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हिम तेंदुए के लिए खतरा बन रहे हैं फेरल डॉग, सर्वे में हुआ खुलासा  - snow leopard in himachal

फेरल डॉग (feral dog) जंगली कुत्तों और आवारा कुत्तों के बीच की ही प्रजाति (species) है. जब आवारा कुत्ते जंगली जानवरों के भोजन पर निर्भर हो जाते है और जंगलों में ही अपने आवास बना देते है तो उन्हें फेरल डॉग (feral dog) कहा जाता है. लाहौल स्पीति और पांगी घाटी में हिम तेंदुए के लिए फेरल डॉग (feral dog) खतरा बनते जा रहा रहे हैं.

snow leopard
फेरल डॉग .
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Published : Nov 16, 2021, 7:18 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 2:55 PM IST

शिमला: हिमाचल का शीत मरुस्थल दुनिया भर में दुर्लभ प्रजाति के हिम तेंदुए (snow leopard) की पनाहगार के लिए जाना जाता है. प्रदेश में हिम तेंदुओं की संख्या 73 पाई गई है. लेकिन लाहौल स्पीति और पांगी घाटी में हिम तेंदुए के लिए फेरल डॉग (feral dog) खतरा बनते जा रहा रहे हैं. वन्य प्राणी विभाग द्वारा भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (जेड.एस.आई.) कोलकाता के सहयोग से किए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण कोलकाता (Zoological Survey of India Kolkata) द्वारा वन विभाग को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि फेरल डॉग (feral dog) की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने की सख्त जरूरत है. फेरल डॉग की संख्या को अगर समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में आवारा कुत्ते बर्फानी तेंदुए के साथ-साथ इंसानों के लिए भी खतरा साबित हो सकते है. हिम तेंदुए के अलावा यह आवारा कुत्ते अन्य वन्य प्राणियों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं.

वीडियो.

वन विभाग को सौंपी इस रिपोर्ट में आवारा कुत्तों की नसबंदी और स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए सालभर गतिविधियां चलाने का सुझाव दिया गया है. यह अध्ययन सिक्योर हिमालय परियोजना (Secure Himalaya Project) के तहत किया गया है. इसे कैमरा ट्रैप और प्रश्नावली के माध्यम से पूरा किया गया है. अब वन विभाग जल्द ही इस रिपोर्ट को राज्य और केंद्र सरकार को सौंपेगा. भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण रिपोर्ट (Indian Zoological Survey Report) के अनुसार घाटी में घूमने वाले आवारा कुत्तों के मल के अध्ययन से पता चला है कि इनके आहार में मारमोट, भरल, जंगली चूहे या पालतू जानवर भी शामिल हैं.

दरअसल स्थानीय भाषा में इन्हें आवारा कुत्ते ही कहते हैं लेकिन यह फेरल डॉग जंगली कुत्तों और आवारा कुत्तों के बीच की ही प्रजाति है. जब आवारा कुत्ते जंगली जानवरों के भोजन पर निर्भर हो जाते है और जंगलों में ही अपने आवास बना देते है तो उन्हें फेरल डॉग कहा जाता है. पी.सी.सी.एफ. वन विभाग अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट (Secure Himalaya Project) के तहत फेरल डॉग पर की गई स्टडी पूरी हो गई है. वन्य प्राणी सप्ताह के समापन अवसर पर यह रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई है. रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं अब उन पर अमल किया जाएगा.

लाहौल स्पीति के विधायक और जनजातीय विकास मंत्री रामलाल मारकंडा (Minister Ramlal Markanda) ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सीसीटीवी कैमरे (cctv cameras) लगाकर एक सर्वे करवाया है. जिसके बाद यह बात सामने आई की क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बड़ी समस्या सामने आ रही है. यह कुत्ते बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर शिकार करते हैं. कुछ सालों से ये कुत्ते हिम तेंदुए (snow leopard) का भी शिकार कर रहे हैं. इस प्रकार की बातें स्थानीय लोगों के माध्यम से सामने आई हैं. लेकिन अब ये लोगों के लिए भी भारी परेशानी का कारण बन गए हैं.

उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में पिछले 2-3 सालों से भालुओं का भी काफी आतंक था. जनजातीय विकास मंत्री ने कहा कि कुगति में कांग्रेस शासन काल में भालुओंं के लिए सेंचुरी खोली गई थी. इससे भारी संख्या में भालू वहां वहां दिन को ही दिखाई देते थे. बड़ी संख्या में भालुओं ने वहां आतंक मचाया था. मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों से अब आवार कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक सर्वे करवाया था जिससे पता चला कि क्षेत्र के वन्य प्राणियों और स्थानीय लोगों के लिए आवारा कुत्ते बड़ी समस्या हो गए हैं. उन्होंने कहा कि यह कुत्ते इकट्ठे होकर वन्य प्राणियों का शिकार भी करते हैं. सर्दियों के मौसम में स्थानीय होटल और ढाबे इत्यादि बंद हो जाते हैं. जिसके बाद इन कुत्तों को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता और ये कुत्ते जंगली जानवरों को खाना शुरू कर देते हैं.

ये कुत्ते हिम तेंदुए को भी हानि पहुंचाते देखे गए हैं. मंत्री रामलाल मारकंडा (Minister Ramlal Markanda) ने कहा कि आवारा कुत्तों की इस समस्या से किस प्रकार निपटा जाए इस पर एक सेमिनार का आयोजन भी लाहौल स्पीति में किया गया. उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को मारना भी सही नहीं है इसलिए अब हम नसबंदी का सोच रहे हैं. स्पीति में 718 कुत्तों की नसबंदी की गई है उसी आधार पर लाहौल में भी नसबंदी की जाएगी. जिससे इन कुत्तों के बढ़ने की तादात कम हो जाए. इसके अलावा स्थानीय लोगों को भी लगातार जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए सेमिनार के अलावा छोटे-छोटे कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा.


पांगी और लाहौल स्पीति क्षेत्र में भारी बर्फबारी होने और कम जनसंख्या होने के कारण यह क्षेत्र हिम तेंदुए (snow leopard) के लिए सुरक्षित स्थान बना हुआ है. पिछले दिनों देश भर में पहली बार हुए सर्वे से हिम तेंदुओं की तादाद 73 तक होने का दावा किया गया है. इससे पहले वन्य जीव विभाग (wildlife department) अपने स्तर पर अलग-अलग तरीकों से हिम तेंदुओं पर नजर रखता रहा है, जिसमें करीब तीन दर्जन हिम तेंदुए ही पाए गए थे. अब इनकी संख्या का सही पता सर्वे से चला है.

प्रदेश में 2018 में वन्य जीव विभाग (wildlife department) और मैसूर स्थित नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन (एनसीएफ) की ओर से शुरू किया सर्वे अभियान तीन साल में पूरा हुआ. देश में पहली बार नई तकनीक से प्रदेश के 26112 वर्ग किलोमीटर में हिम तेंदुओं की गिनती के लिए सर्वे हुआ है. इससे पहले वन्य जीव विभाग ने स्पीति में कैमरों की मदद से हिम तेंदुओं पर नजर रखी थी. उस दौरान 35 हिम तेंदुए कैमरे में ट्रैप हुए थे. इस बार सर्वे में स्पीति के अलावा लाहौल, चंबा के पांगी और किन्नौर से भी हिम तेंदुओं (Snow Leopards) की सही गणना का पता चला है.

सर्वे के मुताबिक भागा और भरमौर रेंज में एक-एक, चंद्रा में तीन, कुल्लू में दो, मयाड़ में दो, पिन में छह, बास्पा में तीन, ताबो में नौ, हंगरंग में आठ और शेष स्पीति में नौ हिम तेंदुए कैमरों में कैद हुए. इसके अलावा भी और हिम तेंदुओं का पता चला है. भागा में 30, भरमौर में 21, चंद्रा में 31, कुल्लू में 30, मयाड़ में 36, पिन में 25, बास्पा में 20, ताबो में 29, हंगरंग में 31 और शेष स्पीति में 31 कैमरे लगाए गए हैं.

ये भी पढ़ें : कुल्लू में होमस्टे में पंजीकृत नहीं होंगे ट्री हाउस, बंजार में बने पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र

शिमला: हिमाचल का शीत मरुस्थल दुनिया भर में दुर्लभ प्रजाति के हिम तेंदुए (snow leopard) की पनाहगार के लिए जाना जाता है. प्रदेश में हिम तेंदुओं की संख्या 73 पाई गई है. लेकिन लाहौल स्पीति और पांगी घाटी में हिम तेंदुए के लिए फेरल डॉग (feral dog) खतरा बनते जा रहा रहे हैं. वन्य प्राणी विभाग द्वारा भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (जेड.एस.आई.) कोलकाता के सहयोग से किए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण कोलकाता (Zoological Survey of India Kolkata) द्वारा वन विभाग को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि फेरल डॉग (feral dog) की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने की सख्त जरूरत है. फेरल डॉग की संख्या को अगर समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में आवारा कुत्ते बर्फानी तेंदुए के साथ-साथ इंसानों के लिए भी खतरा साबित हो सकते है. हिम तेंदुए के अलावा यह आवारा कुत्ते अन्य वन्य प्राणियों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं.

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वन विभाग को सौंपी इस रिपोर्ट में आवारा कुत्तों की नसबंदी और स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए सालभर गतिविधियां चलाने का सुझाव दिया गया है. यह अध्ययन सिक्योर हिमालय परियोजना (Secure Himalaya Project) के तहत किया गया है. इसे कैमरा ट्रैप और प्रश्नावली के माध्यम से पूरा किया गया है. अब वन विभाग जल्द ही इस रिपोर्ट को राज्य और केंद्र सरकार को सौंपेगा. भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण रिपोर्ट (Indian Zoological Survey Report) के अनुसार घाटी में घूमने वाले आवारा कुत्तों के मल के अध्ययन से पता चला है कि इनके आहार में मारमोट, भरल, जंगली चूहे या पालतू जानवर भी शामिल हैं.

दरअसल स्थानीय भाषा में इन्हें आवारा कुत्ते ही कहते हैं लेकिन यह फेरल डॉग जंगली कुत्तों और आवारा कुत्तों के बीच की ही प्रजाति है. जब आवारा कुत्ते जंगली जानवरों के भोजन पर निर्भर हो जाते है और जंगलों में ही अपने आवास बना देते है तो उन्हें फेरल डॉग कहा जाता है. पी.सी.सी.एफ. वन विभाग अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट (Secure Himalaya Project) के तहत फेरल डॉग पर की गई स्टडी पूरी हो गई है. वन्य प्राणी सप्ताह के समापन अवसर पर यह रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई है. रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं अब उन पर अमल किया जाएगा.

लाहौल स्पीति के विधायक और जनजातीय विकास मंत्री रामलाल मारकंडा (Minister Ramlal Markanda) ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सीसीटीवी कैमरे (cctv cameras) लगाकर एक सर्वे करवाया है. जिसके बाद यह बात सामने आई की क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बड़ी समस्या सामने आ रही है. यह कुत्ते बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर शिकार करते हैं. कुछ सालों से ये कुत्ते हिम तेंदुए (snow leopard) का भी शिकार कर रहे हैं. इस प्रकार की बातें स्थानीय लोगों के माध्यम से सामने आई हैं. लेकिन अब ये लोगों के लिए भी भारी परेशानी का कारण बन गए हैं.

उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में पिछले 2-3 सालों से भालुओं का भी काफी आतंक था. जनजातीय विकास मंत्री ने कहा कि कुगति में कांग्रेस शासन काल में भालुओंं के लिए सेंचुरी खोली गई थी. इससे भारी संख्या में भालू वहां वहां दिन को ही दिखाई देते थे. बड़ी संख्या में भालुओं ने वहां आतंक मचाया था. मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों से अब आवार कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक सर्वे करवाया था जिससे पता चला कि क्षेत्र के वन्य प्राणियों और स्थानीय लोगों के लिए आवारा कुत्ते बड़ी समस्या हो गए हैं. उन्होंने कहा कि यह कुत्ते इकट्ठे होकर वन्य प्राणियों का शिकार भी करते हैं. सर्दियों के मौसम में स्थानीय होटल और ढाबे इत्यादि बंद हो जाते हैं. जिसके बाद इन कुत्तों को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता और ये कुत्ते जंगली जानवरों को खाना शुरू कर देते हैं.

ये कुत्ते हिम तेंदुए को भी हानि पहुंचाते देखे गए हैं. मंत्री रामलाल मारकंडा (Minister Ramlal Markanda) ने कहा कि आवारा कुत्तों की इस समस्या से किस प्रकार निपटा जाए इस पर एक सेमिनार का आयोजन भी लाहौल स्पीति में किया गया. उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को मारना भी सही नहीं है इसलिए अब हम नसबंदी का सोच रहे हैं. स्पीति में 718 कुत्तों की नसबंदी की गई है उसी आधार पर लाहौल में भी नसबंदी की जाएगी. जिससे इन कुत्तों के बढ़ने की तादात कम हो जाए. इसके अलावा स्थानीय लोगों को भी लगातार जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए सेमिनार के अलावा छोटे-छोटे कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा.


पांगी और लाहौल स्पीति क्षेत्र में भारी बर्फबारी होने और कम जनसंख्या होने के कारण यह क्षेत्र हिम तेंदुए (snow leopard) के लिए सुरक्षित स्थान बना हुआ है. पिछले दिनों देश भर में पहली बार हुए सर्वे से हिम तेंदुओं की तादाद 73 तक होने का दावा किया गया है. इससे पहले वन्य जीव विभाग (wildlife department) अपने स्तर पर अलग-अलग तरीकों से हिम तेंदुओं पर नजर रखता रहा है, जिसमें करीब तीन दर्जन हिम तेंदुए ही पाए गए थे. अब इनकी संख्या का सही पता सर्वे से चला है.

प्रदेश में 2018 में वन्य जीव विभाग (wildlife department) और मैसूर स्थित नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन (एनसीएफ) की ओर से शुरू किया सर्वे अभियान तीन साल में पूरा हुआ. देश में पहली बार नई तकनीक से प्रदेश के 26112 वर्ग किलोमीटर में हिम तेंदुओं की गिनती के लिए सर्वे हुआ है. इससे पहले वन्य जीव विभाग ने स्पीति में कैमरों की मदद से हिम तेंदुओं पर नजर रखी थी. उस दौरान 35 हिम तेंदुए कैमरे में ट्रैप हुए थे. इस बार सर्वे में स्पीति के अलावा लाहौल, चंबा के पांगी और किन्नौर से भी हिम तेंदुओं (Snow Leopards) की सही गणना का पता चला है.

सर्वे के मुताबिक भागा और भरमौर रेंज में एक-एक, चंद्रा में तीन, कुल्लू में दो, मयाड़ में दो, पिन में छह, बास्पा में तीन, ताबो में नौ, हंगरंग में आठ और शेष स्पीति में नौ हिम तेंदुए कैमरों में कैद हुए. इसके अलावा भी और हिम तेंदुओं का पता चला है. भागा में 30, भरमौर में 21, चंद्रा में 31, कुल्लू में 30, मयाड़ में 36, पिन में 25, बास्पा में 20, ताबो में 29, हंगरंग में 31 और शेष स्पीति में 31 कैमरे लगाए गए हैं.

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Last Updated : Jan 4, 2022, 2:55 PM IST
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