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छात्र अभिभावक मंच की सरकार से मांग, निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस हो माफ

दिल्ली व हरियाणा प्रदेश सरकारों ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की मार्च से मई तक की फीस माफ कर दी है. इसी को देखते हुए अब प्रदेश में भी छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश सरकार के समक्ष मांग उठाई है कि इन राज्यों की तर्ज पर हिमाचल में भी निजी स्कूलों को मार्च से मई 2020 तक की छात्रों की फीस माफ करने के निर्देश जारी किए जाए.

fees in schools should be exempted
छात्र अभिभावक मंच हिमाचल
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Published : Apr 29, 2020, 8:50 PM IST

शिमला: प्रदेश में निजी स्कूल बार-बार अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे हैं. दिल्ली व हरियाणा प्रदेश सरकारों ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की मार्च से मई तक की फीस माफ कर दी है. इसी को देखते हुए अब प्रदेश में भी छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश सरकार के समक्ष मांग उठाई है कि इन राज्यों की तर्ज पर हिमाचल में भी निजी स्कूलों को मार्च से मई 2020 तक की छात्रों की फीस माफ करने के निर्देश जारी किए जाए.

मंच ने यह मांग प्रदेश के शिक्षा मंत्री से करते हुए कहा कि इन राज्यों से सीख लेते हुए प्रदेश में भी निजी स्कूलों को इस तरह के आदेश जारी करें. छात्र अभिभावक मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि दिल्ली व हरियाणा सरकार की ओर से निजी स्कूलों को यह आदेश जारी किए गए हैं कि वह छात्रों की ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई भी मार्च से मई महीने तक नहीं लेंगे.

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि नर्सरी, एलकेजी व अन्य छोटी कक्षाओं के जिन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो रही है. उनसे ट्यूशन फीस भी नहीं ली जाए और उनकी पूरी फीस माफ की जाए. उन्होंने मांग की है कि प्रदेश सरकार भी इस तरह के निर्देश निजी स्कूलों को जारी करें. उनका कहना है कि निजी स्कूल अभिभावकों से भारी फीस वसूल रहे हैं. कुल फीस का 40 प्रतिशत हिस्सा नॉन ट्यूशन फीस का है.

अगर सरकार एनुअल चार्ज जिसे वसूलने पर हिमाचल उच्च न्यायालय ने पहले से ही रोक लगा दी है. मिसलेनियस चार्ज, स्मार्ट क्लास, रूम चार्ज और कंप्यूटर फीस को ही माफ करने की घोषणा कर दे तो अभिभावकों को इससे एक बड़ी राहत मिल जाएगी. छात्र अभिभावक मंच ने यह भी कहा है कि अगर सरकार व शिक्षा निदेशालय इस तरह के आदेश प्रदेश में देने में असफल रहता है तो हिमाचल उच्च न्यायालय को वर्ष 2016 के निजी स्कूलों के संदर्भ में दिए गए अपने निर्णय को लागू करवाने और निजी स्कूलों की लूट को रोकने के लिए स्वयं संज्ञान लेना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट

कोर्ट को तीन महीने की फीस माफ करके राहत प्रदान करनी चाहिए. इसके साथ ही मंच ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछले वर्ष तीन अधिसूचनाओं के माध्यम से उच्च शिक्षा निदेशक ने निजी स्कूलों से हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने, भारी फीसों पर रोक लगाने व ज्यादा वसूली गई फीसों को अभिभावकों को वापस करने के साथ ही अगली किश्त में समाहित करने के आदेश दिए थे. इन तीनों ही निर्णयों में से एक भी निर्णय किसी भी स्कूल में लागू नहीं किया है.

ऐसे में यह स्पष्ट हो रहा है कि लगातार प्रदेश में निजी स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं और सरकार के साथ ही शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में असफल साबित हो रहा है. बता दें कि प्रदेश शिक्षा मंत्री की ओर से पहले भी यह बात कही जा चुकी है कि छात्रों की फीस माफ करने को लेकर फैसला निजी स्कूल अपने स्तर पर लेंगे सरकार इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं करेगी. वहीं, प्रदेश के एक-दो निजी स्कूल ऐसे भी हैं जिन्होंने छात्रों की फीस माफ की है.

ये भी पढ़ें: खबर का असर: प्रवासियों के लिए राशन लेकर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी

शिमला: प्रदेश में निजी स्कूल बार-बार अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे हैं. दिल्ली व हरियाणा प्रदेश सरकारों ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की मार्च से मई तक की फीस माफ कर दी है. इसी को देखते हुए अब प्रदेश में भी छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश सरकार के समक्ष मांग उठाई है कि इन राज्यों की तर्ज पर हिमाचल में भी निजी स्कूलों को मार्च से मई 2020 तक की छात्रों की फीस माफ करने के निर्देश जारी किए जाए.

मंच ने यह मांग प्रदेश के शिक्षा मंत्री से करते हुए कहा कि इन राज्यों से सीख लेते हुए प्रदेश में भी निजी स्कूलों को इस तरह के आदेश जारी करें. छात्र अभिभावक मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि दिल्ली व हरियाणा सरकार की ओर से निजी स्कूलों को यह आदेश जारी किए गए हैं कि वह छात्रों की ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई भी मार्च से मई महीने तक नहीं लेंगे.

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि नर्सरी, एलकेजी व अन्य छोटी कक्षाओं के जिन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो रही है. उनसे ट्यूशन फीस भी नहीं ली जाए और उनकी पूरी फीस माफ की जाए. उन्होंने मांग की है कि प्रदेश सरकार भी इस तरह के निर्देश निजी स्कूलों को जारी करें. उनका कहना है कि निजी स्कूल अभिभावकों से भारी फीस वसूल रहे हैं. कुल फीस का 40 प्रतिशत हिस्सा नॉन ट्यूशन फीस का है.

अगर सरकार एनुअल चार्ज जिसे वसूलने पर हिमाचल उच्च न्यायालय ने पहले से ही रोक लगा दी है. मिसलेनियस चार्ज, स्मार्ट क्लास, रूम चार्ज और कंप्यूटर फीस को ही माफ करने की घोषणा कर दे तो अभिभावकों को इससे एक बड़ी राहत मिल जाएगी. छात्र अभिभावक मंच ने यह भी कहा है कि अगर सरकार व शिक्षा निदेशालय इस तरह के आदेश प्रदेश में देने में असफल रहता है तो हिमाचल उच्च न्यायालय को वर्ष 2016 के निजी स्कूलों के संदर्भ में दिए गए अपने निर्णय को लागू करवाने और निजी स्कूलों की लूट को रोकने के लिए स्वयं संज्ञान लेना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट

कोर्ट को तीन महीने की फीस माफ करके राहत प्रदान करनी चाहिए. इसके साथ ही मंच ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछले वर्ष तीन अधिसूचनाओं के माध्यम से उच्च शिक्षा निदेशक ने निजी स्कूलों से हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने, भारी फीसों पर रोक लगाने व ज्यादा वसूली गई फीसों को अभिभावकों को वापस करने के साथ ही अगली किश्त में समाहित करने के आदेश दिए थे. इन तीनों ही निर्णयों में से एक भी निर्णय किसी भी स्कूल में लागू नहीं किया है.

ऐसे में यह स्पष्ट हो रहा है कि लगातार प्रदेश में निजी स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं और सरकार के साथ ही शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में असफल साबित हो रहा है. बता दें कि प्रदेश शिक्षा मंत्री की ओर से पहले भी यह बात कही जा चुकी है कि छात्रों की फीस माफ करने को लेकर फैसला निजी स्कूल अपने स्तर पर लेंगे सरकार इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं करेगी. वहीं, प्रदेश के एक-दो निजी स्कूल ऐसे भी हैं जिन्होंने छात्रों की फीस माफ की है.

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