शिमला: राजधानी शिमला की ढली-संजौली टनल पर जाम की समस्या से जल्द छुटकारा मिलेगा. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही ढली टनल का कार्य जल्द पूरा होगा. टनल बनाने का काम जोरों पर है और टनल के (Dhali Sanjauli Tunnel Shimla) दोनों सिरे जोड़ दिए गए हैं. अक्टूबर तक टनल के काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान टनल करीब 170 साल पुरानी है. इसमें वन वे आवाजाही होती है. जिससे रोजाना जाम लगता है और टनल में जगह- जगह से पानी टपकता है. जिसे देखते हुए इस टनल के साथ ही नई टनल बनाई जा रही है.
53 करोड़ की लागत से बन रही टनल: स्मार्ट सिटी के तहत बनने वाली इस टनल की आधारशिला 11 मार्च को रखी गई थी. तब से लेकर टनल को बनाने के लिए दिन रात कार्य किया जा रहा है. 147 मीटर लंबी इस टनल के बनने से संजौली व ढली में (Construction work of Dhali Sanjauli Tunnel) आए दिन लगने वाले जाम से निजात मिलेगी. नगर निगम शिमला के आयुक्त आशीष कोहली ने बताया कि इस टनल का काम 53 करोड़ रुपये की लागत हो रहा है. स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर में बनने वाला यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है.
वाहनों के लिए जल्द खुलेगी टनल: उन्होंने बताया कि लगभग 6 माह में ही राजधानी के ढली-संजौली तक बनाई जा रही ढली डबल लेन सुरंग के दोनों किनारे आपस में जुड़ गए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इसी साल ये सुरंग वाहनों के लिए खोल दी जाएगी. आशीष कोहली ने बताया कि नगर निगम शिमला के अंतर्गत पड़ने वाली संजौली-ढली की मौजूदा टनल का निर्माण अंग्रेजों ने शिमला को समर कैपिटल बनाने के बाद किया था. जो आज भी ऊपरी शिमला को शिमला शहर के साथ जोड़ने का मुख्य मार्ग है. नई टनल के बनने से ऊपरी शिमला के लिए लगने वाले जाम से निजात मिलेगी.
ये मिलेगी सुविधा: टनल पूरी तरह से आधुनिक तकनीक से लैस बनाई जा रही है. डबल लेन बनने वाली सुरंग के दोनों तरफ लोगों को पैदल चलने के लिए रास्ता भी बनाया जाना प्रस्तावित है. डबल लेन के माध्यम से सुरंग में गाड़ियों के आने-जाने की व्यवस्था होगी. इससे जाम से निजात मिलेगी और लोगों के समय की बचत होगी. सुरंग के नीचे उपयोगी सेवाओं के लिए केबल बिछाने और पानी या बिजली की पाइप निकालने या संचार केबल निकालने का प्रावधान भी किया जाएगा.
1852 में बनी थी ढली टनल: शिमला की ढली टनल काफी पुरानी टनल है. इसका निर्माण अंग्रेजों द्वारा 1852 में किया था. इस टनल में एक तरफा ही वाहनों की आवाजाही होती है. जिससे हर रोज यहां जाम लगता है. इसके अलावा टनल भी काफी पुरानी हो गई है. भविष्य में कोई दुर्घटना न हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. इस सुरंग को बने हुए 170 साल से ज्यादा का समय हो गया है. इसलिए अब विकल्प के तौर पर दूसरी सुरंग तैयार की जा रही है.
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