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अब ड्रोन से सेब के पौधों पर होगा स्प्रे, बागवानों को होगा मुनाफा - शिमला

उद्यान विभाग द्वारा सेब के बगीचों में ड्रोन स्प्रे का ट्रायल किया जा रहा है. ट्रायल में कुछ खामियां सामने आई हैं, जिसे विभाग दूर करने का प्रयास कर रहा है.

सेब के पौधों में छिड़काव करने की आधुनिक तकनीक ड्रोन स्प्रे
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Published : Apr 20, 2019, 3:00 PM IST

शिमला: बागवानी विभाग अब विदेशों की तर्ज पर सेब के बगीचों में ड्रोन स्प्रे का ट्रायल कर रहा है. ट्रायल में कुछ खामियां सामने आई हैं, जिसे विभाग दूर करने का प्रयास कर रहा है. विभाग अलग-अलग क्षेत्रों में एक साल तक ट्राइल करेगा.

ट्रायल सफल होने के बाद बागवानों को दवाइयों के छिड़काव के लिए ये ड्रोन मुहैया करवाए जाएंगे. बता दें कि स्प्रे के लिए ड्रोन का प्रयोग समय और दवाइयों की बचत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी कारगार साबित होगा. प्रदेश में सेब उत्पादन लागत विदेशों की तुलना में चार गुना ज्यादा है. इस लागत को कम करने के लिए उद्यान विभाग नए प्रयोग कर रहा है.

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उद्यान विभाग ने विश्व पोषित परियोजना के तहत एक कंसलटेंट कंपनी को सेब के बागीचों में स्प्रे के लिए विदेशी तकनीक अपनाने को कहा है. बता दें कि प्रदेश की आर्थिकी में सेब का बड़ा योगदान है. ज्यादातर शिमला, कुल्लू, किन्नौर के लोगों की आर्थिक स्थिति सेब पर ही निर्भर रहते है. इन क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक का कम प्रयोग होने से सेब पर लागत काफी ज्यादा आती है.

शिमला: बागवानी विभाग अब विदेशों की तर्ज पर सेब के बगीचों में ड्रोन स्प्रे का ट्रायल कर रहा है. ट्रायल में कुछ खामियां सामने आई हैं, जिसे विभाग दूर करने का प्रयास कर रहा है. विभाग अलग-अलग क्षेत्रों में एक साल तक ट्राइल करेगा.

ट्रायल सफल होने के बाद बागवानों को दवाइयों के छिड़काव के लिए ये ड्रोन मुहैया करवाए जाएंगे. बता दें कि स्प्रे के लिए ड्रोन का प्रयोग समय और दवाइयों की बचत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी कारगार साबित होगा. प्रदेश में सेब उत्पादन लागत विदेशों की तुलना में चार गुना ज्यादा है. इस लागत को कम करने के लिए उद्यान विभाग नए प्रयोग कर रहा है.

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उद्यान विभाग ने विश्व पोषित परियोजना के तहत एक कंसलटेंट कंपनी को सेब के बागीचों में स्प्रे के लिए विदेशी तकनीक अपनाने को कहा है. बता दें कि प्रदेश की आर्थिकी में सेब का बड़ा योगदान है. ज्यादातर शिमला, कुल्लू, किन्नौर के लोगों की आर्थिक स्थिति सेब पर ही निर्भर रहते है. इन क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक का कम प्रयोग होने से सेब पर लागत काफी ज्यादा आती है.

Intro:अब हिमाचल के बागवान भी ड्रोन बसे सेब के पेड़ों पर स्प्रे करेगे। उद्यमी विभाग द्वारा पहाड़ो में विदेशो की तर्ज पर सेब के बगीचों में ड्रोन से स्प्रे के लिए इन दिनों ऊपरी शिमला के क्षेत्रों में ड्रोन से स्प्रे के लिए ट्रायल किया जा रहा है। ट्रायल सफल होने के बाद बागवानों को दवाइयों के छिड़काव के लिए ये ड्रोन मुहैया करवाए जाएंगे। ड्रोन के प्रयोग से जहा समय और दवाइयों की बचत होगी वही पर्यावरण संरक्षण में भी कारगार साबित होगा। प्रदेश में सेब उत्पादन लागत विदेशो की तुलना में चार गुना ज्यादा है। इस लागत को कम करने के लिए उद्यान विभाग नए प्रयोग कर रहा है । इसी के तहत उद्यान विभाग ने विश्व पोषित परियोजना के तहत एक कंसलटेंट कंपनी को सेब के बागीचों के स्प्रे के लिए विदेशी तकनीक अपनाने का प्रयोग कर रही है।


Body:विभाग द्वारा ड्रोन द्वारा ऊपरी क्षेत्रो में सेब के पेड़ों पर स्प्रे का ट्रायल किया जा रहा है। इसमें कुछ खामियां सामने आई है जिसे विभाग दूर करने में लगा हुआ है। विभाग अलग अलग क्षेत्रो में एक साल तक ट्राइल चलता रहेगा। ट्राइल सफल होता है तो खास कर बागवानों को काफी राहत मिलेगी। अभी बागवानों को स्प्रे करने के लिए मजदूरों की सहायता लेनी पड़ती है इससे जहा समय काफी लग जाता है ओर दवाइया भी ज्यादा खर्च हो जाती है। और पेड़ो ओर सही से छिड़काव भी नही हो पाता है। ऐसे में ड्रोन से जहा काम जल्द होगा वही दवाइयों की बचत भी होगी।


Conclusion:बता दे हिमाचल से बहुल राज्य है और प्रदेश की आर्थिकी में सेब का बड़ा योगदान है। ज्यादा तर शिमला कुल्लू किन्नौर में लोग सेब पर निर्भर रहते है। लेकिन यहां आधुनिक तकनीक का बहुत कम प्रयोग किया जाता है जिससे सेब पर लागत काफी ज्यादा आती है।
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