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सत्यानंद स्टोक्स को पद्मश्री देने की उठी मांग, 16 अगस्त को Apple Day के रूप में मनाने की मांग

शिमला से सत्यानंद स्टोक्स को पद्मश्री दिलाने की मांग उठी है. हिमाचल में सेब को लाने वाले सत्यानंद स्टोक्स ही थे. उन्हीं की कवायत की बदौलत आज सेब प्रदेश की आर्थिकी का साधन बन चुका है. ऊपरी शिमला में सेब से लोगों को अच्छी कमाई हो रही है और ये सब स्टोक्स की ही देन है.

सत्यानंद स्टोक्स
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Published : Jul 31, 2021, 5:27 PM IST

शिमला: हिमाचल में सेब उत्पादन के जनक सत्यानंद स्टोक्स को पद्मश्री दिलाने की मांग जोर पड़कने लगी है. राजधानी शिमला में शनिवार को जिला परिषद की बैठक में सत्यानंद स्टोक्स को पद्मश्री देने को लेकर बाकायदा प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा गया.

बैठक में कोटगढ़ के भुट्टी वार्ड के सदस्य सुभाष कैंथला द्वारा सदन में ये प्रस्ताव लाया गया था. जिसे बैठक में सर्वसम्मति से पारित कर सरकार को भेजा गया. सुभाष कैंथला ने प्रस्ताव में कहा कि साल 1916 में सत्यानंद स्टोक्स ने अमेरिका से आकर कोटगढ़ की थानाधार पंचायत के बारूबाग में सेब का पहला बगीचा तैयार किया. इसके चलते शिमला की तकदीर बदली और आज हिमाचल की आर्थिकी में सेब का बहुत बड़ा योगदान है.

वीडियो.

ऊपरी शिमला में सेब से लोगों को अच्छी कमाई हो रही है और ये सब स्टोक्स की देन है. लेकिन न तो केंद्र और न ही प्रदेश सरकार ने उनको सम्मान दिया. इसके अलावा उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया और जेल भी गए. बावजूद इसके हर सरकार उन्हें नजरअंदाज करती आई है.

वहीं, उन्होंने शिमला के रिज मैदान पर सत्या नंद स्टोक्स की प्रतिमा लगाने और उनके जन्मदिन 16 अगस्त को एप्पल डे के रूप में मनाने की घोषणा करने की मांग भी उठाई. वहीं, जिला परिषद अध्यक्ष चन्द्र प्रभा नेगी ने कहा की सत्या नंद स्टोक्स को पद्मश्री दिलाने को लेकर सदन में सदन द्वारा प्रस्ताव लाया गया है. उसे पारित कर सरकार को भेज दिया गया है.

जिला परिषद की बैठक
जिला परिषद की बैठक

सत्यानंद स्टोक्स जिनका वास्तविक नाम सैमुअल एवास स्टोक्स था. उनका जन्म 16 अगस्त 1882 को अमेरिका में हुआ. उनके पिता इंजीनियर थे. पूर्व कांग्रेस मंत्री विद्या स्टोक्स के ससुर सत्यानंद स्टोक्स साल 1904 में शिमला के सपाटू नामक स्थान पर ठहरे. वहां उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा की. जिस सेब ने हिमाचल को नई पहचान दिलाई, वो पहले यहां की वादियों में नहीं होता था. सत्यानंद स्टोक्स ने सेब को अमेरिका से लाकर थानाधार के बारूबाग में वर्ष 1916 में लगाया और दो बीघा जमीन पर शुरू हुई सेब की खेती अब एक लाख 10 हजार हेक्टेयर में फैल चुकी है.

सत्यानंद स्टोक्स ने कृषि जलवायु की दृष्टि से अति उपयुक्त मगर कठिन क्षेत्र कोटगढ़ में सेब की वैज्ञानिक ढंग से खेती की और लोगों को इस फल के उत्पादन की ओर आकर्षित किया. इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप कोटगढ़ का क्षेत्र बेहतरीन किस्म का सेब उत्पादित करने में हिमाचल के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया. साल 1946 में सत्यानंद स्टोक्स की मृत्यु हुई.

ये भी पढ़ें- अराजपत्रित प्रदेश कर्मचारी महासंघ की मान्यता पर विनोद गुट ने उठाए सवाल, सरकार को घेरा

ये भी पढ़ें: बारिश का कहर! रुलदुभट्टा में कच्चे मकान का हिस्सा ढहा, 9 वर्षीय बच्ची घायल

शिमला: हिमाचल में सेब उत्पादन के जनक सत्यानंद स्टोक्स को पद्मश्री दिलाने की मांग जोर पड़कने लगी है. राजधानी शिमला में शनिवार को जिला परिषद की बैठक में सत्यानंद स्टोक्स को पद्मश्री देने को लेकर बाकायदा प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा गया.

बैठक में कोटगढ़ के भुट्टी वार्ड के सदस्य सुभाष कैंथला द्वारा सदन में ये प्रस्ताव लाया गया था. जिसे बैठक में सर्वसम्मति से पारित कर सरकार को भेजा गया. सुभाष कैंथला ने प्रस्ताव में कहा कि साल 1916 में सत्यानंद स्टोक्स ने अमेरिका से आकर कोटगढ़ की थानाधार पंचायत के बारूबाग में सेब का पहला बगीचा तैयार किया. इसके चलते शिमला की तकदीर बदली और आज हिमाचल की आर्थिकी में सेब का बहुत बड़ा योगदान है.

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ऊपरी शिमला में सेब से लोगों को अच्छी कमाई हो रही है और ये सब स्टोक्स की देन है. लेकिन न तो केंद्र और न ही प्रदेश सरकार ने उनको सम्मान दिया. इसके अलावा उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया और जेल भी गए. बावजूद इसके हर सरकार उन्हें नजरअंदाज करती आई है.

वहीं, उन्होंने शिमला के रिज मैदान पर सत्या नंद स्टोक्स की प्रतिमा लगाने और उनके जन्मदिन 16 अगस्त को एप्पल डे के रूप में मनाने की घोषणा करने की मांग भी उठाई. वहीं, जिला परिषद अध्यक्ष चन्द्र प्रभा नेगी ने कहा की सत्या नंद स्टोक्स को पद्मश्री दिलाने को लेकर सदन में सदन द्वारा प्रस्ताव लाया गया है. उसे पारित कर सरकार को भेज दिया गया है.

जिला परिषद की बैठक
जिला परिषद की बैठक

सत्यानंद स्टोक्स जिनका वास्तविक नाम सैमुअल एवास स्टोक्स था. उनका जन्म 16 अगस्त 1882 को अमेरिका में हुआ. उनके पिता इंजीनियर थे. पूर्व कांग्रेस मंत्री विद्या स्टोक्स के ससुर सत्यानंद स्टोक्स साल 1904 में शिमला के सपाटू नामक स्थान पर ठहरे. वहां उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा की. जिस सेब ने हिमाचल को नई पहचान दिलाई, वो पहले यहां की वादियों में नहीं होता था. सत्यानंद स्टोक्स ने सेब को अमेरिका से लाकर थानाधार के बारूबाग में वर्ष 1916 में लगाया और दो बीघा जमीन पर शुरू हुई सेब की खेती अब एक लाख 10 हजार हेक्टेयर में फैल चुकी है.

सत्यानंद स्टोक्स ने कृषि जलवायु की दृष्टि से अति उपयुक्त मगर कठिन क्षेत्र कोटगढ़ में सेब की वैज्ञानिक ढंग से खेती की और लोगों को इस फल के उत्पादन की ओर आकर्षित किया. इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप कोटगढ़ का क्षेत्र बेहतरीन किस्म का सेब उत्पादित करने में हिमाचल के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया. साल 1946 में सत्यानंद स्टोक्स की मृत्यु हुई.

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