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जलियावाला बाग दर्द की जिंदा तस्वीर है, उसे सेल्फी प्वाइंट बनाना पीड़ादायक: दीप्ति नवल

जलियावाला बाग दर्द की जिंदा तस्वीर है. जिस मिट्टी में हजारों लोगों का खून बहा हो, वह मातम मनाने की जगह है. उसे सेल्फी प्वाइंट बनाना पीड़ादायक है. यह बात फिल्म अभिनेत्री, निर्देशिका, लेखिका, चित्रकार और फोटोग्राफर दिप्ति नवल ने शुक्रवार को अंर्तराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ के दौरान (International Literature Festival in Shimla) कही. पढ़ें पूरी खबर..

International Literature Festival in Shimla
अंर्तराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में दीप्ति नवल
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Published : Jun 18, 2022, 8:23 AM IST

शिमला: जलियावाला बाग दर्द की जिंदा तस्वीर है. जिस मिट्टी में हजारों लोगों का खून बहा हो, वह मातम मनाने की जगह है. उसे सेल्फी प्वाइंट बनाना पीड़ादायक है. यह बात फिल्म अभिनेत्री, निर्देशिका, लेखिका, चित्रकार और फोटोग्राफर दिप्ति नवल ने शुक्रवार को अंर्तराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ के दौरान (International Literature Festival in Shimla) कही. उन्होने कहा कि अमृतसर में स्वर्ण मंदिर है, इसे इतना खूबसूरत बना दिया गया है.

उन्होंने कहा कि जलियावाला की (Deepti Naval on Jallianwala Bagh) मिट्टी में हजारों लोगों का खून बहा है, इसके स्वरूप ही बदल दिया है. लोगों का खून इस मिट्टी में बहा है. इस स्थान को वास्तविक स्वरूप में सहेज कर रखा जाना चाहिए था, ताकि देश विदेश से इसे देखने के लिए जो भी पहुंचे उसे घटना का अहसास हो कि कैसे हजारों निर्दोष लोगों की जान यहां गई थी. उन्होंने कहा कि इसे सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है, जहां हजारों लोगों का खून बहा हो, उसका रंग भी बदल गया है.

उसका खून भी गुलाबी रंग में दर्शाना गहरी पीड़ा देता है. उन्होंने हिरोशिमा शहर का उदाहरण (Deepti Naval on Hiroshima Nagasaki attack) देते हुए कहा कि वहां पर विश्व युद्ध के दौरान बंग गिरने से जो नुकसान हुआ था उसे वास्तविक स्वरूप में दर्शाया है. जो भवन गिरे थे उसे वैसा ही सहेज कर रखा गया है, उसे देखकर ही लगता है कि युद्ध कितना विनाशकारी होता है.

मैं आधी हिमाचली: दिप्ति नवल ने कहा कि मैं आधी हिमाचली हुं और आधी पंजाबी. मेरा कनेक्शन हिमाचल से है. मेरे नाना पहाड़ी आदमी थे. वह डोगरी थे और मूलत: कांगड़ा के रहने वाले थे. जबकि मेरे पिता पंजाब के थे. इसलिए मेरा कनेक्शन हिमाचल और पंजाब दोनों ही स्थानों से है. उन्होंने कहा कि वे वर्ष 1956 में रोहतांग पास भी गई थी, उस वक्त सड़कें भी नहीं होती थी. लेकिन अब टनल भी बन गई है और कई जगह फ्लाई ओवर भी बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि मैं हिमाचल से बहुत प्यार करती हुं.

ये भी पढ़ें: International Literature Festival: साहित्य पर चर्चा के दौरान गुलजार बोले- अब समय आ गया है की फिल्मों का भी अपना साहित्य हो

शिमला: जलियावाला बाग दर्द की जिंदा तस्वीर है. जिस मिट्टी में हजारों लोगों का खून बहा हो, वह मातम मनाने की जगह है. उसे सेल्फी प्वाइंट बनाना पीड़ादायक है. यह बात फिल्म अभिनेत्री, निर्देशिका, लेखिका, चित्रकार और फोटोग्राफर दिप्ति नवल ने शुक्रवार को अंर्तराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ के दौरान (International Literature Festival in Shimla) कही. उन्होने कहा कि अमृतसर में स्वर्ण मंदिर है, इसे इतना खूबसूरत बना दिया गया है.

उन्होंने कहा कि जलियावाला की (Deepti Naval on Jallianwala Bagh) मिट्टी में हजारों लोगों का खून बहा है, इसके स्वरूप ही बदल दिया है. लोगों का खून इस मिट्टी में बहा है. इस स्थान को वास्तविक स्वरूप में सहेज कर रखा जाना चाहिए था, ताकि देश विदेश से इसे देखने के लिए जो भी पहुंचे उसे घटना का अहसास हो कि कैसे हजारों निर्दोष लोगों की जान यहां गई थी. उन्होंने कहा कि इसे सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है, जहां हजारों लोगों का खून बहा हो, उसका रंग भी बदल गया है.

उसका खून भी गुलाबी रंग में दर्शाना गहरी पीड़ा देता है. उन्होंने हिरोशिमा शहर का उदाहरण (Deepti Naval on Hiroshima Nagasaki attack) देते हुए कहा कि वहां पर विश्व युद्ध के दौरान बंग गिरने से जो नुकसान हुआ था उसे वास्तविक स्वरूप में दर्शाया है. जो भवन गिरे थे उसे वैसा ही सहेज कर रखा गया है, उसे देखकर ही लगता है कि युद्ध कितना विनाशकारी होता है.

मैं आधी हिमाचली: दिप्ति नवल ने कहा कि मैं आधी हिमाचली हुं और आधी पंजाबी. मेरा कनेक्शन हिमाचल से है. मेरे नाना पहाड़ी आदमी थे. वह डोगरी थे और मूलत: कांगड़ा के रहने वाले थे. जबकि मेरे पिता पंजाब के थे. इसलिए मेरा कनेक्शन हिमाचल और पंजाब दोनों ही स्थानों से है. उन्होंने कहा कि वे वर्ष 1956 में रोहतांग पास भी गई थी, उस वक्त सड़कें भी नहीं होती थी. लेकिन अब टनल भी बन गई है और कई जगह फ्लाई ओवर भी बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि मैं हिमाचल से बहुत प्यार करती हुं.

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