शिमला: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (central trade unions) के संयुक्त मंच के देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू (trade union situ) द्वारा 26 नवंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए जाएंगे. इस दौरान प्रदेश भर में हजारों मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे. ये प्रदर्शन शिमला, रामपुर, रोहड़ू, निरमण्ड, ठियोग, टापरी, सोलन, अर्की, पांवटा साहिब, कुल्लू, आनी, सैंज, बंजार, मंडी, जोगिंद्रनगर, सरकाघाट, बालीचौकी, हमीरपुर, धर्मशाला, चंबा, ऊना आदि में किए जाएंगे.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा (CITU State President Vijender Mehra) ने देश के किसानों को किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों (farm laws) को खत्म करने की लड़ाई को इतिहासिक करार दिया है. उन्होंने कहा है कि किसानों के एक साल के लंबे संघर्ष के कारण ही केंद्र की मोदी सरकार को पीछे हटना पड़ा है व तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी को केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है.
कोरोना काल में पारित मजदूर विरोधी चार लेबर कोड, बिजली विधेयक 2020, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण (privatization of the public sector), नई शिक्षा नीति (new education policy), भारी बेरोजगारी, महिलाओं व दलितों पर बढ़ती हिंसा इसके प्रमुख उदाहरण हैं. सरकार के ये कदम मजदूर, किसान, कर्मचारी, महिला, युवा, छात्र व दलित विरोधी रहे हैं और पूंजीपतियों के हित में हैं.
उन्होंने कहा कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों के खिलाफ आंदोलन तेज होगा. इस कड़ी में 26 नवम्बर को देशव्यापी प्रदर्शन होंगे. इसके बाद बजट सत्र 2022 में मजदूरों द्वारा दो दिन की हड़ताल की जाएगी. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पिछले दो वर्षों में लगभग 15 करोड़ मजदूर रोजगार से वंचित हो चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली है. इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिए गए.
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हिमाचल प्रदेश में पांच हजार से ज्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया है. जनता भारी महंगाई से त्रस्त . खाद्य वस्तुओं, सब्जियों व फलों के दाम में कई गुणा वृद्धि करके जनता से जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है. पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel price) व रसोई गैस की बेलगाम कीमतों से जनता का जीना दूभर हो गया है. इन भारी कीमतों के कारण देश की तीस प्रतिशत जनता पिछले एक वर्ष में रसोई गैस का इस्तेमाल करना बंद कर चुकी है.
विजेंद्र मेहरा ने केंद्र सरकार से मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों (four labour codes) को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये घोषित करने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील (mid day meal) व आशा योजना कर्मियों को नियमित सरकारी कर्मचारी घोषित करने, प्रति व्यक्ति 7500 रुपये की आर्थिक मदद, सबको दस किलो राशन, सरकारी डिपुओं में वितरण प्रणाली को मजबूत करने, भारी बेरोजगारी और इसके साथ ही बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने की मांग की है.
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