ETV Bharat / city

अलविदा डिस्को किंग: ट्रेंड सेटिंग संगीतकार ही नहीं फैशन आइकन भी थे बप्पी दा

author img

By

Published : Feb 16, 2022, 9:48 AM IST

मशहूर सिंगर और कंपोजर बप्पी लाहिरी का मुंबई (Mumbai) में जुहू के क्रिटी केयर अस्पताल में निधन (singer bappi lahiri passed away) हो गया है. बप्पी दा के नाम से मशहूर आलोकेश लाहिरी 69 साल के थे. उन्होंने भारतीय सिनेमा को कई अच्छे संगीत दिए, जिस दौर में लोग रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते थे. उस वक्त बप्पी ने बॉलीवुड में 'डिस्को डांस' को इंट्रोड्यूस करवाया था. उनके निधन से देश में शोक की लहर है. लोग उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

singer bappi lahiri passed away
अलविदा डिस्को किंग

नई दिल्ली: singer bappi lahiri passed away: महज 11 साल की उम्र में बप्पी लाहिरी ने अपना पहला गीत तैयार किया था और इससे पहले कि वह 20 की उम्र पार करते, संगीत निर्देशक बनने के उद्देश्य से सपनों की नगरी मुंबई आ गए. एक दशक के अंदर ही उन्होंने हिंदी फिल्मों में एक ब्रांड न्यू साउंड पेश किया. जिसको 'डिस्को' के नाम से जाना गया.

एक्शन ड्रामा 'सुरक्षा' के लिए किए गए उनके एक छोटे से प्रयोग ने हिंदी फिल्म उद्योग में संगीत क्रांति की लहर ला दी. जब उनकी रचना 'मौसम है गाने का' सामने आई, तो इसने हिंदी फिल्मों में डिस्को संस्कृति के लिए एक मिसाल कायम की. उस फिल्म की रातों रात सफलता और इसके साउंडट्रैक ने मिथुन चक्रवर्ती को एक स्टार के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत किया.

अलोकेश लाहिरी के रूप में जन्में बप्पी 80 के दशक के सबसे लोकप्रिय संगीतकारों में से एक थे. बप्पी ने 80 और 90 के दशक में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की. इस दौरान उन्होंने 'डिस्को किंग' के रूप में शोहरत हासिल की. जब उनके एक के बाद एक गानों ने 'डिस्को डांसर, नमक हलाल, डांस डांस और कमांडो' जैसी फिल्मों में धमाल मचाया.

बप्पी ने 'हरी ओम हरी, रंभा हो, यार बीना, दे दे प्यार दे और जवानी जान-ए-मन' जैसी हिट फिल्मों के साथ अपने आकर्षण का जादू जारी रखा. उन्होंने न केवल डिस्को बीट को भारतीय गीतों में लाया, बल्कि उन्होंने अपने संगीत में अंतरराष्ट्रीय लोगों को भी निपुण किया. बप्पी को उनकी डिस्को धुनों के साथ एक क्रांति लाने के लिए किसने प्रेरित किया? खैर, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

1979 में, लाहिरी अपने किशोर मामा (किशोर कुमार) के साथ अमेरिका के दौरे पर थे और यह शिकागो के एक नाइट क्लब की यात्रा थी, जिसने उनके जीवन को काफी बदल दिया. जीवन को बदलने वाले उस घटनाक्रम को याद करते हुए लाहिरी ने बताया, 'क्लब में डिस्क जॉकी ने कहा कि वह डिस्को बजाएंगे और उन्होंने सैटरडे नाइट फीवर बजा दिया. मैंने सुना कि थंपिंग बीट है और तभी मैंने फैसला किया कि मैं उसे भारत लेकर जा रहा हूं'. हालांकि, लाहिड़ी ने इस नई खोजी गई आवाज को सीधे पेश नहीं किया. उन्होंने आराम से अपने लिए एक सही मौका आने का इंतजार किया.

और यह निश्चित रूप से हुआ!

फिल्म निर्माता रविकांत नगाइच ने बप्पी को फोन किया और उन्हें इस नए लड़के के बारे में जानकारी दी, जो जॉन ट्रावोल्टा और ब्रूस ली से मिलता जुलता लगता था. बप्पी को बी सुभाष द्वारा निर्देशित की जा रही, फिल्म में उसके लिए बीट बनाने के लिए कहा गया था, यह फिल्म थी 'डिस्को डांसर' और नया लड़का कोई और नहीं बल्कि मिथुन थे.

बप्पी ने बदलते वक्त के साथ भी अपने संगीत को बनाए रखने में विश्वास किया. हालांकि, डिस्को का ट्रेंड तब स्टाइल से बाहर हो गया, जब नदीम-श्रवण, आनंद-मिलिंद और जतिन-ललित ने फिल्मों में धुनों की प्रवृत्ति को वापस लाया. बप्पी ने दर्शकों के स्वाद में बदलाव का स्वागत करते हुए कहा, 'ट्रेंड आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन अच्छा संगीत हमेशा रहता है. ईडीएम कृतियों में से सबसे अच्छा भी यहां होगा. जिस तरह हम पुराने गीतों को उतनी ही ऊर्जा और प्रेम के साथ आज भी गाते हैं.'

अनादिकाल से हिंदी सिनेमा में साहित्यिक चोरी बहुत गहरी चलती चली आ रही है. अगर उस वक्त इंटरनेट का आज की तरह बोलबाला होता, तो हिंदी सिनेमा की कई जानी मानी शख्सियतों को दर्शकों द्वारा पश्चिम की नकल करने के लिए कहा गया होता और बप्पी भी उन्हीं में से एक थे.

ये भी पढ़ें: नहीं रहे बप्पी दा, मुंबई में ली अंतिम सांस

संगीतकार ने डॉ ड्रे के खिलाफ एक मुकदमा जीता, जिसमें हिप-हॉप हिट 'एडिक्टिव' की बिक्री को रोकने की कोशिश की गई, जिसने उनके गाने 'थोड़ा रेशम लगता है' के कुछ हिस्सों को चलाया. विडंबना यह है कि, लाहिरी पर दुनिया भर के हिट गानों से ''प्रेरित'' होने का भी आरोप लगाया गया था. अपने बचाव में, बप्पी ने हमेशा कहा कि डिस्को एक शैली के रूप में भारतीय नहीं है. इसलिए, जब आप उस ध्वनि को भारत लाना चाहते हैं, तो कोई संदर्भ ढूंढते हैं और इस प्रक्रिया में मूल रूप से प्रेरित और मूल कार्य से प्रभावित होता ही है.'

तेजतर्रार संगीतकार न सिर्फ एक ट्रेंड सेटिंग संगीतकार थे, बल्कि उनकी ट्रेडमार्क ड्रेसिंग स्टाइल के लिए एक फैशन आइकन भी रहे हैं. लाहिरी, जो बचपन से एल्विस प्रेस्ली के एक उत्साही प्रशंसक थे, हिंदी संगीत उद्योग में उनके अप्रभावी संकीर्णता के कारण एक प्रतिष्ठित फैशन फिगर भी रहे हैं.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली: singer bappi lahiri passed away: महज 11 साल की उम्र में बप्पी लाहिरी ने अपना पहला गीत तैयार किया था और इससे पहले कि वह 20 की उम्र पार करते, संगीत निर्देशक बनने के उद्देश्य से सपनों की नगरी मुंबई आ गए. एक दशक के अंदर ही उन्होंने हिंदी फिल्मों में एक ब्रांड न्यू साउंड पेश किया. जिसको 'डिस्को' के नाम से जाना गया.

एक्शन ड्रामा 'सुरक्षा' के लिए किए गए उनके एक छोटे से प्रयोग ने हिंदी फिल्म उद्योग में संगीत क्रांति की लहर ला दी. जब उनकी रचना 'मौसम है गाने का' सामने आई, तो इसने हिंदी फिल्मों में डिस्को संस्कृति के लिए एक मिसाल कायम की. उस फिल्म की रातों रात सफलता और इसके साउंडट्रैक ने मिथुन चक्रवर्ती को एक स्टार के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत किया.

अलोकेश लाहिरी के रूप में जन्में बप्पी 80 के दशक के सबसे लोकप्रिय संगीतकारों में से एक थे. बप्पी ने 80 और 90 के दशक में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की. इस दौरान उन्होंने 'डिस्को किंग' के रूप में शोहरत हासिल की. जब उनके एक के बाद एक गानों ने 'डिस्को डांसर, नमक हलाल, डांस डांस और कमांडो' जैसी फिल्मों में धमाल मचाया.

बप्पी ने 'हरी ओम हरी, रंभा हो, यार बीना, दे दे प्यार दे और जवानी जान-ए-मन' जैसी हिट फिल्मों के साथ अपने आकर्षण का जादू जारी रखा. उन्होंने न केवल डिस्को बीट को भारतीय गीतों में लाया, बल्कि उन्होंने अपने संगीत में अंतरराष्ट्रीय लोगों को भी निपुण किया. बप्पी को उनकी डिस्को धुनों के साथ एक क्रांति लाने के लिए किसने प्रेरित किया? खैर, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

1979 में, लाहिरी अपने किशोर मामा (किशोर कुमार) के साथ अमेरिका के दौरे पर थे और यह शिकागो के एक नाइट क्लब की यात्रा थी, जिसने उनके जीवन को काफी बदल दिया. जीवन को बदलने वाले उस घटनाक्रम को याद करते हुए लाहिरी ने बताया, 'क्लब में डिस्क जॉकी ने कहा कि वह डिस्को बजाएंगे और उन्होंने सैटरडे नाइट फीवर बजा दिया. मैंने सुना कि थंपिंग बीट है और तभी मैंने फैसला किया कि मैं उसे भारत लेकर जा रहा हूं'. हालांकि, लाहिड़ी ने इस नई खोजी गई आवाज को सीधे पेश नहीं किया. उन्होंने आराम से अपने लिए एक सही मौका आने का इंतजार किया.

और यह निश्चित रूप से हुआ!

फिल्म निर्माता रविकांत नगाइच ने बप्पी को फोन किया और उन्हें इस नए लड़के के बारे में जानकारी दी, जो जॉन ट्रावोल्टा और ब्रूस ली से मिलता जुलता लगता था. बप्पी को बी सुभाष द्वारा निर्देशित की जा रही, फिल्म में उसके लिए बीट बनाने के लिए कहा गया था, यह फिल्म थी 'डिस्को डांसर' और नया लड़का कोई और नहीं बल्कि मिथुन थे.

बप्पी ने बदलते वक्त के साथ भी अपने संगीत को बनाए रखने में विश्वास किया. हालांकि, डिस्को का ट्रेंड तब स्टाइल से बाहर हो गया, जब नदीम-श्रवण, आनंद-मिलिंद और जतिन-ललित ने फिल्मों में धुनों की प्रवृत्ति को वापस लाया. बप्पी ने दर्शकों के स्वाद में बदलाव का स्वागत करते हुए कहा, 'ट्रेंड आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन अच्छा संगीत हमेशा रहता है. ईडीएम कृतियों में से सबसे अच्छा भी यहां होगा. जिस तरह हम पुराने गीतों को उतनी ही ऊर्जा और प्रेम के साथ आज भी गाते हैं.'

अनादिकाल से हिंदी सिनेमा में साहित्यिक चोरी बहुत गहरी चलती चली आ रही है. अगर उस वक्त इंटरनेट का आज की तरह बोलबाला होता, तो हिंदी सिनेमा की कई जानी मानी शख्सियतों को दर्शकों द्वारा पश्चिम की नकल करने के लिए कहा गया होता और बप्पी भी उन्हीं में से एक थे.

ये भी पढ़ें: नहीं रहे बप्पी दा, मुंबई में ली अंतिम सांस

संगीतकार ने डॉ ड्रे के खिलाफ एक मुकदमा जीता, जिसमें हिप-हॉप हिट 'एडिक्टिव' की बिक्री को रोकने की कोशिश की गई, जिसने उनके गाने 'थोड़ा रेशम लगता है' के कुछ हिस्सों को चलाया. विडंबना यह है कि, लाहिरी पर दुनिया भर के हिट गानों से ''प्रेरित'' होने का भी आरोप लगाया गया था. अपने बचाव में, बप्पी ने हमेशा कहा कि डिस्को एक शैली के रूप में भारतीय नहीं है. इसलिए, जब आप उस ध्वनि को भारत लाना चाहते हैं, तो कोई संदर्भ ढूंढते हैं और इस प्रक्रिया में मूल रूप से प्रेरित और मूल कार्य से प्रभावित होता ही है.'

तेजतर्रार संगीतकार न सिर्फ एक ट्रेंड सेटिंग संगीतकार थे, बल्कि उनकी ट्रेडमार्क ड्रेसिंग स्टाइल के लिए एक फैशन आइकन भी रहे हैं. लाहिरी, जो बचपन से एल्विस प्रेस्ली के एक उत्साही प्रशंसक थे, हिंदी संगीत उद्योग में उनके अप्रभावी संकीर्णता के कारण एक प्रतिष्ठित फैशन फिगर भी रहे हैं.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.