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राज्यपाल दत्तात्रेय का कुल्लू दौरा, बोलेः भारत-रूस की संस्कृति का बेजोड़ नमूना है रोरिक आर्ट गैलरी - कुल्लू न्यूज

कुल्लू में स्थित सुप्रसिद्ध रोरिक आर्ट गैलरी नग्गर का दौरा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कुल्लू और लाहौल-स्पीति के दो दिवसीय प्रवास के पहले दिन सोमवार को किया.

Governer Bandaru dattatra visit Kullu
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
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Published : Nov 10, 2020, 12:29 PM IST

कुल्लूः जिला कुल्लू में स्थित सुप्रसिद्ध रोरिक आर्ट गैलरी नग्गर का दौरा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कुल्लू और लाहौल-स्पीति के दो दिवसीय प्रवास के पहले दिन सोमवार को किया.

आर्ट गैलरी में उन्होंने निकोलस रोरिक, जो एक रूसी चित्रकार थे, की ओर से स्थापित आर्ट गैलरी में उनकी कृतियों का बारीकी से अवलोकन और अध्ययन किया. आर्ट गैलरी के भारतीय अध्यक्ष रमेश चंद्र और रूसी अध्यक्ष लारीसा सुरगीना ने राज्यपाल को रोरिक आर्ट गैलरी में स्थापित निकोलस की कृतियों की जानकारी दी.

इस दौरान राज्यपाल को अवगत करवाया गया कि आर्ट गैलरी में चार संग्रहालय हैं, जिनमें रोरिक आर्ट गैलरी, हिमालयन फोक आर्ट संग्रहालय, देविका रानी कला संग्रहालय और उर्सवती संग्रहालय शामिल हैं. राज्यपाल ने सभी संग्रहालयों का अवलोकन किया और निकोलस की प्रत्येक कृति की खूबसूरती की सराहना की.

Governor Bandaru dattatreya visit  Kullu
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का कुल्लू दौरा.

वहीं, बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि निकोलस रोरिक 26 वर्षों तक नग्गर में रहे और इस दौरान उन्होंने 7000 से अधिक कला-कृतियां बनाई जो देश-दूनिया के लिए एक दुर्लभ उदाहरण बन गई. रोरिक आर्ट गैलरी में भारत-रूस की संस्कृति को बेहद खूबसूरती के साथ चित्रण किया गया है.

इसके अलावा अनेकों कलाकृतियों में दोनों देशों की संस्कृति की विशेषताओं को दर्शाया गया है. यही नहीं, हिमालयी संस्कृति विशेषकर कुल्लू, चंबा व लाहौल-स्पिति जिलों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का बखूबी प्रयास निकोलस ने किया है.

उनकी कृतियां वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए अध्ययन और शोध का विषय है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को रोरिक आर्ट गैलरी का अध्ययन करना चाहिए, इसका अवलोकन करना चाहिए. सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना निकोलस की कृतियों की विशेषता है.

राज्यपाल ने कहा कि रोरिक आर्ट गैलरी ने नग्गर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी है. इस गैलरी के वैभव को बनाकर रखना और इसे संजोकर रखना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियों को हिमालयी संस्कृति की जानकारी मिलती रहे. निकोलस महान चित्रकार ही नहीं, बल्कि पुरातत्वविद भी थे.

रोरिक आर्ट गैलरी पर अपने अनुभव सांझा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘मैं निकोलस द्वारा स्थापित रोरिक आर्ट गैलरी को देखने के बाद प्रेरित हुआ हुं कि इसका जिक्र अधिक से अधिक लोगों से साझा करूं.

खूबसूरत हिमालय के इतिहास और पुरातत्व को निकोलस परिवार ने सुन्दरता से संरक्षित किया गया है. निकोलस ने वर्ष 1929 से भारतीय सांस्कृतिक विरासत की सुंदरता का संरक्षण किया है जो बेहद उल्लेखनीय और प्रेरणादायी है. समूचे देश को इस स्थल के महत्व को समझना चाहिए. मंत्रमुग्ध करने वाली इस जगह के वैभव को बनाए रखने के लिए मैं गैलरी में काम कर रही रूस की टीम की सराहना करता हुं और बधाई देता हुं.

इसके बाद देर शाम राज्यपाल ने राष्ट्रीय धरोहर नग्गर कैसल का भी दौरा किया. उन्होंने कहा कि 1460 सालों तक कुल्लू की राजधानी रहा नग्गर का अनुपम इतिहास है. यह बेहद दर्शनीय क्षेत्र हैं, जहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं.

ये भी पढ़ें: मनाली केलांग सड़क पर जम रहा पानी, खतरनाक हो रहा सुबह और शाम का सफर

कुल्लूः जिला कुल्लू में स्थित सुप्रसिद्ध रोरिक आर्ट गैलरी नग्गर का दौरा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कुल्लू और लाहौल-स्पीति के दो दिवसीय प्रवास के पहले दिन सोमवार को किया.

आर्ट गैलरी में उन्होंने निकोलस रोरिक, जो एक रूसी चित्रकार थे, की ओर से स्थापित आर्ट गैलरी में उनकी कृतियों का बारीकी से अवलोकन और अध्ययन किया. आर्ट गैलरी के भारतीय अध्यक्ष रमेश चंद्र और रूसी अध्यक्ष लारीसा सुरगीना ने राज्यपाल को रोरिक आर्ट गैलरी में स्थापित निकोलस की कृतियों की जानकारी दी.

इस दौरान राज्यपाल को अवगत करवाया गया कि आर्ट गैलरी में चार संग्रहालय हैं, जिनमें रोरिक आर्ट गैलरी, हिमालयन फोक आर्ट संग्रहालय, देविका रानी कला संग्रहालय और उर्सवती संग्रहालय शामिल हैं. राज्यपाल ने सभी संग्रहालयों का अवलोकन किया और निकोलस की प्रत्येक कृति की खूबसूरती की सराहना की.

Governor Bandaru dattatreya visit  Kullu
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का कुल्लू दौरा.

वहीं, बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि निकोलस रोरिक 26 वर्षों तक नग्गर में रहे और इस दौरान उन्होंने 7000 से अधिक कला-कृतियां बनाई जो देश-दूनिया के लिए एक दुर्लभ उदाहरण बन गई. रोरिक आर्ट गैलरी में भारत-रूस की संस्कृति को बेहद खूबसूरती के साथ चित्रण किया गया है.

इसके अलावा अनेकों कलाकृतियों में दोनों देशों की संस्कृति की विशेषताओं को दर्शाया गया है. यही नहीं, हिमालयी संस्कृति विशेषकर कुल्लू, चंबा व लाहौल-स्पिति जिलों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का बखूबी प्रयास निकोलस ने किया है.

उनकी कृतियां वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए अध्ययन और शोध का विषय है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को रोरिक आर्ट गैलरी का अध्ययन करना चाहिए, इसका अवलोकन करना चाहिए. सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना निकोलस की कृतियों की विशेषता है.

राज्यपाल ने कहा कि रोरिक आर्ट गैलरी ने नग्गर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी है. इस गैलरी के वैभव को बनाकर रखना और इसे संजोकर रखना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियों को हिमालयी संस्कृति की जानकारी मिलती रहे. निकोलस महान चित्रकार ही नहीं, बल्कि पुरातत्वविद भी थे.

रोरिक आर्ट गैलरी पर अपने अनुभव सांझा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘मैं निकोलस द्वारा स्थापित रोरिक आर्ट गैलरी को देखने के बाद प्रेरित हुआ हुं कि इसका जिक्र अधिक से अधिक लोगों से साझा करूं.

खूबसूरत हिमालय के इतिहास और पुरातत्व को निकोलस परिवार ने सुन्दरता से संरक्षित किया गया है. निकोलस ने वर्ष 1929 से भारतीय सांस्कृतिक विरासत की सुंदरता का संरक्षण किया है जो बेहद उल्लेखनीय और प्रेरणादायी है. समूचे देश को इस स्थल के महत्व को समझना चाहिए. मंत्रमुग्ध करने वाली इस जगह के वैभव को बनाए रखने के लिए मैं गैलरी में काम कर रही रूस की टीम की सराहना करता हुं और बधाई देता हुं.

इसके बाद देर शाम राज्यपाल ने राष्ट्रीय धरोहर नग्गर कैसल का भी दौरा किया. उन्होंने कहा कि 1460 सालों तक कुल्लू की राजधानी रहा नग्गर का अनुपम इतिहास है. यह बेहद दर्शनीय क्षेत्र हैं, जहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं.

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