शिमला: हिमाचल प्रदेश में सांप के काटने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है. इसी मानसून सीजन में अब तक एक महीने से अधिक के समय में 16 लोगों की मौत हो चुकी (Death due to snakebite in Himachal) है. सर्पदंश के बाद जागरूकता से अनमोल जीवन बचाया जा सकता (snakebite awareness in Himachal) है. अकसर देखा गया है कि लोग झाड़-फूंक पर अधिक जोर देते हैं. दुनिया को रेबीज से बचाव का सबसे सस्ता उपाय देने वाले पद्मश्री डॉ. ओमेश भारती (Padma Shri Doctor Omesh Bharti) इन दिनों सर्पदंश से होने वाली मौतें और इसके विभिन्न पहलुओं पर शोध कर रहे हैं. ऐसा शोध देश में पहली बार हो रहा है.
एंटी स्नेक वेनम एकमात्र उपाय: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए पद्मश्री डॉ. ओमेश भारती ने बताया कि हाल ही में राज्य के चिकित्सा संस्थानों में तैनात डॉक्टरों से सर्पदंश को लेकर जागरूकता पर एक वर्कशॉप ली गई (Snakebite Awareness Workshop in Himachal) थी. उस वर्कशॉप में डॉ. ओमेश भारती ने सर्पदंश की स्थिति में किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी. डॉ. ओमेश भारती ने बताया कि सर्पदंश का सबसे कारगर और एकमात्र उपाय एंटी स्नेक वेनम (anti snake venom) है. लोगों को ओझा आदि के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. सर्पदंश में तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. स्नेक बाइट गाइडलाइन का पालन करने से बचाव संभव (snake bite guideline) है.
सांप ने काटने पर अस्पताल जाएं: डॉ. ओमेश ने बताया कि अगर किसी को सांप ने काट लिया है तो उसे घबराना नहीं (Omesh Bharti On snakebites Treatment) चाहिए. ग्रामीण इलाकों में अकसर महिलाएं चारा लाने के लिए खेतों में जाती हैं. उन्हें सर्पदंश का भय रहता है. यदि सांप काट दे तो महिलाओं को जहां बाइट किया है, उस जगह को अधिक हिलाएं नहीं. चूड़ियां पहनी हो तो उतार दें. कारण ये है कि अगर बाजू में काटा है तो सर्पदंश से सूजन आना शुरू हो जाती है. अगर कोई चूड़ी इत्यादि पहनी हो तो सूजन के कारण खून का प्रवाह रुकता है और जहर तेजी से फैलता है. ऐसे में गैंगरीन होने का खतरा रहता (Treatment for snakebites) है. जहां सांप ने काटा है उस जगह को ढीला करके बांधें. उसके बाद तुरंत अस्पताल जाएं.
हिमाचल के तीन जिलों में हो रही सर्पदंश स्टडी: डॉ. ओमेश ने बताया कि इस समय देश में 13 राज्यों में 300 से अधिक खंडों में 8 करोड़ की आबादी पर केंद्रित स्टडी हो रही है. इस स्टडी में हिमाचल के भी तीन जिला ऊना, कांगड़ा व चंबा शामिल किए गए (study on snakebite in himachal) हैं. उल्लेखनीय है कि मैदानी इलाकों में ही सर्पदंश के अधिक केस आते हैं और गर्म इलाका होने के कारण वहां सांप अधिक जहरीले होते हैं. देश में ऐसी स्टडी पहली बार हो रही है और उसमें डॉ. ओमेश भारती की अहम भूमिका है. अभी तक ये मालूम नहीं है कि सर्पदंश से कितनी मौतें होती हैं और किस तरह के इसके प्रभाव समाज पर पड़ते हैं.
मौत का आंकड़ा कम करने के लिए जागरूकता जरूरी: डॉ. ओमेश ने बताया कि जागरूकता से ही सर्पदंश से होने वाली मौतों को थामा जा सकता है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर फील्ड के स्वास्थ्य संस्थानों में स्नेक बाइट मैनेजमेंट पर चर्चा जरूरी है. इससे स्नेक बाइट गाइडलाइंस का नए डॉक्टर्स को पता चलता है. उल्लेखनीय है कि इस सीजन में अभी तक 16 लोगों की सर्पदंश से मौत हुई है. जिनमें सबसे अधिक 6 मामले कांगड़ा जिला में सामने आए हैं. इसके अलावा जिला ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर में 2-2 मामले सामने आए हैं.
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