शिमला: जिस पुलिस भर्ती परीक्षा के आयोजन पर हिमाचल पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही थी, वही लिखित परीक्षा खाकी पर दाग बन गई है. यही नहीं पेपर लीक मामला जयराम सरकार के गले की फांस भी बन गया है. चुनावी साल में पेश आई इस हैरत अंगेज धांधली ने विपक्ष को हमलावर होने का मौका दिया है. यहां तक कि कांग्रेस नेता हर्ष महाजन ने पुलिस के अफसरों के बीच बहसबाजी को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. जयराम सरकार ने भर्ती प्रक्रिया की देखरेख कर रहे आईपीएस जेपी सिंह को (ips officer jp singh) ट्रांस्फर कर दिया है. उसके बाद से ही पुलिस में काली भेड़ों को लेकर शोर मच गया है. यहां तक कि राज्य के रिटायर्ड डीजीपी ने अपने सोशल मीडिया पेज पर इस संदर्भ में पोस्ट क्या डाली कि वहां पुलिस से ही सेवा निवृत अफसरों ने अपने ही महकमे पर सवाल उठा दिए.
हालांकि सरकार ने विवादित आईपीएस को ट्रांस्फर कर दिया है लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या जयराम सरकार के उपर लगा यह धब्बा निष्पक्ष जांच से धुल पाएगा या नहीं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में हुई धांधली की जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी. सरकार ने परीक्षा की अगली तिथि भी प्रस्तावित कर दी है और अभ्यार्थियों को परीक्षा केंद्र तक निशुल्क यात्रा का भी ऐलान किया है. इस बीच पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा से संबंधित पेपर लीक मामले में पुलिस की एसआईटी ने जांच और तेज कर दी है. अभी शक की सुई पुलिस पर ही घूम रही है. अब तक गिरफ्तार आरोपितों से हुई पूछताछ के आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है. इसी संदर्भ में सीआईडी ने भी दो मामले (Constable Paper Leak Case Himachal) दर्ज किए हैं. वहीं कुछ लोग मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग कर रहे हैं. इस केस में हिमाचल पुलिस की साख भी दांव पर है. राज्य पुलिस दावा कर रही है कि जिस तरह अवैध शराब कांड और खालिस्तानी झंडे लगाने के गंभीर केस को क्रैक किया गया है, उसी तरह पुलिस भर्ती परीक्षा का मामला भी सुलझाया जाएगा.
75803 अभ्यर्थियों को दोबारा देनी होगी लिखित परीक्षा: हिमाचल में 75 हजार से अधिक युवाओं ने परीक्षा दी थी. बाद में यह खुलासा हुआ कि कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिन्होंने लिखित परीक्षा में अच्छे अंक लिए लेकिन उनका शैक्षणिक रिकॉर्ड बहुत खराब था. वहीं से कांगड़ा पुलिस को शक हुआ और धांधली सामने आई. अभी तक की जांच में यह पता चला है कि कुछ अभ्यर्थियों ने पेपर लीक की एवज में 8 से 10 लाख रुपए तक चुकाए हैं. कयास लगाया जा रहा है कि पेपर लीक होने के बाद कम से कम 2 हजार अभ्यर्थियों तक पहुंचाया गया. इस तरह यह घोटाला डेढ़ सौ करोड़ से अधिक का हो सकता है. अब हिमाचल के 75803 अभ्यर्थियों को दोबारा लिखित परीक्षा देनी होगी. मेधावी अभ्यर्थियों के अब हौसले टूट गए हैं. नए सिरे से तैयारी का मन नहीं बना पा रहे हैं. यह प्रक्रिया पुलिस कांस्टेबल के 1334 पद भरने के लिए शुरू की गई थी.
हिमाचल में 27 मार्च को ली गई पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा का पांच अप्रैल को परिणाम घोषित किया गया था. प्रदेशभर के 81 केंद्रों पर 1334 पदों के लिए 75000 से अधिक युवाओं ने लिखित परीक्षा दी थी. परिणाम घोषित होने के बाद जिलों में चयनित युवाओं के दस्तावेजों की जांच का कार्य चल रहा था, कुछ जिलों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, जबकि कई जगह यह प्रक्रिया चल रही थी. चंडीगढ़ के पंचकूला में छपे इस पेपर को लीक करने के लिए प्रिटिंग प्रेस भी संदेह के घेरे में है. उधर कांगड़ा जिले के रैहन में चलने वाले एक कोचिंग सेंटर के संचालक से भी पुलिस ने पूछताछ की है. इस कोचिंग संस्थान के आठ युवाओं ने पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा दी थी.
आरोपी अभ्यर्थी बोले नरेंद्र मोदी हैं हिमाचल के मुख्यमंत्री: कांगड़ा जिले में एक अभ्यर्थी ने काफी अच्छे अंक लिए उसके दस्तावेजों की जांच के दौरान पुलिस अफसर ने उससे एक सामान्य सवाल कर दिया. पुलिस अधिकारी ने अभ्यर्थी से हिमाचल के मुख्यमंत्री का नाम पूछा तो उसने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लिया. इससे पुलिस अफसर को शक हुआ. जब अन्य अभ्यर्थी से भी सामान्य ज्ञान के सवाल पूछे गए तो उन्होंने सभी का गलत जवाब दिया. लिखित परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वाले युवाओं से जब ऐसे जवाब मिले तो उनके दस्तावेजों की गहराई से जांच हुई. पता चला कि उनके दसवीं की परीक्षा में मामूली अंक हैं. उसके बाद शक गहराया और एसपी कांगड़ा ने पूरे मामले की तह तक जाने का फैसला लिया और इस तरह पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की तह तक पहुंची.
हाईकोर्ट में 26 मई को सीबीआई जांच वाली याचिका पर सुनवाई : हिमाचल प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाने के आग्रह को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई अब 26 मई को होगी. इस मामले पर गुरुवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. प्रार्थी ने मामले की जांच सीबीआई से करवाने के आग्रह को लेकर याचिका दाखिल कर रखी है. हाईकोर्ट ने फिलहाल इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस नहीं जारी किया है.
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