किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में इस वर्ष अच्छी बर्फबारी हुई है. बागवानों व किसानों ने बर्फबारी के बाद अपने सेब व अन्य फसलों के लिए इस बर्फबारी को अमृत के रूप में माना, लेकिन मार्च महीने में ऐसा कुछ हुआ जिसके बाद बागवान-किसान परेशान हैं. दरअसल मार्च महीने में (CLIMATE CHANGE IN KINNAUR) जिले के अंदर मौसम इतना गर्म हुआ कि बर्फ का नामोनिशान नहीं रहा और गर्मी अचानक बढ़ने लगी. जिसके फलस्वरूप जिले के अंदर सेब के पेड़ों में समय से पहले पिंक बर्ड यानी गुलाबी कली खिलने लगी, जिससे समूचे जिले के बागवान व किसान हैरान हैं.
बागवानों का कहना है कि जिले में इस वर्ष जनवरी और फरवरी माह में काफी अच्छी बर्फबारी हुई, लेकिन मार्च माह में बढ़ती गर्मी ने सेब बागवानों को हैरत में डाल दिया है. समय से पूर्व निचले इलाकों व ऊपरी इलाकों में समानांतर एक ही समय में सेब के पेड़ों पर गुलाबी कली (pink bud in apple trees) खिलने लगी है, जो अच्छी बात नहीं है. इससे पूर्व इस तरह से गुलाबी कली इतनी जल्दी नहीं खिलती थी. बागवानों का कहना है कि जिले में अप्रैल माह के अंत तक बर्फबारी कभी भी हो सकती है और ऐसे में समय से पहले सेब के पेड़ों में खिलने वाली गुलाबी कली को बर्फ नुकसान पहुंचा सकती है. बागवानों को इसका भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
कुछ बागवानों का कहना है कि जब से जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य शुरू हुए उसके बाद जिले में वातावरण बदलने लगा है और मौसम में भी लगातार बदलाव देखा जा रहा है. कभी अचानक बारिश या बर्फबारी हो जाती है तो वहीं, अब एकदम से मौसम बहुत गर्म हो रहा है. बागवानों का कहना है कि शायद जलविद्युत परियोजनाओं का ही असर अब जिले के वातावरण में बदलाव ला रहा है. जिसका प्रभाव बगीचों पर पड़ रहा है.
वहीं, जियोलॉजिस्ट वीरेंद्र नेगी कहते हैं कि जिले में अचानक बदलते मौसम का सेब की फसल पर असर पड़ सकता है. प्रदेश के अन्य इलाकों मे भी इस तरह के मौसम में बदलाव की बातें सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि जिले के अंदर सेब के पेड़ों में मार्च महीने में फ्लावरिंग का आना चिंताजनक भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे जिले का वातावरण बदल रहा है.
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