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धर्मांतरण के बाद नहीं मिलेंगे आरक्षण जैसे लाभ, जाना होगा जेल, हिमाचल में और कड़ा हुआ जबरन धर्म परिवर्तन कानून - bills introduced himachal

Forced conversion law in Himachal, हिमाचल में जबरन धर्म परिवर्तन कानून और सख्त हो गया है. बिल के अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है और पूर्व में हिंदू धर्म में मिलने वाले लाभ भी लेता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. जबरन धर्मांतरण करवाने वालों को जेल जाना होगा.

religious freedom law In HP
हिमाचल में जबरन धर्म परिवर्तन कानून
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Published : Aug 13, 2022, 10:23 PM IST

शिमला: हिमाचल में जबरन धर्म परिवर्तन कानून को और कड़ा किया गया है. शनिवार को सदन में इससे संबंधित संशोधन बिल पास किया गया. बिल के अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है और पूर्व में हिंदू धर्म में मिलने वाले लाभ भी लेता है तो (Forced conversion law in Himachal) उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. जबरन धर्मांतरण करवाने वालों को जेल जाना होगा. अभी देखने में आ रहा था कि धर्म परिवर्तन के बाद भी परिवर्तित व्यक्ति अपना पूर्व का नाम नहीं बदल रहा था. साथ ही वो आरक्षण जैसे लाभ भी ले रहा था. अब धर्मांतरण करने वाले को एक डिक्लेयरेशन देनी होगी. यदि वो डिक्लेयरेशन देने के बाद भी उसका पालन नहीं करता तो उसे पूर्व में मिलने वाले आरक्षण व अन्य लाभ से वंचित होना पड़ेगा. साथ ही सजा का भी प्रावधान होगा.

सीएम ने डेमोग्राफी चेंज पर जताई चिंता: शनिवार को इस विधेयक पर सदन में जोरदार चर्चा हुई. विपक्ष के सदस्य इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग कर रहे थे. कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी का कहना था कि हिमाचल में हिंदु 97 फीसदी है और बाकी तीन फीसदी. इस पर सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि जरा डेमोग्राफी चेंज पर (CM Jairam on demographic change) भी नजर डालनी चाहिए. सीएम ने कहा कि सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि गरीब व साधनहीन लोगों को फोकस कर मास कन्वर्जन किया जा रहा है. सीएम जयराम ठाकुर ने चिंता जताई कि शुक्रवार और रविवार को प्रदेश के कई दुर्गम इलाकों में फोकस करके कन्वर्जन किया जा रहा है.व

विवाह के समय धर्म छिपाने पर होगी ये सजा: हिमाचल में सबसे पहले वीरभद्र सिंह सरकार ने धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक लाया था. उसके बाद जयराम सरकार ने 2019 में इस कानून को और सख्त किया था. अब एक और संसोधन के साथ बिल लाया गया था. इसमें और कड़े प्रावधान किए गए हैं. अब जबरन धर्मांतरण पर दस साल की सजा भी हो सकती है. विधेयक में प्रस्तावित प्रावधान के मुताबिक इस कानून के तहत सभी शिकायतों की जांच सब इंस्पेक्टर से कम रैंक का कोई पुलिस अफसर नहीं करेगा. सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी. इस संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म में विवाह करने के लिए अपने धर्म को छिपाता है तो दोषी को कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है. साथ ही इस सजा को दस साल तक बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, विधेयक में, न्यूनतम जुर्माना पचास हजार रुपए किया गया है. इसे एक लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है.

सामूहिक धर्म परिवर्तन के लिए 7 साल की सजा: सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी सजा को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. वर्तमान कानून के अनुसार, सामूहिक धर्म परिवर्तन के लिए 7 साल की सजा और अधिकतम पचास हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. जबकि अब लाए गए विधेयक में दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन को सामूहिक धर्मांतरण माना जाएगा. साथ ही ऐसा करने पर आरोपी को कम से कम 5 साल की सजा हो सकती है. इस सजा को 10 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है. सामूहिक धर्मांतरण पर कम से कम डेढ़ लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जिसे दो लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है.

धर्म परिवर्तन के बाद मूल धर्म के लाभ लेने पर सजा: अब ये प्रावधान है कि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के (Forced conversion law in Himachal) बाद भी अपने मूल धर्म के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएं लेता है तो ये भी अपराध होगा. ऐसा करने वाले को 2 साल की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही, जुर्माने को 50 हजार से एक लाख रुपए तक किया जा सकता है. ये भी प्रावधान है कि धर्म परिवर्तन करने वाले को एक माह पूर्व जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा. इस शपथ पत्र में यह बताना होगा कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. यदि कोई अपने मूल धर्म में वापस आना चाहता है तो उसे किसी प्रकार का शपथ पत्र देने की आवश्यकता नहीं होगी. फिलहाल अब कानून और सख्त हो गया है.

ये भी पढ़ें: डेमोग्राफिक चेंज पर सीएम जयराम ने जताई चिंता, बोले, फोकस तरीके से हो रहा धर्मांतरण

शिमला: हिमाचल में जबरन धर्म परिवर्तन कानून को और कड़ा किया गया है. शनिवार को सदन में इससे संबंधित संशोधन बिल पास किया गया. बिल के अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है और पूर्व में हिंदू धर्म में मिलने वाले लाभ भी लेता है तो (Forced conversion law in Himachal) उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. जबरन धर्मांतरण करवाने वालों को जेल जाना होगा. अभी देखने में आ रहा था कि धर्म परिवर्तन के बाद भी परिवर्तित व्यक्ति अपना पूर्व का नाम नहीं बदल रहा था. साथ ही वो आरक्षण जैसे लाभ भी ले रहा था. अब धर्मांतरण करने वाले को एक डिक्लेयरेशन देनी होगी. यदि वो डिक्लेयरेशन देने के बाद भी उसका पालन नहीं करता तो उसे पूर्व में मिलने वाले आरक्षण व अन्य लाभ से वंचित होना पड़ेगा. साथ ही सजा का भी प्रावधान होगा.

सीएम ने डेमोग्राफी चेंज पर जताई चिंता: शनिवार को इस विधेयक पर सदन में जोरदार चर्चा हुई. विपक्ष के सदस्य इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग कर रहे थे. कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी का कहना था कि हिमाचल में हिंदु 97 फीसदी है और बाकी तीन फीसदी. इस पर सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि जरा डेमोग्राफी चेंज पर (CM Jairam on demographic change) भी नजर डालनी चाहिए. सीएम ने कहा कि सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि गरीब व साधनहीन लोगों को फोकस कर मास कन्वर्जन किया जा रहा है. सीएम जयराम ठाकुर ने चिंता जताई कि शुक्रवार और रविवार को प्रदेश के कई दुर्गम इलाकों में फोकस करके कन्वर्जन किया जा रहा है.व

विवाह के समय धर्म छिपाने पर होगी ये सजा: हिमाचल में सबसे पहले वीरभद्र सिंह सरकार ने धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक लाया था. उसके बाद जयराम सरकार ने 2019 में इस कानून को और सख्त किया था. अब एक और संसोधन के साथ बिल लाया गया था. इसमें और कड़े प्रावधान किए गए हैं. अब जबरन धर्मांतरण पर दस साल की सजा भी हो सकती है. विधेयक में प्रस्तावित प्रावधान के मुताबिक इस कानून के तहत सभी शिकायतों की जांच सब इंस्पेक्टर से कम रैंक का कोई पुलिस अफसर नहीं करेगा. सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी. इस संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म में विवाह करने के लिए अपने धर्म को छिपाता है तो दोषी को कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है. साथ ही इस सजा को दस साल तक बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, विधेयक में, न्यूनतम जुर्माना पचास हजार रुपए किया गया है. इसे एक लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है.

सामूहिक धर्म परिवर्तन के लिए 7 साल की सजा: सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी सजा को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. वर्तमान कानून के अनुसार, सामूहिक धर्म परिवर्तन के लिए 7 साल की सजा और अधिकतम पचास हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. जबकि अब लाए गए विधेयक में दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन को सामूहिक धर्मांतरण माना जाएगा. साथ ही ऐसा करने पर आरोपी को कम से कम 5 साल की सजा हो सकती है. इस सजा को 10 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है. सामूहिक धर्मांतरण पर कम से कम डेढ़ लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जिसे दो लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है.

धर्म परिवर्तन के बाद मूल धर्म के लाभ लेने पर सजा: अब ये प्रावधान है कि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के (Forced conversion law in Himachal) बाद भी अपने मूल धर्म के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएं लेता है तो ये भी अपराध होगा. ऐसा करने वाले को 2 साल की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही, जुर्माने को 50 हजार से एक लाख रुपए तक किया जा सकता है. ये भी प्रावधान है कि धर्म परिवर्तन करने वाले को एक माह पूर्व जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा. इस शपथ पत्र में यह बताना होगा कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. यदि कोई अपने मूल धर्म में वापस आना चाहता है तो उसे किसी प्रकार का शपथ पत्र देने की आवश्यकता नहीं होगी. फिलहाल अब कानून और सख्त हो गया है.

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