शिमलाः सोलन की मानवभारती यूनिवर्सिटी ही नहीं शिमला की एपीजी यूनिवर्सिटी में भी फेक डिग्रियों का काला कारोबार चल रहा था. सीआईडी को शिमला की एपीजी यूनिवर्सिटी में जांच के दौरान कई अहम सुराग मिले हैं. सीआईडी की क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एपीजी यूनिवर्सिटी में दबिश देकर पिछले कुछ वर्षों का रिकॉर्ड खंगाला था.
सीआईडी की क्राइम ब्रांच के अनुसार दो सौ से अधिक डिग्रियां संदेह के घेरे में हैं. हालांकि एपीजी प्रबंधन जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. जो रिकॉर्ड क्राइम ब्रांच चाह रही है, उसे उपलब्ध करवाने में आनाकानी की जा रही है. क्राइम ब्रांच के डीएसपी मुकेश कुमार की टीम ने एपीजी यूनिवर्सिटी शिमला में जाकर जांच की है. जांच के दौरान फॉरेंसिक साइंस के विशेषज्ञ भी साथ थे.
ऐसा संदेह जताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया है. दूसरी ओर, एपीजी यूनिवर्सिटी प्रबंधन इस बारे में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. सीआईडी के डीआईजी (क्राइम) विमल गुप्ता के अनुसार सीआईडी ने तीन दिन तक एपीजी यूनिवर्सिटी में जांच की है.
रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है और वैज्ञानिक तरीके से जांच आगे बढ़ाई जा रही है. उल्लेखनीय है कि सोलन की मानव भारती यूनिवर्सिटी ने तो फर्जी डिग्रियों का बड़ा रैकेट चलाया था. हजारों डिग्रियां मोटी रकम देकर बांटी गई. मानव भारती यूनिवर्सिटी के बाद ही जांच की आंच शिमला की एपीजी यूनिवर्सिटी तक भी आई, हालांकि यहां मानव भारती की तरह व्यापक पैमाने पर जालसाजी नहीं हुई है.
अब सीआईडी की क्राइम ब्रांच जांच को लेकर आगे के एक्शन पर काम कर रही है. ये पता लगाया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी ने कौन सा रिकॉर्ड जलाया है. नियमों के अनुसार रिकॉर्ड को ऐसे नहीं जलाया जा सकता. फॉरेंसिक विशेषज्ञों का भी सीआईडी सहयोग ले रही है.
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