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दिल्ली के शिक्षा मॉडल को मंत्री सुरेश भारद्वाज ने किया खारिज, हिमाचल के मॉडल को बताया बेहतर - शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज

हिमाचल सरकार ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को सिरे से खारिज कर दिया और प्रदेश में शिक्षा के मॉडल को दिल्ली से बेहतर बताया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें दिल्ली का मॉडल अडॉप्ट नहीं करना है.

education minister suresh bhardwaj
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज
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Published : Feb 17, 2020, 11:08 PM IST

शिमला: आज देश भर में दिल्ली के शिक्षा मॉडल की चर्चा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने शिक्षा के मॉडल को देश भर से बेहतर बताया था. वहीं, हिमाचल सरकार ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को नकार दिया और प्रदेश में शिक्षा के मॉडल को दिल्ली से बेहतर बताया है.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल देश भर में अव्वल है. दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस , दिल्ली मॉडल ऑफ डेवलपमेंट की बात हो रही है लेकिन शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल दिल्ली से बेहतर है. दिल्ली देश की राजधानी है और वहां मात्र चार-पांच स्कूलों को ही बेहतरीन बनाया गया है.

हिमाचल में 70 लाख में से 6 लाख के करीब लोग ही शहरों में रहते हैं और बाकी ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. ऐसे में हम दिल्ली को चैलेंज कर सकते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था दिल्ली से बेहतर है. सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के इंडिकेटर में एजुकेशन की दृष्टि से हिंदुस्तान में हम नंबर एक पर हैं. यह फिगर प्लानिंग की मीटिंग से निकलकर सामने आया है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें दिल्ली का मॉडल अडॉप्ट नहीं करना है. हमारा प्रयास शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है और उसी लक्ष्य को लेकर स्मार्ट क्लास रूम, वर्चुअल क्लास रूम, आईसीटी लैब, लैंग्वेज लैब और स्पोर्ट्स की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. सबसे बड़ी कमी पब्लिक स्पीकिंग एंड ग्रुप डिस्कशन है, जिसे पूरा करने के लिए सरकारी स्कूलों में पहल की जाएगी और बजट में भी इसके लिए प्रावधान किया जाएगा. सरकारी स्कूलों के बच्चों के स्पीकिंग स्किल्स अच्छा हो इसके लिए शिक्षकों को काम करना होगा. कम्युनिकेशन स्किल्स अगर अच्छे होते हैं तो हमारे बच्चे कहीं पर भी आगे जा सकते हैं.

वीडियो

स्कूलों में भरे जा रहे है शिक्षकों के रिक्त पद

शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में सबसे अधिक शिक्षकों के पद इस सरकार में भरे गए हैं. इतने शिक्षक पिछले 10 सालों में नहीं भरे गए. दो वर्षों में हमने स्कूलों में 700 शिक्षकों के पद भरे हैं. हमारा प्रयास यही है कि हम स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने के लिए सिलेक्शन प्रोसेस से शिक्षकों की नियुक्तियां करें. जिसमें कई बार दिक्कत आती हैं और लंबा समय इसमें लग जाता है.

वहीं, कुछ मामले कोर्ट में जाने की वजह से अटक जाते हैं लेकिन सरकार का प्रयास है की रेगुलर टीचर भर्ती की जाए. जो शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनके पदों पर पहले ही नियुक्तियां करने के लिए कैबिनेट में मंजूरी दिलवा कर हमने अगले साल के लिए रिक्तिजिशन कमीशन को भेज दी है.

ये भी पढ़ें: लैपटॉप वितरण कार्यक्रम में अव्यवस्था पर भड़के शिक्षा मंत्री, स्कूल प्रबंधक को लगाई फटकार

शिमला: आज देश भर में दिल्ली के शिक्षा मॉडल की चर्चा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने शिक्षा के मॉडल को देश भर से बेहतर बताया था. वहीं, हिमाचल सरकार ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को नकार दिया और प्रदेश में शिक्षा के मॉडल को दिल्ली से बेहतर बताया है.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल देश भर में अव्वल है. दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस , दिल्ली मॉडल ऑफ डेवलपमेंट की बात हो रही है लेकिन शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल दिल्ली से बेहतर है. दिल्ली देश की राजधानी है और वहां मात्र चार-पांच स्कूलों को ही बेहतरीन बनाया गया है.

हिमाचल में 70 लाख में से 6 लाख के करीब लोग ही शहरों में रहते हैं और बाकी ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. ऐसे में हम दिल्ली को चैलेंज कर सकते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था दिल्ली से बेहतर है. सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के इंडिकेटर में एजुकेशन की दृष्टि से हिंदुस्तान में हम नंबर एक पर हैं. यह फिगर प्लानिंग की मीटिंग से निकलकर सामने आया है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें दिल्ली का मॉडल अडॉप्ट नहीं करना है. हमारा प्रयास शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है और उसी लक्ष्य को लेकर स्मार्ट क्लास रूम, वर्चुअल क्लास रूम, आईसीटी लैब, लैंग्वेज लैब और स्पोर्ट्स की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. सबसे बड़ी कमी पब्लिक स्पीकिंग एंड ग्रुप डिस्कशन है, जिसे पूरा करने के लिए सरकारी स्कूलों में पहल की जाएगी और बजट में भी इसके लिए प्रावधान किया जाएगा. सरकारी स्कूलों के बच्चों के स्पीकिंग स्किल्स अच्छा हो इसके लिए शिक्षकों को काम करना होगा. कम्युनिकेशन स्किल्स अगर अच्छे होते हैं तो हमारे बच्चे कहीं पर भी आगे जा सकते हैं.

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स्कूलों में भरे जा रहे है शिक्षकों के रिक्त पद

शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में सबसे अधिक शिक्षकों के पद इस सरकार में भरे गए हैं. इतने शिक्षक पिछले 10 सालों में नहीं भरे गए. दो वर्षों में हमने स्कूलों में 700 शिक्षकों के पद भरे हैं. हमारा प्रयास यही है कि हम स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने के लिए सिलेक्शन प्रोसेस से शिक्षकों की नियुक्तियां करें. जिसमें कई बार दिक्कत आती हैं और लंबा समय इसमें लग जाता है.

वहीं, कुछ मामले कोर्ट में जाने की वजह से अटक जाते हैं लेकिन सरकार का प्रयास है की रेगुलर टीचर भर्ती की जाए. जो शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनके पदों पर पहले ही नियुक्तियां करने के लिए कैबिनेट में मंजूरी दिलवा कर हमने अगले साल के लिए रिक्तिजिशन कमीशन को भेज दी है.

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