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कोरोना संकट: शिमला में ईस्टर पर बंद रहे चर्च, लोगों ने घरों में ही की प्रार्थना

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Published : Apr 12, 2020, 1:02 PM IST

रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर का पर्व मनाया. यह पहली बार था जब ईस्टर पर शिमला के चर्च के द्वार पूरी तरह से बंद रहे और बंद दरवाजों के पीछे ही ईस्टर के अवसर पर विशेष प्रार्थना की गई.

easter in shimla
शिमला में ईस्टर

शिमला: राजधानी शिमला में रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर का पर्व मनाया. यह पहली बार था जब ईस्टर पर शिमला के चर्च के द्वार पूरी तरह से बंद रहे. कोरोना की वजह से प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल बंद हैं. ऐसे में लोग प्रार्थना के लिए चर्च नहीं आ सके.

शिमला के क्राइस्ट चर्च के साथ ही ऐतिहासिक कैथोलिक चर्च में ईस्टर पर विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया. जिसमें ईसाई समुदाय के लोग तो शामिल नहीं हो सके लेकिन क्राइस्ट चर्च में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें प्रार्थना से जोड़ा गया. वहीं, कैथोलिक चर्च में मात्र पादरी सहित एक दो अन्य लोगों ने विशेष प्रार्थना सभा में भाग लिया.

शिमला के सभी चर्च में विशेष प्रार्थना में शांति अमन की कामना की गई और इस वैश्विक महामारी से निजात दिलाने के लिए भी प्रभु यीशु मसीह से कामना की गई. गुड फ्राइडे के बाद वाले रविवार को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है. ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद यानी कि रविवार को ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हो गए थे. वह दोबारा जीवित होने के बाद 40 दिन तक अपने शिष्यों के बीच रहे थे और अंत मे स्वर्ग चले गए. तभी से यह दिन ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

कैथोलिक चर्च के पादरी टी राज फादर ने बताया कि इस दिन क्षमा और दया को समर्पित कर मनाया जाता है. इस दिन दोबारा जीवित होने के बाद प्रभु यीशु मसीह ने उन लोगों को माफ कर दिया था जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था. इसी के चलते इस दिन पर आपसी बैर भुलाकर ईसाई धर्म के लोग विश्व के कल्याण की कामना करते हैं.

बता दें कि ईस्टर पर सुबह 6 बजे और फिर 8 बजे दो विशेष प्रार्थना सभाएं की गई. कोरोना की वजह से ईसाई समुदाय के लोग चर्च नहीं आ सके तो उन्होंने अपने घर पर ही ईस्टर मनाया.

ये भी पढ़ें: जो काम कई सरकारें नहीं कर पाईं वो 'कोरोना' कर गया, देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

शिमला: राजधानी शिमला में रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर का पर्व मनाया. यह पहली बार था जब ईस्टर पर शिमला के चर्च के द्वार पूरी तरह से बंद रहे. कोरोना की वजह से प्रदेश के सभी धार्मिक स्थल बंद हैं. ऐसे में लोग प्रार्थना के लिए चर्च नहीं आ सके.

शिमला के क्राइस्ट चर्च के साथ ही ऐतिहासिक कैथोलिक चर्च में ईस्टर पर विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया. जिसमें ईसाई समुदाय के लोग तो शामिल नहीं हो सके लेकिन क्राइस्ट चर्च में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें प्रार्थना से जोड़ा गया. वहीं, कैथोलिक चर्च में मात्र पादरी सहित एक दो अन्य लोगों ने विशेष प्रार्थना सभा में भाग लिया.

शिमला के सभी चर्च में विशेष प्रार्थना में शांति अमन की कामना की गई और इस वैश्विक महामारी से निजात दिलाने के लिए भी प्रभु यीशु मसीह से कामना की गई. गुड फ्राइडे के बाद वाले रविवार को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है. ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद यानी कि रविवार को ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हो गए थे. वह दोबारा जीवित होने के बाद 40 दिन तक अपने शिष्यों के बीच रहे थे और अंत मे स्वर्ग चले गए. तभी से यह दिन ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

कैथोलिक चर्च के पादरी टी राज फादर ने बताया कि इस दिन क्षमा और दया को समर्पित कर मनाया जाता है. इस दिन दोबारा जीवित होने के बाद प्रभु यीशु मसीह ने उन लोगों को माफ कर दिया था जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था. इसी के चलते इस दिन पर आपसी बैर भुलाकर ईसाई धर्म के लोग विश्व के कल्याण की कामना करते हैं.

बता दें कि ईस्टर पर सुबह 6 बजे और फिर 8 बजे दो विशेष प्रार्थना सभाएं की गई. कोरोना की वजह से ईसाई समुदाय के लोग चर्च नहीं आ सके तो उन्होंने अपने घर पर ही ईस्टर मनाया.

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