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जयराम सरकार ने कर्मचारियों को मनाया, लेकिन अब चिंता में फंसी सरकार, जानें वजह

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Published : Nov 30, 2021, 7:54 PM IST

नए वेतनमान आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए हिमाचल सरकार (Financial burden on Himachal government) पर सालाना सैकड़ों करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ेगा. पहले से ही कर्ज के बोझ में डूबी सरकार लोन लेकर काम चलाने पर मजबूर होगी. मंगलवार को कैबिनेट (Himachal Cabinet Meeting) की बैठक में प्रदेश की आर्थिक दशा और वित्तीय प्रबंधन पर चर्चा हुई. सरकार को चिंता सता रही है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बढ़ी हुई तनख्वाह और एरियर के भुगतान के लिए पैसा कहां से आएगा.

Himachal Cabinet Meeting
Himachal Cabinet Meeting

शिमला: हिमाचल सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रवेश करने से पहले कर्मचारी रुपी वोट बैंक को साधने के लिए जेसीसी की मीटिंग के बाद 760 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ घोषित किए हैं. नए वेतनमान आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार पर सालाना सैकड़ों करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ेगा. पहले से ही कर्ज के बोझ में डूबी सरकार लोन लेकर काम चलाने पर मजबूर होगी.

मंगलवार को कैबिनेट की बैठक (Himachal Cabinet Meeting) में प्रदेश की आर्थिक दशा और वित्तीय प्रबंधन पर चर्चा हुई. सरकार को चिंता सता रही है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बढ़ी हुई तनख्वाह और एरियर के भुगतान (Financial burden on Himachal government) के लिए पैसा कहां से आएगा. हिमाचल सरकार का अभी तक 43 फीसदी हिस्सा वेतन और पेंशन में खर्च हो जाता है. लोन वापसी और लोन के ब्याज की अदायगी पर भी बड़ी रकम खर्च होती है.

सरकार को अब इस वित्तीय प्रबंधन के लिए नए संसाधन तलाशने पड़ेंगे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इन सब मसलों पर अधिकारियों की राय ली गई. कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपने सुझाव रखे. हिमाचल पर इस समय 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. यह कर्ज निरंतर बढ़ रहा है. हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन ना के बराबर हैं.

हिमाचल को वित्तायोग से उदार सहायता मिली है. प्रदेश को 8617 करोड़ रुपये का अनुदान वित्तायोग से मिला है. वहीं केंद्रीय वित्त प्रायोजित योजनाओं में भी 5 हजार करोड़ की मदद मिली है. हिमाचल ने आरबीआई से पूर्व में 3443 करोड़ और 4218 करोड़ रुपये मार्केट लोन लिया है. हिमाचल में कर्मचारियों के वेतन पर सालाना 11477 करोड़ खर्च होता है. इसी तरह पेंशन का खर्च 5489 करोड़ रुपये है.

नया वेतन आयोग लागू होने पर यह खर्च और बढ़ जाएगा. यदि मौजूदा कैग रिपोर्ट देखें तो हिमाचल के लिए स्थितियां अच्छी नहीं है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में प्रदेश सरकार की राजस्व प्राप्तियां 30742.41 करोड़ रुपये थी. इसमें 7623.82 करोड़ रुपये टैक्स तथा 2501 करोड गैर कर राजस्व शामिल था. साथ ही केंद्र से मिलने वाली ग्रांट के एवज मिलने वाली 15939 करोड़ की रकम भी शामिल थी. इसके मुकाबले सरकार ने 30730.43 करोड़ खर्च किया.

सरकार ने वेतन पर 11477 करोड़ और पेंशन पर 5489 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की. इसी तरह उपदान पर 1067 तथा ग्रांट इन एड पर 34.96 करोड़ की रकम खर्च हुई. ब्याज के भुगतान पर 4234 करोड़ की राशि सरकार ने साल में खर्च की. हिमाचल का चालू साल का बजट (Himachal current year budget) 50 हजार करोड़ से अधिक है. इस बजट में 100 रुपये को मानक माना जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपये खर्च होते हैं. इसी तरह पेंशन पर 14.11 रुपये खर्च होते हैं.

हिमाचल को ब्याज की अदायगी पर 10 रुपये और लोन पर 6.64 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में विकास के लिए सिर्फ 43.94 रुपये ही बचते हैं. जेसीसी की मीटिंग के बाद कर्मियों को घोषित किए गए वित्तीय लाभों के बाद स्थिति और भी नाजुक होगी. इन्हीं स्थितियों को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) चिंतित हैं. कैबिनेट की बैठक में इन सारे मसलों पर चर्चा हुई सरकार किसी ना किसी तरह कर्मियों के लाभ भी देना चाहती है और प्रदेश की वित्तीय स्थिति को भी बिगड़ने से बचाने का प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और वित्त विभाग के अधिकारियों को बेहतर वित्तीय प्रबंधन कार्य योजना तैयार करने का भी आदेश दिया है.

ये भी पढ़ें- Khabaran Paharan Ri: कंगना रनौत जो मिली जानी ते मारने री धमकी

शिमला: हिमाचल सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रवेश करने से पहले कर्मचारी रुपी वोट बैंक को साधने के लिए जेसीसी की मीटिंग के बाद 760 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ घोषित किए हैं. नए वेतनमान आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार पर सालाना सैकड़ों करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ेगा. पहले से ही कर्ज के बोझ में डूबी सरकार लोन लेकर काम चलाने पर मजबूर होगी.

मंगलवार को कैबिनेट की बैठक (Himachal Cabinet Meeting) में प्रदेश की आर्थिक दशा और वित्तीय प्रबंधन पर चर्चा हुई. सरकार को चिंता सता रही है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बढ़ी हुई तनख्वाह और एरियर के भुगतान (Financial burden on Himachal government) के लिए पैसा कहां से आएगा. हिमाचल सरकार का अभी तक 43 फीसदी हिस्सा वेतन और पेंशन में खर्च हो जाता है. लोन वापसी और लोन के ब्याज की अदायगी पर भी बड़ी रकम खर्च होती है.

सरकार को अब इस वित्तीय प्रबंधन के लिए नए संसाधन तलाशने पड़ेंगे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इन सब मसलों पर अधिकारियों की राय ली गई. कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपने सुझाव रखे. हिमाचल पर इस समय 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. यह कर्ज निरंतर बढ़ रहा है. हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन ना के बराबर हैं.

हिमाचल को वित्तायोग से उदार सहायता मिली है. प्रदेश को 8617 करोड़ रुपये का अनुदान वित्तायोग से मिला है. वहीं केंद्रीय वित्त प्रायोजित योजनाओं में भी 5 हजार करोड़ की मदद मिली है. हिमाचल ने आरबीआई से पूर्व में 3443 करोड़ और 4218 करोड़ रुपये मार्केट लोन लिया है. हिमाचल में कर्मचारियों के वेतन पर सालाना 11477 करोड़ खर्च होता है. इसी तरह पेंशन का खर्च 5489 करोड़ रुपये है.

नया वेतन आयोग लागू होने पर यह खर्च और बढ़ जाएगा. यदि मौजूदा कैग रिपोर्ट देखें तो हिमाचल के लिए स्थितियां अच्छी नहीं है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में प्रदेश सरकार की राजस्व प्राप्तियां 30742.41 करोड़ रुपये थी. इसमें 7623.82 करोड़ रुपये टैक्स तथा 2501 करोड गैर कर राजस्व शामिल था. साथ ही केंद्र से मिलने वाली ग्रांट के एवज मिलने वाली 15939 करोड़ की रकम भी शामिल थी. इसके मुकाबले सरकार ने 30730.43 करोड़ खर्च किया.

सरकार ने वेतन पर 11477 करोड़ और पेंशन पर 5489 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की. इसी तरह उपदान पर 1067 तथा ग्रांट इन एड पर 34.96 करोड़ की रकम खर्च हुई. ब्याज के भुगतान पर 4234 करोड़ की राशि सरकार ने साल में खर्च की. हिमाचल का चालू साल का बजट (Himachal current year budget) 50 हजार करोड़ से अधिक है. इस बजट में 100 रुपये को मानक माना जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपये खर्च होते हैं. इसी तरह पेंशन पर 14.11 रुपये खर्च होते हैं.

हिमाचल को ब्याज की अदायगी पर 10 रुपये और लोन पर 6.64 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में विकास के लिए सिर्फ 43.94 रुपये ही बचते हैं. जेसीसी की मीटिंग के बाद कर्मियों को घोषित किए गए वित्तीय लाभों के बाद स्थिति और भी नाजुक होगी. इन्हीं स्थितियों को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) चिंतित हैं. कैबिनेट की बैठक में इन सारे मसलों पर चर्चा हुई सरकार किसी ना किसी तरह कर्मियों के लाभ भी देना चाहती है और प्रदेश की वित्तीय स्थिति को भी बिगड़ने से बचाने का प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और वित्त विभाग के अधिकारियों को बेहतर वित्तीय प्रबंधन कार्य योजना तैयार करने का भी आदेश दिया है.

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