शिमला: सांसद रामस्वरूप शर्मा की दुखद मौत के बाद अब ये सवाल हवा में तैर रहा है कि पीएम मोदी के सुदामा की राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा? मंडी लोकसभा सीट देश में अलग ही पहचान रखती है. ये क्षेत्रफल के लिहाज से भारत की दूसरी सबसे बड़ी सीट है.
पीएम मोदी के सुदामा का वारिस कौन होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी से सांसद हैं और वे कहा करते थे कि रामस्वरूप शर्मा जैसा सरल इंसान छोटी काशी का सांसद है. पीएम मोदी मंडी सीट से अपनापन रखते थे. वहीं, रामस्वरूप शर्मा खुद को पीएम मोदी का सुदामा कहते थे. ऐसे में इस सीट पर पीएम मोदी के सुदामा का वारिस कौन होगा, इसकी चर्चा शुरू हो गई है. आरएसएस की पृष्ठभूमि से निकले रामस्वरूप शर्मा जमीन से जुड़े थे. वे संगठन के कार्यों के प्रति समर्पित थे और संगठन महामंत्री का पदभार कुशलता से संभाला था.
रामस्वरूप शर्मा का विकल्प खड़ा करना थोड़ा मुश्किल
ऐसी पृष्ठभूमि से जब वे चुनावी राजनीति में आए तो पर्दे के पीछे रहकर काम करने की आदत बरकरार रही. यही कारण है कि रामस्वरूप शर्मा ने राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया. उनके परिवार में कोई भी व्यक्ति राजनीति में सक्रिय होकर आगे आने का इच्छुक नहीं है. रामस्वरूप शर्मा के निधन से खाली हुआ शून्य भरने के लिए भाजपा को भी मुश्किल होगी. ये सही है कि भाजपा के पास एक बड़ा संगठन है और चुनावी मैदान में उतारने के लिए प्रत्याशियों की कमी नहीं, लेकिन मंडी लोकसभा सीट पर जम चुके रामस्वरूप शर्मा का विकल्प खड़ा करना थोड़ा मुश्किल है.
पुराने चेहरे के अलावा नए चेहरे उतारने का विकल्प
मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखें तो भाजपा के पास मंडी सीट के लिए पुराने चेहरे के अलावा नए चेहरे उतारने का विकल्प है. भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह मंडी से चुनाव लड़ते रहे हैं. वे इस सीट से संसद में भी पहुंचे हैं, लेकिन इस समय जिन नामों पर गंभीरता से विचार हो सकता है, उनमें शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर और सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल का नाम शामिल है.
करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर भी रेस में
इसके अलावा करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर का नाम भी है. खुशाल सिंह बेहद मजबूत प्रत्याशी हैं. पूर्व सैनिकों के अलावा उनकी फोरलेन प्रभावितों में गहरी पैठ है. राकेश जम्वाल युवा हैं और लंबी पारी के खिलाड़ी हैं. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर सीएम जयराम ठाकुर के करीबी हैं. राकेश जम्वाल भी मुख्यमंत्री की पसंद हैं. कारण ये है कि दोनों ही सीएम के प्रभामंडल के अधीन रहेंगे. दिवंगत सांसद रामस्वरूप शर्मा के परिवार में किसी की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. न ही कोई सदस्य इस तरह से सक्रिय राजनीति में है.
किसके हिस्से आएगी पीएम मोदी के सुदामा रामस्वरूप शर्मा की विरासत?
वहीं, यदि भाजपा शिक्षा मंत्री को मैदान में उतारती है तो एक साथ कई और काम पड़ेंगे. एक तो उपचुनाव होगा मनाली सीट पर दूसरा कैबिनेट में उनका विकल्प देखना पड़ेगा. उपचुनाव तो उस स्थिति में भी होगा, यदि राकेश जम्वाल को उतारा गया. वहीं, ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को यदि रण में भेजा गया तो ये चक्कर नहीं पड़ेगा. फिलहाल, देखना है कि पीएम मोदी के सुदामा रामस्वरूप शर्मा की विरासत किसके हिस्से आएगी.
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