शिमला: हिमाचल से राज्यसभा के लिए सोमवार को बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सिकन्दर कुमार (rajya sabha candidate dr sikander kumar) ने नामांकन दाखिल किया. विधानसभा परिसर में इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार, उपाध्यक्ष हंस राज, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप विशेष रूप से उपस्थित रहे.
डॉक्टर सिकंदर कुमार सुबह 10:20 पर विधान सभा पहुंचे. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के साथ डॉ. सिकंदर विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार से उनके कक्ष में मिले. वहां सीएम जयराम ठाकुर ने उनका स्वागत किया. बाद में 11:05 बजे नामांकन (dr sikander kumar files nomination) भरा गया.
नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्यसभा के चुनाव को लेकर सीट को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसी कड़ी में डॉक्टर सिकंदर कुमार ने नामांकन भर दिया है. उन्होंने डॉ. सिकन्दर के नाम के लिए केंद्र नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का आभार व्यक्त किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर सिकंदर कुमार एक साधारण एवं गरीब परिवार से आते हैं और अपने संघर्ष से वो इस मुकाम पर पहुंचे हैं. सिकंदर कुमार अनुसूचित जाति वर्ग से हैं और उन्होंने इस वर्ग के लिए बहुत काम किया है, वो पूर्व में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा की सिकंदर कुमार ने राज्यसभा टिकट नहीं मांगी थी, अपितु पार्टी ने खुद उनका चयन किया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने भी डॉक्टर सिकंदर कुमार को इस अवसर पर शुभकामनाएं दीं.
राष्ट्रपति के बेहद करीबी माने जाते हैं डॉ. सिकंदर: डॉ. सिकंदर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बेहद करीबी समझा जाता है. जानकारों के अनुसार डॉ. सिकंदर जितनी बार भी दिल्ली जाते हैं हमेशा राष्ट्रपति निवास जाना होता है. ऐसे में समझा जा रहा है कि उनको राज्यसभा भेजने के पीछे राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसके अलावा उनके वीसी (hpu vc dr sikander kumar ) रहते हुए प्रदेश विश्वविद्यालय में भर्तियों का मामला भी काफी चर्चा में रहा है. भाजपा हिमाचल से पहली बार किसी दलित चेहरे को राज्यसभा भेज रही है, इसका पार्टी को आने वाले चुनावों में कितना लाभ मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी अनुसूचित वर्ग से ही आते हैं.
बावजूद इसके उपचुनावों में भाजपा अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में असफल रही है. हालांकि सुरेश कश्यप ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पंचायती राज चुनावों से की थी और विधायक भी जीत चुके हैं जिसके बाद अब सांसद हैं. इतना राजनीतिक अनुभव होने के बावजूद भी वह अनुसूचित जाति का वोट भाजपा की तरफ आकर्षित करने में नाकाम रहे हैं. अब डॉ. सिकंदर क्या कुछ कर पाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा. राजनीति में रुचि रखने वाले भाजपा के इस फैसले को सही बता रहे हैं इनका कहना है कि राज्यसभा में शिक्षा और कला जगत से जुड़े लोगों का होना जरूरी है. इससे लोकतंत्र को मजबूती मिलती है.
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