शिमला: आईजीएमसी के जेनेरिक स्टोर में नॉर्मल दवाइयां भी नहीं मिलती हैं. हद तो यह है कि नॉर्मल दवाईयों में कई बार बुखार और गले में दर्द तक की दवाइयां नहीं मिलती. अस्पताल में दाखिल एक मरीज के तीमारदार रविंदर ने कहा कि वह गले में दर्द और बुखार सहित अन्य दवाईयां लेने गया तो उसे यह दवाइयां नहीं मिल पाईं.
वहीं, ओपीडी में चेक करवाने आए मरीज आयुष ने बताया कि उन्हें चिकित्सक ने बताया कि ये सारी दवाइयां निशुल्क जेनेरिक स्टोर में मिल जाएंगी. इसलिए वह इतनी दूर नीचे नई बिल्डिंग में आए, लेकिन यहां काउंटर पर बताया गया कि यह दवाई यहां नहीं है. जब जेनेरिक में तैनात कर्मचारियों से पूछा गया कि यह बेसिक दवाइयां क्या जेनेरिक स्टोर में उपलबध नहीं हैं. ऐेसे में कर्मचारियों ने भी जबाव दिया कि हम वही दवाइयां देंगे जो हमारे पास उपलबध हैं.
ऐसे में मरीज को दवाइयों के लिए केमिस्ट की दुकानों में जाना पड़ा. जहां ज्यादा पैसे खर्च कर उन्हें दवाइयां मिल पाई. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आईजीएमसी प्रशासन निशुल्क दवाइयां देने को लेकर एक से बढ़कर एक दावा कर रहा है, लेकिन यहां पर स्थिति कुछ और ही बंया कर रही है.
हालांकि प्रशासन ने दवाइयों के स्टॉक को बढ़ा दिया है. अब 250 की जगह पर 355 दवाइयां निशुल्क उपलबध करवाने का दावा किया है, लेकिन यहां पर गले में दर्द और बुखार तक की बेसिक दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं. प्रशासन ने आईजीएमसी में 355 ब्रांडेड जेनेरिक दवाइयां देने का दावा तो कर दिया है, लेकिन यह दवाइयां भी अभी उपलब्ध नहीं हैं.
वहीं, हिमकेयर कार्ड धारकों को भी पहले इसी जेनेरिक निशुल्क स्टोर में भेजा जाता है. जब यहां दवाई नहीं मिलती फिर जन औषधि से निशुल्क दवाई दी जाती है, लेकिन इस दौरान मरीज को ऊपर नीचे चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ता है. दूसरी ओर अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि मरीज अधिक आ रहे हैं और कई बार कोई दवाई नहीं मिल पाती है वैसे सभी दवाइयां दी जा रही हैं.
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