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अब हिमाचल की होगी अपनी सांस्कृतिक नीति, सरकार ने गठित की हाई पावर कमेटी

हिमाचल प्रदेश की अब अपनी सांस्कृतिक नीति होगी. प्रदेश सरकार ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) कमेटी के अध्यक्ष होंगे. संस्कृति नीति में हिमाचल की बोलियों, लोक परंपराओं, हस्तलिखित ग्रंथों लोक कलाओं, मंदिरों, पारंपरिक निर्माण शैली, लोक व्यंजनों देव परंपराओं, देव वाद्य यंत्रों, लोक नाट्यों, लोक गीतों, लोक कथाओं पर काम होगा.

cultural policy in Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश में कल्चरल पॉलिसी
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Published : Sep 13, 2021, 7:07 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 9:43 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की अब अपनी कल्चरल पॉलिसी होगी. राज्य सरकार ने इसके लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) कमेटी के अध्यक्ष होंगे. भाषा और संस्कृति विभाग के मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर कमेटी के वाइस चेयरमैन होंगे. इसके अलावा विभिन्न विभागों के लोग कमेटी में नामित किए गए हैं. बाद में कमेटी सिफारिशों पर राज्य सरकार एक संस्कृति फंड स्थापित करेगी. हिमाचल की संस्कृति नीति को लागू करने से संबंधित सभी अहम निर्णय भाषा एवं संस्कृति विभाग लेगा.

शिमला स्थित राज्य संग्रहालय संस्कृति संवर्धन के लिए चंबा के भूरि सिंह संग्रहालय के साथ मिलकर एक्शन प्लान तैयार करेगा. हाई पावर कमेटी में संबंधित विभाग अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े हुए प्लान तैयार करेंगे. संस्कृति नीति में हिमाचल की बोलियों, लोक परंपराओं, हस्तलिखित ग्रंथों लोक कलाओं, मंदिरों, पारंपरिक निर्माण शैली, लोक व्यंजनों देव परंपराओं, देव वाद्य यंत्रों, लोक नाट्यों, लोक गीतों, लोक कथाओं पर काम होगा.

बता दें कि हिमाचल में शिमला, सोलन और सिरमौर में लोकनाट्य करियाला का आपना ही आकर्षण है इसके अलावा कुल्लू में लोक नाट्य हारण, मंडी में बांठड़ा, ऊना में भोहरा, बिलासपुर में धाजा सहित ठोड़ा, बरलाज आदि प्रसिद्ध है. इन सभी को सांस्कृतिक नीति में उभारकर इनकी पहचान राष्ट्रव्यापी बनाई जाएगी.

ये भी पढ़ें: मनाली क्षेत्र में स्थित है धरती के 'पहले मनुष्य' ऋषि मनु का मंदिर, अब सरकार उठा रही है ऐसा कदम

हिमाचल में शैव, वैष्णव, शाक्त, बुद्धिस्ट, जैन व अन्य धार्मिक विश्वासों के लोग रहते हैं. यहां लोक परंपराओं में देवी देवताओं की आराधना के कई आयाम हैं. उन सभी का अध्ययन करके उन्हें संरक्षित किया जाएगा. यहां अनेक लोक मेले आयोजित किए जाते हैं. इन सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन करने के बाद इनका डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा. इसके अलावा हिमाचल में पारंपरिक परिधान (Traditional wear in Himachal) और आभूषणों की भी समृद्ध परंपरा है. हिमाचल में काष्ठ कला, पेंटिंग के भी अलग-अलग पहलू हैं.

इस नीति में हिमाचल में मनुधाम शोध केंद्र, परशुराम शोध केंद्र, जनजातीय कला ग्राम केंद्र, हस्तशिल्प कला केंद्र, पांडुलिपि शोध केंद्र की स्थापना की जाएगी. इसके अलावा बौद्ध मत से जुड़े शोध केंद्र को भी विकसित किया जाएगा. कल्चरल पॉलिसी बनने के बाद हिमाचल सरकार इसका विभिन्न माध्यमों के जरिए प्रचार प्रसार भी करेगी. इस नीति को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमोट किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: भूपेंद्र सिंह का जल शक्ति मंत्री पर गंभीर आरोप, कहा- धर्मपुर को अपमानित कर रहे हैं महेंद्र सिंह ठाकुर

शिमला: हिमाचल प्रदेश की अब अपनी कल्चरल पॉलिसी होगी. राज्य सरकार ने इसके लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) कमेटी के अध्यक्ष होंगे. भाषा और संस्कृति विभाग के मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर कमेटी के वाइस चेयरमैन होंगे. इसके अलावा विभिन्न विभागों के लोग कमेटी में नामित किए गए हैं. बाद में कमेटी सिफारिशों पर राज्य सरकार एक संस्कृति फंड स्थापित करेगी. हिमाचल की संस्कृति नीति को लागू करने से संबंधित सभी अहम निर्णय भाषा एवं संस्कृति विभाग लेगा.

शिमला स्थित राज्य संग्रहालय संस्कृति संवर्धन के लिए चंबा के भूरि सिंह संग्रहालय के साथ मिलकर एक्शन प्लान तैयार करेगा. हाई पावर कमेटी में संबंधित विभाग अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े हुए प्लान तैयार करेंगे. संस्कृति नीति में हिमाचल की बोलियों, लोक परंपराओं, हस्तलिखित ग्रंथों लोक कलाओं, मंदिरों, पारंपरिक निर्माण शैली, लोक व्यंजनों देव परंपराओं, देव वाद्य यंत्रों, लोक नाट्यों, लोक गीतों, लोक कथाओं पर काम होगा.

बता दें कि हिमाचल में शिमला, सोलन और सिरमौर में लोकनाट्य करियाला का आपना ही आकर्षण है इसके अलावा कुल्लू में लोक नाट्य हारण, मंडी में बांठड़ा, ऊना में भोहरा, बिलासपुर में धाजा सहित ठोड़ा, बरलाज आदि प्रसिद्ध है. इन सभी को सांस्कृतिक नीति में उभारकर इनकी पहचान राष्ट्रव्यापी बनाई जाएगी.

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हिमाचल में शैव, वैष्णव, शाक्त, बुद्धिस्ट, जैन व अन्य धार्मिक विश्वासों के लोग रहते हैं. यहां लोक परंपराओं में देवी देवताओं की आराधना के कई आयाम हैं. उन सभी का अध्ययन करके उन्हें संरक्षित किया जाएगा. यहां अनेक लोक मेले आयोजित किए जाते हैं. इन सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन करने के बाद इनका डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा. इसके अलावा हिमाचल में पारंपरिक परिधान (Traditional wear in Himachal) और आभूषणों की भी समृद्ध परंपरा है. हिमाचल में काष्ठ कला, पेंटिंग के भी अलग-अलग पहलू हैं.

इस नीति में हिमाचल में मनुधाम शोध केंद्र, परशुराम शोध केंद्र, जनजातीय कला ग्राम केंद्र, हस्तशिल्प कला केंद्र, पांडुलिपि शोध केंद्र की स्थापना की जाएगी. इसके अलावा बौद्ध मत से जुड़े शोध केंद्र को भी विकसित किया जाएगा. कल्चरल पॉलिसी बनने के बाद हिमाचल सरकार इसका विभिन्न माध्यमों के जरिए प्रचार प्रसार भी करेगी. इस नीति को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमोट किया जाएगा.

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Last Updated : Sep 14, 2021, 9:43 AM IST
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