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हिमाचल में जयराम सरकार द्वारा हड़ताल, घेराव व बहिष्कार को लेकर जारी निर्देश असंवैधानिक: संजय चौहान

जयराम सरकार कर्मचारियों की (Demonstration of employees banned in Himachal) जायज मांगों को लेकर किए जा रहे आंदोलन को दबाने के लिए इस प्रकार की तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई कर रही है जिसकी माकपा कड़ी निंदा करती है. सीपीएम, कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के द्वारा जायज मांगों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करती है.

Demonstration of employees banned in Himachal
माकपा के शिमला जिला सचिव संजय चौहान
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Published : Feb 26, 2022, 4:56 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार ने कर्मचारियों के प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल और बायकॉट पर (Demonstration of employees banned in Himachal) रोक लगा दी है. माकपा के शिमला जिला सचिव संजय चौहान ने कहा है कि सरकार द्वारा कर्मचारियों के द्वारा प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल व कार्यों के बहिष्कार को लेकर जो निर्देश जारी किये हैं यह सरकार की कर्मचारी आंदोलन को दबाने के लिए की गई असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक व तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन तानाशाहीपूर्ण निर्देशों को तुरन्त वापिस लेकर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करे.

भारत के संविधान के अनुछेद 19 व 21 में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी तथा संगठन बनाने और संगठित होकर हड़ताल व आंदोलन का अधिकार दिया गया है. परन्तु सरकार संविधान की मूल धारणा की अवहेलना कर प्रदेश में कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के द्वारा अपनी जायज मांगों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलनों को दबाने के लिए इस प्रकार के असंवैधानिक निर्देश जारी कर रही है. जिससे सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा उजागर हुआ है.

प्रदेश में भाजपा की सरकार को बने चार वर्ष से अधिक समय हो गया है. सरकार की जनविरोधी नीतियों (Demonstration of employees banned in Himachal) के चलते मजदूर, किसान, कर्मचारी, युवा, छात्र, महिला व अन्य सभी वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हैं. इन चार वर्षों में सरकार किसी भी वर्ग के हित के कार्य नहीं कर पाई है तथा वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान किये गए वायदे पूर्ण नहीं कर पाई है. जिसको लेकर सरकार की इस निराशाजनक कार्यप्रणाली से प्रदेश में सभी वर्ग सरकार की इन जनविरोधी नीतियों का विरोध कर रहें हैं और आंदोलनरत हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में वादा (himachal govt guidelines to employees) किया था कि यदि सत्ता में आती है तो पुरानी पेंशन योजना को पुन बहाल करेगी, आउटसोर्स व पार्ट टाइम कर्मियों के लिए नीति बनाएगी, कर्मचारियों को उनका देय समय रहते दिया जाएगा तथा रिक्त पड़े पदों पर भर्ती की जाएगी, लेकिन सरकार ने इन चार वर्षों में कर्मचारियों की किसी भी मांग पर आजतक गौर नहीं किया है.

उन्होंने कहा कि सरकार के इस कर्मचारी विरोधी व वादा खिलाफी के चलते कर्मचारियों के हर वर्ग में आक्रोश है और आंदोलनरत है. सरकार अब इन व्यापक आंदोलनों से डरकर तानाशाहीपूर्ण आदेश जारी कर इन आंदोलनों को दबाने का प्रयास कर रही है जिसमें सरकार कभी भी सफल नहीं होगी.

ये भी पढ़ें: कोविड काल में हिमाचल में बंद हुए 43 कारखाने, 827 लोगों का छिन गया रोजगार

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार ने कर्मचारियों के प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल और बायकॉट पर (Demonstration of employees banned in Himachal) रोक लगा दी है. माकपा के शिमला जिला सचिव संजय चौहान ने कहा है कि सरकार द्वारा कर्मचारियों के द्वारा प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल व कार्यों के बहिष्कार को लेकर जो निर्देश जारी किये हैं यह सरकार की कर्मचारी आंदोलन को दबाने के लिए की गई असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक व तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन तानाशाहीपूर्ण निर्देशों को तुरन्त वापिस लेकर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करे.

भारत के संविधान के अनुछेद 19 व 21 में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी तथा संगठन बनाने और संगठित होकर हड़ताल व आंदोलन का अधिकार दिया गया है. परन्तु सरकार संविधान की मूल धारणा की अवहेलना कर प्रदेश में कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के द्वारा अपनी जायज मांगों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलनों को दबाने के लिए इस प्रकार के असंवैधानिक निर्देश जारी कर रही है. जिससे सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा उजागर हुआ है.

प्रदेश में भाजपा की सरकार को बने चार वर्ष से अधिक समय हो गया है. सरकार की जनविरोधी नीतियों (Demonstration of employees banned in Himachal) के चलते मजदूर, किसान, कर्मचारी, युवा, छात्र, महिला व अन्य सभी वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हैं. इन चार वर्षों में सरकार किसी भी वर्ग के हित के कार्य नहीं कर पाई है तथा वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान किये गए वायदे पूर्ण नहीं कर पाई है. जिसको लेकर सरकार की इस निराशाजनक कार्यप्रणाली से प्रदेश में सभी वर्ग सरकार की इन जनविरोधी नीतियों का विरोध कर रहें हैं और आंदोलनरत हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में वादा (himachal govt guidelines to employees) किया था कि यदि सत्ता में आती है तो पुरानी पेंशन योजना को पुन बहाल करेगी, आउटसोर्स व पार्ट टाइम कर्मियों के लिए नीति बनाएगी, कर्मचारियों को उनका देय समय रहते दिया जाएगा तथा रिक्त पड़े पदों पर भर्ती की जाएगी, लेकिन सरकार ने इन चार वर्षों में कर्मचारियों की किसी भी मांग पर आजतक गौर नहीं किया है.

उन्होंने कहा कि सरकार के इस कर्मचारी विरोधी व वादा खिलाफी के चलते कर्मचारियों के हर वर्ग में आक्रोश है और आंदोलनरत है. सरकार अब इन व्यापक आंदोलनों से डरकर तानाशाहीपूर्ण आदेश जारी कर इन आंदोलनों को दबाने का प्रयास कर रही है जिसमें सरकार कभी भी सफल नहीं होगी.

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