शिमला: हिमाचल में सेब सीजन शुरू हो गया है. सेब सीजन में मजदूरों की कमी और सेब के समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. एआईसीसी सचिव एवं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि सेब सीजन को लेकर सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है. सेब सीजन की तैयारियों को लेकर सरकार पूरी तरह से खामोश है. इसके चलते बागवानों की चिंता लगातार बढ़ रही है और सेब सीजन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
सुधीर शर्मा ने सरकार पर आरोप लगाया कि कोरोना संकट काल में सेब का सर्मथन मूल्य केवल 50 पैसे बढ़ाकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्लू झाड़ने का प्रयास कर रही है. पूर्व मंत्री ने कहा है कि सरकार दावे तो बहुत कर रही है लेकिन धरातल पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा. मजदूरों की बात कही जा रही है लेकिन बागवानों को मजूदर मिल नहीं रहे हैं. सरकार ने ट्रे-कार्टन की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की है और न ही विपणन की योजना अभी तक स्पष्ठ है.
सुधीर शर्मा ने कहा कि सेब सीजन को देखते हुए सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि बागवानों को परेशानियों का सामना न करना पड़े. उन्होंने कहा कि बरसात का दौर भी शुरू हो चुका है. इस दौरान जगह-जगह भूस्खलन होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में सरकार अभी से ही तैयारियों रखे ताकि जनजीवन प्रभावित न हो और सेब की फसल को मंडियों तक पहुंचाने में कोई समस्या न आए.
सुधीर शर्मा ने कहा कि सेब का सर्मथन मूल्य कम से कम 10 रुपये करना चाहिए. इसी तरह अंकुरित आम, अचारी आम, कलमी आम, गलगल, बी ग्रेड किन्नू, माल्टा और संतरे में सर्मथन मूल्य में की गई बढ़ोतरी भी कम है. सुधीर शर्मा ने कहा कि एक तरफ बेमौसमी बारिश ने जहां किसानों व सब्जी उत्पादकों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. वहीं, दूसरी तरफ चैरी, आम, पल्म, आडू जैसे फलों को भी भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में किसानों व बागवानों की हितेषी होने का दम भरने वाली बीजेपी सरकार इन्हें कोई आर्थिक पैकेज प्रदान करें.
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