शिमला: कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस के बाद बच्चों को शिकार बना रहे मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (Multi-System Inflammatory Syndrome) के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है. देश की राजधानी दिल्ली और उसके सटे इलाकों में इस बीमारी से जुड़े 177 मामले सामने आए हैं. इनमें से 109 अकेले राजधानी दिल्ली में ही दर्ज किए गए हैं. वहीं पहाड़ी राज्य हिमाचल में अभी तक इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है.
इस बीमारी को लेकर जब राजधानी शिमला के आईजीएमसी अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र सिंह से बात की गई तो उनका कहना है कि कोरोना वायरस से उबर रहे बच्चों में यह बीमारी देखी जा रही है. यह बीमारी खतरनाक है, लेकिन आईजीएमसी में अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं आया है.
बच्चों में होने वाली बीमारी के लक्षण
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से उबर रहे बच्चों में बुखार, सांस लेने में परेशानी, पेट दर्द, होठ सूखना, आंखों के नीचे निशान पड़ना, त्वाचा और नाखुनों का नीला पड़ना, ह्रदय, फेफड़ों और मस्तिष्क में सूजन इस बीमारी के लक्षण है. यह बीमारी सबसे ज्यादा 6 महीने से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपना शिकार बना रही है. बच्चों में ऐसे लक्षण नजर आते ही उन्हें फौरन डॉक्टर्स से दिखाना चाहिए.
ये भी पढ़ें: हिमाचल के लिए बढ़ा कोविशील्ड वैक्सीन का कोटा, मिलेंगी टीके की 1.67 लाख खुराकें
शरीर के ये अंग हो सकते हैं प्रभावित
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि कोरोना महामारी से उबरे बच्चों के ‘मल्टी-सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम’ (MIS-C) से संक्रमित होने का खतरा पैदा हो सकता है. यह बीमारी खतरनाक है. यह बच्चों के ह्रदय, लीवर और गुर्दे को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है.
कोरोना होने के 2 से 6 सप्ताह के भीतर होता है संक्रमण
आईजीएमसी के बाल रोग विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके डॉ. अश्वनी सूद इस बीमारी के बारे में बताते हैं कि कोरोना संक्रमित बच्चों में यह बीमारी 2 से 6 सप्ताह के भीतर होती है. उनका कहना है कि एमआईएस-सी कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए शरीर में बने एंटीजन से प्रतिक्रिया का नतीजा है.
ये भी पढ़ें: स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी लग सकती है कोरोना वैक्सीन, तैयार किया जा रहा है डाटा