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IGMC में सफाईकर्मी और ठेकेदार आमने-सामने, वेतन रोके जाने पर आंदोलन की दी चेतावनी - आईजीएमसी सफाई कर्मचारी यूनियन

राजधानी शिमला के आईजीएमसी में सफाईकर्मी और ठेकदार आमने सामने आ गए हैं. स्थिति यह बन चुकी है कि एक तरफ ठेकेदार चार कर्मचारियों को ड्यूटी पर नहीं बुला रहा है और दूसरी ओर कर्मचारी ठेकेदार पर प्रताड़ित करने के आरोप लगा रहे हैं. आईजीएमसी सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष पमिश ने कहा कि चार कर्मचारियों को ठेकेदार ने ड्यूटी से बाहर किया है. एक दिसंबर से लेकर अभी तक उन्हें ड्यूटी नहीं दी गई है.

cleanliness workers conflict igmc
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Published : Dec 10, 2020, 8:37 PM IST

शिमलाः कोरोना काल के बीच जहां अस्पतालों में स्टाफ की अधिक जरूरत पड़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ आईजीएमसी में सफाई कर्मचारियों और ठेकेदार के बीच खूब तनातनी चली हुई है. यह तनातनी काफी दिनों से चलती आ रही है, लेकिन एक भी पक्ष मानने को तैयार नहीं है.

अब स्थिति यह बन चुकी है कि एक तरफ ठेकेदार चार कर्मचारियों को ड्यूटी पर नहीं बुला रहा है और दूसरी ओर कर्मचारी ठेकेदार पर प्रताड़ित करने के आरोप लगा रहे हैं. आईजीएमसी सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष पमिश ने कहा कि चार कर्मचारियों को ठेकेदार ने ड्यूटी से बाहर किया है. एक दिसंबर से लेकर अभी तक उन्हें ड्यूटी नहीं दी गई है. यहां पर दो सफाई महिला कर्मचारियों की लड़ाई हुई थी, लेकिन उनमें से जिस महिला की गलती थी.

ड्यूटी पर नहीं किया जा रहा बहाल

उन्हें तो ड्यूटी दी गई है और जो सही थी उसे ड्यूटी से बाहर किया गया है. वर्तमान में चार कर्मचारी पमिश ठाकुर, सीमा देवी, विनय कुमार और तेज सिंह को ड्यूटी नहीं दी जा रही है और न ही कुछ को वेतन दिया गया है. वहीं, सफाई कर्मचारी सीमा ने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होंने आईजीएमसी प्रशासन को भी अवगत करवाया था, लेकिन प्रशासन ने साफ तौर पर कहा कि तुम ठेकेदार के अंडर काम करते हैं. इस मामले को लेकर ठेकेदार से ही बात करने को कहा गया है.

ठेकेदार पर मनमानी का आरोप

उधर, सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष का कहना है कि वैसे तो सफाई कर्मचारियों को हमेशा ही सुविधा देने वंचित रखा गया है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि कोरोना काल में भी सफाई कर्मचारियों को मास्क, सेनिटाइजर सहित कोई भी अन्य चीजें नहीं दी जा रही है. अध्यक्ष का आरोप है कि उनका ठेकेदार अपनी मनमानी कर रहा है.

उन्होंने कहा कि यहां 72 कर्मियों की जरूरत है, जबकि 27 कर्मचारियों से ही काम लिया जा रहा है. जो कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की मांग है वह अभी तक पूरी नहीं की गई है. इसी तरह 2020 की सफाई कर्मचारियों की वर्दी, बूट और स्वेटर पेंडिंग है, जो अभी तक नहीं मिले हैं. वहीं, ठेकेदार को अगर कोई भी डिमांड कहें तो वहां कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करता है. कर्मचारियों को वर्तमान में 7605 रूपए के हिसाब से सैलरी मिलती है, जिससे उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता है.

मुखयमंत्री को सौंपा ज्ञापन

सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर मुखयमंत्री को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन के माध्यम से सफाई कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिल रहा है. वहीं, ग्रेच्युटी और बोनस न मिलना, सैलरी का हर साल न बढना, ड्रेस कोड और स्वेटर न मिलना व कुछ कर्मचारियों को सैलरी न देना है. इसके अलावा ठेकेदार के पास 159 कर्मचारियों का ठेका दिया हुआ है. जबकि ठेकेदार 130 कर्मचारियों से काम ले रहा है. सफाई कर्मचारी कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रहे हैं, लेकिन ठेकेदार कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल सरकार का हाईकोर्ट में शपथपत्र, प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं

ये भी पढ़ें- कांग्रेस मुक्त बूथ का सपना छोड़ें BJP प्रभारी, बेरोजगारी व महंगाई कम करने पर दें ध्यान: राठौर

शिमलाः कोरोना काल के बीच जहां अस्पतालों में स्टाफ की अधिक जरूरत पड़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ आईजीएमसी में सफाई कर्मचारियों और ठेकेदार के बीच खूब तनातनी चली हुई है. यह तनातनी काफी दिनों से चलती आ रही है, लेकिन एक भी पक्ष मानने को तैयार नहीं है.

अब स्थिति यह बन चुकी है कि एक तरफ ठेकेदार चार कर्मचारियों को ड्यूटी पर नहीं बुला रहा है और दूसरी ओर कर्मचारी ठेकेदार पर प्रताड़ित करने के आरोप लगा रहे हैं. आईजीएमसी सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष पमिश ने कहा कि चार कर्मचारियों को ठेकेदार ने ड्यूटी से बाहर किया है. एक दिसंबर से लेकर अभी तक उन्हें ड्यूटी नहीं दी गई है. यहां पर दो सफाई महिला कर्मचारियों की लड़ाई हुई थी, लेकिन उनमें से जिस महिला की गलती थी.

ड्यूटी पर नहीं किया जा रहा बहाल

उन्हें तो ड्यूटी दी गई है और जो सही थी उसे ड्यूटी से बाहर किया गया है. वर्तमान में चार कर्मचारी पमिश ठाकुर, सीमा देवी, विनय कुमार और तेज सिंह को ड्यूटी नहीं दी जा रही है और न ही कुछ को वेतन दिया गया है. वहीं, सफाई कर्मचारी सीमा ने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होंने आईजीएमसी प्रशासन को भी अवगत करवाया था, लेकिन प्रशासन ने साफ तौर पर कहा कि तुम ठेकेदार के अंडर काम करते हैं. इस मामले को लेकर ठेकेदार से ही बात करने को कहा गया है.

ठेकेदार पर मनमानी का आरोप

उधर, सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष का कहना है कि वैसे तो सफाई कर्मचारियों को हमेशा ही सुविधा देने वंचित रखा गया है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि कोरोना काल में भी सफाई कर्मचारियों को मास्क, सेनिटाइजर सहित कोई भी अन्य चीजें नहीं दी जा रही है. अध्यक्ष का आरोप है कि उनका ठेकेदार अपनी मनमानी कर रहा है.

उन्होंने कहा कि यहां 72 कर्मियों की जरूरत है, जबकि 27 कर्मचारियों से ही काम लिया जा रहा है. जो कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की मांग है वह अभी तक पूरी नहीं की गई है. इसी तरह 2020 की सफाई कर्मचारियों की वर्दी, बूट और स्वेटर पेंडिंग है, जो अभी तक नहीं मिले हैं. वहीं, ठेकेदार को अगर कोई भी डिमांड कहें तो वहां कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करता है. कर्मचारियों को वर्तमान में 7605 रूपए के हिसाब से सैलरी मिलती है, जिससे उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता है.

मुखयमंत्री को सौंपा ज्ञापन

सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर मुखयमंत्री को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन के माध्यम से सफाई कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिल रहा है. वहीं, ग्रेच्युटी और बोनस न मिलना, सैलरी का हर साल न बढना, ड्रेस कोड और स्वेटर न मिलना व कुछ कर्मचारियों को सैलरी न देना है. इसके अलावा ठेकेदार के पास 159 कर्मचारियों का ठेका दिया हुआ है. जबकि ठेकेदार 130 कर्मचारियों से काम ले रहा है. सफाई कर्मचारी कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रहे हैं, लेकिन ठेकेदार कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है.

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