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जलोड़ी जोत टनल के निर्माण को लेकर गंभीर नहीं सरकार, लोगों को उठानी पड़ रही समस्या - Demand of Jalori Jot Tunnel

सीटू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. ऊन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां, चुनाव नजदीक आते ही जलोड़ी दर्रे के नीचे भूमिगत टनल के (Jalori Jot Tunnel) निर्माण के मुद्दे को भुनाने लगती हैं और चुनाव जीत जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ जाता है. केंद्र व प्रदेश सरकार जलोड़ी जोत टनल के निर्माण को लेकर गम्भीर नहीं है. जबकि दूसरे क्षेत्रों में फोर लेन सड़क के मध्य टनल निर्माण का कार्य तेज गति से चल रहा है है.

Jalori Jot Tunnel
जलोड़ी जोत टनल
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Published : Feb 3, 2022, 6:02 PM IST

रामपुर: आनी उपमण्डल के दो विकास खण्डों आनी व निरमण्ड की कुल 69 पंचायतों को जिला मुख्यालय कुल्लू से जोड़ने वाले एनएच 305 सैंज लूहरी औट मार्ग के मध्य 10280 फीट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रा इन दिनों भारी वर्फबारी के चलते यातायात व लोगों के आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद पड़ा है. जिससे आनी क्षेत्र के लोगों का अपने जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क पूरी तरह से कटा हुआ है.

सीटू संयोजक आनी पदम प्रभाकर का कहना है कि इसे आनी क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य समझें या सरकार व स्थानीय नेताओं की अनदेखी, कि जलोड़ी दर्रे की विकट समस्या का हल अभी तक नहीं निकल पाया है. राजनीतिक पार्टियां, चुनाव नजदीक आते ही जलोड़ी दर्रे के नीचे भूमिगत टनल के निर्माण के मुद्दे को (Jalori Jot Tunnel) भुनाने लगते हैं और चुनाव जीत जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ जाता है. पदम प्रभाकर का कहना है कि टनल निर्माण का सपना क्षेत्र के लोगों के लिए केवल मुंगेरीलाल का सपना ही बनकर रह गया है.

उनका कहना है कि 97 कि.मी. लम्बे सैंज लूहरी आनी औट के मध्य स्थित जलोड़ी दर्रा, लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. यह दर्रा अक्टूबर से फरवरी मार्च तक लगभग पांच माह भारी बर्फबारी के चलते खनाग से घियागी के मध्य यातायात के लिए पूरी तरह से बंद रहता है. जिस कारण आनी क्षेत्र के लोगों व सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है.

वहीं, एक अन्य स्थानीय निवासी का कहना है कि जिला मुख्यालय कुल्लू जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग वाया बसन्तपुर व वाया रोहांडा के अति दूर होने से लोग, कई बार मजबूरन पांच से सात फीट ऊंची बर्फ की दीवार को लांघकर वाया जलोड़ी दर्रा से होकर ही भारी जोखिम उठाकर पैदल सफर तय करते हैं. जिससे कई बार अत्यधिक ठंड व भारी वर्फबारी के कारण यात्री बीच रास्ते में ही फंस जाते हैं और कई मर्तबा अनहोनी घटना का शिकार भी हो जाते हैं.

बावजूद इसके, केंद्र व प्रदेश सरकार जलोड़ी जोत टनल के निर्माण (Jalori Jot Tunnel) को लेकर गम्भीर नहीं है. जबकि दूसरे क्षेत्रों में फोर लेन सड़क के मध्य टनल निर्माण का कार्य तेज गति से चला है. सीटू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर का कहना है कि इससे सरकार का सौतेलापन साफ झलक रहा है कि जलोड़ी टनल व एनएच 305 सड़क के निर्माण को लेकर सरकार की कोई रुचि नहीं है.

इनका कहना है कि कुछ समय पूर्व जलोड़ी जोत टनल की कंसल्टेंसी के लिए जो निविदा आमंत्रित की गई उनमें ठेकेदारों द्वारा शर्तें पूरी न किये जाने के कारण वह निविदा रद्द कर दी गई और अब कंसल्टेंसी के लिए नए सिरे से निविदा आमंत्रित किए जाने का मामला केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय नई दिल्ली के पास अधर में लटका है. इनका कहना है कि जलोड़ी जोत टनल के निर्माण की प्रक्रिया को यदि सिरे नहीं चढ़ाया गया तो जनता रोष स्वरूप सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेगी.

ये भी पढ़ें: सिरमौर: ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी, फिर बंद हुई संगड़ाह की 4 सड़कें

रामपुर: आनी उपमण्डल के दो विकास खण्डों आनी व निरमण्ड की कुल 69 पंचायतों को जिला मुख्यालय कुल्लू से जोड़ने वाले एनएच 305 सैंज लूहरी औट मार्ग के मध्य 10280 फीट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रा इन दिनों भारी वर्फबारी के चलते यातायात व लोगों के आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद पड़ा है. जिससे आनी क्षेत्र के लोगों का अपने जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क पूरी तरह से कटा हुआ है.

सीटू संयोजक आनी पदम प्रभाकर का कहना है कि इसे आनी क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य समझें या सरकार व स्थानीय नेताओं की अनदेखी, कि जलोड़ी दर्रे की विकट समस्या का हल अभी तक नहीं निकल पाया है. राजनीतिक पार्टियां, चुनाव नजदीक आते ही जलोड़ी दर्रे के नीचे भूमिगत टनल के निर्माण के मुद्दे को (Jalori Jot Tunnel) भुनाने लगते हैं और चुनाव जीत जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ जाता है. पदम प्रभाकर का कहना है कि टनल निर्माण का सपना क्षेत्र के लोगों के लिए केवल मुंगेरीलाल का सपना ही बनकर रह गया है.

उनका कहना है कि 97 कि.मी. लम्बे सैंज लूहरी आनी औट के मध्य स्थित जलोड़ी दर्रा, लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. यह दर्रा अक्टूबर से फरवरी मार्च तक लगभग पांच माह भारी बर्फबारी के चलते खनाग से घियागी के मध्य यातायात के लिए पूरी तरह से बंद रहता है. जिस कारण आनी क्षेत्र के लोगों व सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है.

वहीं, एक अन्य स्थानीय निवासी का कहना है कि जिला मुख्यालय कुल्लू जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग वाया बसन्तपुर व वाया रोहांडा के अति दूर होने से लोग, कई बार मजबूरन पांच से सात फीट ऊंची बर्फ की दीवार को लांघकर वाया जलोड़ी दर्रा से होकर ही भारी जोखिम उठाकर पैदल सफर तय करते हैं. जिससे कई बार अत्यधिक ठंड व भारी वर्फबारी के कारण यात्री बीच रास्ते में ही फंस जाते हैं और कई मर्तबा अनहोनी घटना का शिकार भी हो जाते हैं.

बावजूद इसके, केंद्र व प्रदेश सरकार जलोड़ी जोत टनल के निर्माण (Jalori Jot Tunnel) को लेकर गम्भीर नहीं है. जबकि दूसरे क्षेत्रों में फोर लेन सड़क के मध्य टनल निर्माण का कार्य तेज गति से चला है. सीटू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर का कहना है कि इससे सरकार का सौतेलापन साफ झलक रहा है कि जलोड़ी टनल व एनएच 305 सड़क के निर्माण को लेकर सरकार की कोई रुचि नहीं है.

इनका कहना है कि कुछ समय पूर्व जलोड़ी जोत टनल की कंसल्टेंसी के लिए जो निविदा आमंत्रित की गई उनमें ठेकेदारों द्वारा शर्तें पूरी न किये जाने के कारण वह निविदा रद्द कर दी गई और अब कंसल्टेंसी के लिए नए सिरे से निविदा आमंत्रित किए जाने का मामला केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय नई दिल्ली के पास अधर में लटका है. इनका कहना है कि जलोड़ी जोत टनल के निर्माण की प्रक्रिया को यदि सिरे नहीं चढ़ाया गया तो जनता रोष स्वरूप सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेगी.

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