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रिकांगपिओ में क्राफ्ट मेले का समापन, भावा वैली के कलाकारों ने किया पारंपरिक लोक नृत्य 'स्वांग'

जिला किन्नौर के रिकांगपिओ में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय क्राफ्ट मेले का (Craft fair concludes in Reckong Peo) शुक्रवार को समापन हो गया. समापन समारोह के दौरान भावा वैली के खास और पारंपरिक लोक नृत्य स्वांग के कलाकारों ने प्रस्तुति दी.

traditional folk dance Swang
पारंपरिक लोक नृत्य स्वांग
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Published : Jun 24, 2022, 9:18 PM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर के रिकांगपिओ में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय क्राफ्ट मेले का शुक्रवार को समापन हो गया. समापन समारोह के दौरान (Craft fair concludes in Reckong Peo) भावा वैली के खास और पारंपरिक लोक नृत्य स्वांग (traditional folk dance Swang) के कलाकारों ने प्रस्तुति दी. इस दौरान किन्नौर के परंपरागत और पुराने वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग किया गया. देव संस्कृति में इस मेले का बहुत अधिक महत्व है.

स्वांग नृत्य में पुरुष महिलाओं का भेष धारण कर नृत्य करते हैं तो वहीं, कुछ लोग मुखौटे पहनकर डांस करते हैं. नृत्य को गोलदारे में किया जाता है. कलाकारों का कहना था कि इस नृत्य को फागुल मेले में विशेष रूप से किया जाता है. पुरुष वेश बदलकर नृत्य करते हैं जिसमें 12 लोगों का दल होता है.

पारंपरिक लोक नृत्य स्वांग

इस दल में 8 पुरुष स्वांग यानी मुखौटे पहनने वाले (traditional folk dance Swang) बहरूपिये, 2 लोग महिलाओं की पारम्परिक वेशभूषा जिसमें लाखों के सोना चांदी व अन्य आभूषण पहनकर वधू का वेश धारण करते हैं और 2 लोग बौद्ध धर्म के लामा का रूप धारण कर झुमकर नृत्य करते हैं. इस नृत्य से पहाड़ों पर निवास करने वाले गुप्त देवी देवता जिन्हे साउनी कहा जाता है फागुन माह में निचले क्षेत्रों में उतरते हैं. स्वांग नृत्य को देखने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों समेत जिले के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों लोग आए थे और इस मेले की जमकर तारीफ भी की गई. स्वांग नृत्य कर भावा वैली में फागुल मेले के अवसर पर स्थानीय गुप्त देवी देवताओं को खुश करने का काम किया जाता है.

ये भी पढ़ें: MAA SHOOLINI FAIR: दो बहनों के मिलन से हुआ मां शूलिनी मेले का आगाज,माता के जयकारों से गूंजा सोलन शहर

किन्नौर: जिला किन्नौर के रिकांगपिओ में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय क्राफ्ट मेले का शुक्रवार को समापन हो गया. समापन समारोह के दौरान (Craft fair concludes in Reckong Peo) भावा वैली के खास और पारंपरिक लोक नृत्य स्वांग (traditional folk dance Swang) के कलाकारों ने प्रस्तुति दी. इस दौरान किन्नौर के परंपरागत और पुराने वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग किया गया. देव संस्कृति में इस मेले का बहुत अधिक महत्व है.

स्वांग नृत्य में पुरुष महिलाओं का भेष धारण कर नृत्य करते हैं तो वहीं, कुछ लोग मुखौटे पहनकर डांस करते हैं. नृत्य को गोलदारे में किया जाता है. कलाकारों का कहना था कि इस नृत्य को फागुल मेले में विशेष रूप से किया जाता है. पुरुष वेश बदलकर नृत्य करते हैं जिसमें 12 लोगों का दल होता है.

पारंपरिक लोक नृत्य स्वांग

इस दल में 8 पुरुष स्वांग यानी मुखौटे पहनने वाले (traditional folk dance Swang) बहरूपिये, 2 लोग महिलाओं की पारम्परिक वेशभूषा जिसमें लाखों के सोना चांदी व अन्य आभूषण पहनकर वधू का वेश धारण करते हैं और 2 लोग बौद्ध धर्म के लामा का रूप धारण कर झुमकर नृत्य करते हैं. इस नृत्य से पहाड़ों पर निवास करने वाले गुप्त देवी देवता जिन्हे साउनी कहा जाता है फागुन माह में निचले क्षेत्रों में उतरते हैं. स्वांग नृत्य को देखने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों समेत जिले के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों लोग आए थे और इस मेले की जमकर तारीफ भी की गई. स्वांग नृत्य कर भावा वैली में फागुल मेले के अवसर पर स्थानीय गुप्त देवी देवताओं को खुश करने का काम किया जाता है.

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