शिमलाः वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण देश में लाखों मजदूर सरकार की बदइंतजामी व लचर व्यवस्था के कारण पैदल ही घरों की ओर जा रहे हैं. सरकार की नाकामी के कारण आज कई मजदूरों की दुर्घटनाओं, भुखमरी व थकान के कारण दर्दनाक मृत्यु हो गई है.
ये बातें माकपा राज्य सचिवमण्डल सदस्य संजय चौहान ने कही. उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरों को घर पहुंचाने के इंतजाम के बारे में कह रही है, लेकिन हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है.
केंद्र सरकार के अनुसार मजदूरों को घर पहुंचाने के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं और 1200 से 1500 रेलगाड़ियां रेलवे ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए तैयार रखी है. इनका 85 प्रतिशत किराया केंद्र वहन करेगा और 15 प्रतिशत किराया सबंधित राज्य वहन करेगा.
यदि इस प्रकार का इंतजाम सरकार ने किया है तो आखिर लाखों मजदूर आज देश के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर इस परेशानी की हालत में अपने घर जाने के लिए मजबूर क्यों हैं. इसका जवाब सरकार को देना चाहिए.
संजय चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार व राज्य सरकारों के बीच तालमेल न होने के कारण इंतजाम जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश में भी करीब 80,000 प्रवासी मजदूरों ने अन्य राज्यों में अपने घर जाने के लिए सरकार के पास पंजीकरण करवाया है.
इनमें ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से हैं और प्रदेश में औद्योगिक निर्माण व अन्य क्षेत्रों में काम कर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. काम बंद होने के कारण आर्थिक व रोटी के संकट के चलते यह अपने घर जाने के लिए मजबूर हैं.
सरकार के पास घर जाने के लिए पंजीकरण किए कई दिन बीतने के बावजूद सरकार द्वारा प्रबंध न किए जाने से अब इनको 2500 से 5000 रूपये अपनी जेब से खर्च कर स्वयं गाड़ी का इंतजाम कर घर जाना पड़ रहा हैं.
माकपा ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जो भी प्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहता हैं, सरकार उनकी कठिनाइयों व परेशानियों की ओर ध्यान दे और इनके घर जाने के लिए व्यवस्था की जाए.
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