शिमला: हिमाचल में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट-आईटी (JOA-IT) पोस्ट कोड-556 के अभ्यर्थियों (Junior Office Assistant in Himachal) ने हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्णय के तहत सरकार से भर्ती की मांग की है. अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि इस मामले में फाइनल मेरिट बनने से पहले ही उन्हें पात्रता सिद्ध करने के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने इनके पक्ष में फैसला किया है. अब इन 2400 अभ्यर्थियों की मांग है कि इन्हें मेरिट में शामिल कर सरकार नियुक्ति दे.
अभ्यर्थियों का कहना है कि वे परीक्षा के तीनों चरण पास कर चुके थे और पिछले चार साल से कोर्ट में अपनी पात्रता सिद्ध कर रहे थे. इस दौरान इन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा. अभ्यर्थी सुशील ने बताया कि वह 4 साल से कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं और अब जब उनके हक में फैसला हुआ है, तो प्रशासनिक अधिकारी उन्हें नियुक्ति देने से इनकार कर रहे हैं. सुरेश ने कहा कि वह गुरुवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिले थे, जहां मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया.
अब जब उन्होंने मुख्य सचिव से मुलाकात की तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि वह इस मामले को नहीं होने देंगे, जिसके बाद अभ्यर्थी काफी निराश हैं. सुशील ने कहा कि वह इतने समृद्ध परिवार से नहीं हैं कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकें. बड़ी मुश्किल से अपने हक की लड़ाई के लिए हाईकोर्ट तक गए थे, जहां उन्हें जीत मिली और फैसला उनके हक में सुनाया गया.
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अब नियुक्ति करने से प्रशासन का अधिकारी मना कर रहे हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह अपना हक मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरिट में होने के बावजूद उन्हें दरकिनार क्यों किया गया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने उनके हक में फैसला दिया है तो उस फैसले को लागू करते हुए उन्हें तुरंत नियुक्ति (government job in himachal) दी जानी चाहिए.
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