शिमला: इस सीजन में प्रदेश के किसानों ने केवल 3 हजार मीट्रिक टन गेहूं ही सरकार द्वारा खोले क्रय केंद्रों पर बेचा है. प्रदेश सरकार ने इस सीजन में 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था. खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेन्द्र गर्ग का कहना है कि इस बार गेहूं की फसल कम हुई है जिसके कारण गेहूं खरीद कम हुई है, लेकिन खरीद केंद्रों पर कम किसानों की गेहूं पहुंचने का यह भी कारण रहा कि एफसीआई ने गेहूं खरीद का मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. इस वजह से कई किसानों ने खुले बाजार में भी अपनी फसल बेची. खुले बाजार में गेहूं का मूल्य 2100 से 2200 रुपये तक मिला. इस कारण अधिकांश किसानों ने खुले बाजार में फसल बेची.
हिमाचल प्रदेश में गेहूं खरीद के लिए एफसीआई के सहयोग से प्रदेश सरकार ने 15 अप्रैल से केंद्र खोले थे. प्रदेश सरकार ने 11 स्थानों पर गेहूं खरीद केंद्र खोले थे. इन केंद्रों पर व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है, लेकिन फसल खरीद का कार्य एफसीआई द्वारा किया जाता है. सरकार द्वारा गेहूं खरीद केंद्र खोलने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. बाजार प्रतिस्पर्धा के कारण प्रदेश के किसानों को फसलों के दाम अच्छे मिल रहे हैं.
केंद्र सरकार ने वर्तमान में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जो कि काफी कम है. इसी कारण से सरकार द्वारा खोले केंद्रों पर गेहूं की खरीद उम्मीद के अनुसार नहीं हो पाई. सरकार के तय एसएसपी से ज्यादा दाम खुले बाजार में मिल रहे हैं. खरीद केंद्रों पर गेहूं की सफाई और सही ग्रेडिंग के बाद ही किसानों से फसल खरीदी जा रही है. इसके अलावा गेहूं खरीद से पहले कई अन्य औपचारिकताओं का भी झमेला रहता है.
प्रदेश के खुले बाजार में किसानों को गेहूं के दाम 2,200 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं. प्रदेश में पहली बार गेहूं खरीद केंद्रों से ज्यादा दाम किसान खुले बाजार में ले रहे हैं. इससे खरीद केंद्रों में कम गेहूं पहुंच रहा है. खुले बाजार में गेहूं खरीदने से पहले कोई औपचारिकता किसानों से पूरी नहीं कराई जाती है. इसके अलावा निजी गेहूं खरीद केंद्रों व मंडियों में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बारी का इंतजार भी नहीं करना पड़ रहा है और उन्हें उसी समय चेक के माध्यम से या आनलाइन माध्यम से भुगतान भी किया गया.
प्रदेश में यहां खोले गए खरीद केंद्र
1. सिरमौर: हरिपुर टोहना, काल अंब और धौलाकुआं.
2. ऊना: कांगड़ और टकराला.
3. कांगड़ा: गुजरकलां, अरियाली और ठाकुरद्वारा.
4. बिलासपुर: मजारी.
5. सोलन: नालागढ़, मलपुरा बद्दी.
सोलन जिले के नालागढ़ गेहूं खरीद केंद्रों में 15 फीसदी (wheat production in Himachal Pradesh) गेहूं ही पहुंचा. पिछले वर्ष इस केंद्र में 16 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद की गई थी. लेकिन वर्तमान सीजन में केवल 1249.5 क्विंटल गेहूं ही खरीद केंद्र पर पहुंची. इस सीजन जिला के दो खरीद केंद्रों में पिछले सीजन के मुकाबले 15 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद हुई. इस साल नालागढ़ में 46 किसानों ने अपनी 1057.50 क्विंटल गेहूं बेची जबकि मलपुर में पहली बार खुले खरीद केंद्र में केवल 10 किसान ही गेहूं बेची.
बिलासपुर जिले के मजारी में खुले गेहूं खरीद केंद्र में भी कम ही किसानों ने अपनी फसल बेची है. विभाग ने इस बार मजारी केंद्र में 10,000 क्विंटल फसल खरीद का लक्ष्य रखा था. लेकिन केंद्रों में खरीद लक्ष्य के आधे तक भी नहीं पहुंच सकी. किसान भी केंद्र पर फसल बेचने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. सिरमौर जिले में इस साल गेहूं का उत्पादन अपेक्षाकृत कम रहा है. समय पर बारिश न होने से गेहूं की पैदावार अच्छी नहीं हो सकी है. जिसका असर सिंचाई वाले इलाकों में पैदावार पर भी पड़ा है. इसी कारण इस बार गेहूं की पैदावार में 50 फीसदी तक की कमी आई है. पिछले साल 36 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद हुई थी. उत्पादन इस साल 50 हजार क्विंटल रखा था. अनाज मंडियों में इस साल 18 हजार क्विंटल खरीद हुई है. 652 किसानों ने अनाज मंडियों में गेहूं बेची है.