रामपुर: नगर परिषद रामपुर ठेका मजदूर यूनियन सम्बंधित सीटू ने न्यूनतम वेतन लागू (City Council Rampur Contract Mazdoor Union) करने, अप्रैल माह का वेतन व श्रम कानूनों को लागू करने की मांग को लेकर आज नगर परिषद कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन (CITU protest in rampur) किया. इस प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू जिला कमेटी सदस्यों ने कहा कि रामपुर नगर परिषद के प्रबंधन, ठेकेदार व श्रम विभाग की मिली भगत से नगर परिषद के अंदर कार्य कर रहे मजदूरों पर श्रम कानूनों को लागू न करके मजदूरों का खुला शोषण किया जा रहा है.
मजदूरों को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित 1 अप्रैल 2021 से न्यूनतम वेतन 300 रुपये अभी तक लागू नहीं किया जा रहा है. नगर परिषद के अंदर कार्य कर रहे सभी ठेका मजदूरों को पिछले लंबे समय से समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और 1 मजदूर को तो पिछले 5 महीने का वेतन साजिश के तहत नहीं दिया जा रहा है. जिसके विषय में बार-बार लिखित व मौखिक रुप से नगर परिषद प्रबंधन, ठेकेदार व श्रम विभाग को इस विषय में अवगत करवाया. जिसके कारण इन ठेका मजदूरों को इस महंगाई के दौर में कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
रामपुर नगर परिषद के अंदर काम कर रहे ठेका मजदूरों पर किसी भी श्रम कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा है और न ही मजदूरों की सेफ्टी का कोई ख्याल रखा जा रहा है. मजदूरों को सेफ्टी के नाम पर ग्लव्स, मास्क कुछ नहीं दिया जा रहा है और न ही श्रम कानून के अनुसार हर माह की 7 तारीख से पहले वेतन मिलना चाहिए जो नहीं मिल रहा है. अभी भी 1 मजदूर को जानबूझकर पिछले 5 महीने का वेतन और बाकी मजदूरों को 2 महिने से वेतन नहीं दिया गया. वेतन की मांग करने पर नौकरी से निकालने की धमकी ठेकेदार व नगर परिषद के प्रबंधन के द्वारा दिया जा रहा है.
नगर परिषद के अंदर काम कर रहे मजदूरों को न तो श्रम अधिकारी द्वारा सत्यापित कोई आई कार्ड, वेतन स्लिप, रविवार की छुट्टी के अलावा अन्य कोई छुट्टी तक नहीं दी जा रही है. ईपीएफ का कोई रिकॉर्ड तक नहीं रखा गया है और ईपीएफ को लागू नहीं किया गया है. साथ ही हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 1 अप्रेल 2021 से निर्धारित किये गए न्यूनतम वेतन जो प्रतिदिन 300 रुपये निर्धारित किया गया है को अभी तक लागू नहीं किया गया है. मजदूरों की खुली लूट की जा रही है जिसे यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी. यहां तक कि मजदूरों के ठेकेदार व नगर परिषद प्रबंधन के द्वारा 2018 से 2022 तक के ईपीएफ का कोई रिकॉर्ड तक मजदूरों को नहीं दिया गया है.
उन्होंने कहा कि आज महंगाई लगातार बढ़ रही है. खाने की मूलभूत वस्तुओं के दाम तेल, दाल, आटा, चावल, सब्जियों के दाम, प्याज व टमाटर, कमरे का किराया, बिजली, बस किराया व रसोई गैस की कीमतों में जिस हिसाब से बढ़ोतरी हो रही है. ऐसी स्थिति में अप्रैल महीने से वेतन न मिलने के कारण मजदूरों को कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वैसे भी इस महंगाई के दौर में मजदूरों का न्यूनतम वेतन बहुत कम है. गरीब मजदूरों को समय से वेतन न मिले ऐसे में परिवार का पालन पोषण करना कितना मुश्किल होता है.
ऐसे में मजदूरों को अपने अधिकारों के लिए आज सड़क पर आने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा है. इस धरने के माध्यम से वक्ताओं ने कहा कि यदि 1 मजदूर को 5 महीने का वेतन व बाकी मजदूरों को अप्रैल माह का वेतन व 1 साल में न्यूनतम वेतन से कम दिए वेतन का एरियर का भुगतान नहीं किया तो यूनियन आंदोलन को तेज करेगी और कूड़े उठाने का काम भी बंद किया जाएगा. इस धरने में अनूप, मोती राम,राजू राणा, नीलम, मनिता, तारामणि ,रजनी, मंजीत, किरण, सुशीला, सोमारी, सीता, उस्तानी,रजनी , बीरमानिय, सोनिया,चिंता ने भाग लिया.