शिमला: हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय बेशक देश के टॉप चार राज्यों में हो, लेकिन महंगाई का दंश यहां भी जनता को परेशान करता है. पेट्रो पदार्थों के बढ़ते दाम और डिपु में मिलने वाले राशन की बढ़ती कीमतों सहित सरसों तेल के दाम ने जनता को परेशान कर दिया था. कांग्रेस ने इसे लपक लिया. सोशल मीडिया से लेकर आम सभाओं में कांग्रेस ने महंगाई को हथियार बनाया. ये हथियार कारगर साबित हुआ. इस समय हिमाचल सरकार ने वैट में कमी की और पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो गए. कांग्रेस इसे अपनी नैतिक विजय बता रही है और महंगाई के हथियार से ही भाजपा पर वार करने का इरादा लेकर जनता के बीच जाएगी.
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, युवा विधायक विक्रमादित्य सिंह, वरिष्ठ नेत्री आशा कुमारी सहित नव निर्वाचित सांसद प्रतिभा सिंह ने चुनाव में विजय हासिल करने के बाद महंगाई को मुद्दा माना है और इसे लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर होने की बात कही है. हिमाचल में चुनाव प्रचार ने ये साबित किया कि कांग्रेस महंगाई के मुद्दे को भुनाने में कामयाब रही है. सोशल मीडिया पर ग्रामीण इलाकों में घास की कटाई कर रही आम महिलाओं ने भी कहा कि कांग्रेस से आशा है कि वो महंगाई का मुद्दा उठाएगी और सरकार पर दबाव डालेगी.
खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी स्वीकार किया कि चुनाव में महंगाई भी एक मुद्दा था. त्योहार के इस समय में डिपुओं में राशन महंगा हो गया था. खासकर सरसों का तेल आम आदमी की रसोई में सुलभ नहीं रह गया था. इसके अलावा दालों के दाम भी बढ़े. पेट्रो पदार्थों के लगातार बढ़ते दाम ने जनता को परेशान करके रख दिया था. दोपहिया वाहन चालक भी महंगे पेट्रोल के कारण अपने कार्यस्थल जाने में असमर्थ थे. चार सौ से छह सौ रुपए दिहाड़ी पाने वाले युवा भी बाइक से जाने से परहेज कर रहे थे.
युवाओं का ये रोष मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी में भी देखने को मिला. खुद भाजपा के कार्यकर्ता भी ये मान रहे थे कि पेट्रो पदार्थों पर वैट अगर चुनाव पूर्व कम हुआ होता तो तस्वीर कुछ और होती. हिमाचल में भाजपा की हार का अंतर काफी कम मतों का रहा है. केवल अर्की की सीट कांग्रेस ने अच्छे मार्जिन से जीती. मंडी लोकसभा सीट में भी मार्जिन कम रहा है. यदि महंगाई को कांग्रेस मुद्दा बनाने में असफल रहती तो चुनाव परिणाम पलट भी सकते थे. अब हिमाचल में आगामी चुनाव तक महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस कमर कस रही है.
कांग्रेस के पोस्टर भी यही संदेश दे रहे हैं कि भाजपा को हराने के लिए महंगाई के मुद्दे पर फोकस करना होगा. कांग्रेस ने यहां तक कहा कि आम जनता की अपेक्षाओं के चलते पार्टी ने महंगाई के मसले को हर मंच पर उठाया और इसका परिणाम भी हासिल हुआ है. रसोई में खान-पान की वस्तुओं के महंगे होने से आम जनता त्रस्त होती है. महिलाओं को इसकी पीड़ा अधिक झेलनी होती है. चार सौ रुपए से छह सौ रुपए रोजाना कमाने वालों के लिए दो सौ रुपए सरसों का तेल खरीदना पहाड़ समान दुखदाई है.
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि प्रदेश की जनता महंगाई से खास कर त्रस्त थी और उपचुनाव में कांग्रेस ने महंगाई को मुख्य मुद्दा बनाया और जनता के बीच गई और जनता ने भी कांग्रेस का साथ दिया और बीजेपी सरकार को चारो सीटों पर बाहर का रास्ता दिखाकर सबक सिखाया. उपचुनाव में मिली हार के बाद ही सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दामो में कमी कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है, लेकिन प्रदेश की जनता अब इनके झांसे में नहीं आने वाली है और रसोई गैस सहित अन्य वस्तुओं के दाम भी काफी ज्यादा है. इसको लेकर भी कांग्रेस जनता के बीच जाएगी और आंदोलन भी शुरू करेगी.
वहीं, कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि महंगाई का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा है. चुनावों में कांग्रेस महंगाई के मुद्दे को लेकर ही जनता के बीच गई और जनता ने भी महंगाई के खिलाफ अपना जनादेश दिया है. सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम कुछ कम किए हैं, लेकिन अन्य वस्तुओं के दाम कम नहीं किये हैं जिससे लोगों को कोई राहत नही मिली है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस महंगाई के मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरेगी.
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