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वीरभद्र सिंह का विचार था धर्मांतरण कानून, देश में सबसे पहले हिमाचल में लाया गया था बिल - Former Chief Minister Virbhadra Singh

वीरभद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में साल 2006 में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाया था. ये बिल लाने वाले वीरभद्र सिंह संभवत: देश के पहले मुख्यमंत्री थे. इसी बात को लेकर मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सत्ताधारी दल भाजपा ने भी वीरभद्र सिंह की तारीफ में कसीदे पढ़े थे. अब देश के कई राज्यों में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बन गए हैं.

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Published : Jul 8, 2021, 7:35 PM IST

शिमला: दिग्गज राजनेता वीरभद्र सिंह बेशक कांग्रेस की विचारधारा के पुरजोर समर्थक थे, लेकिन उनकी सोच कई मामलों में बहुत दूरदर्शी थी. जिस धर्मांतरण कानून का इन दिनों बहुत शोर है, उसकी नींव वीरभद्र सिंह ने ही रखी थी. वीरभद्र सिंह धर्मांतरण के खतरों से बाखूबी वाकिफ थे. यही कारण है कि उनके कार्यकाल में हिमाचल देश का पहला राज्य बना था, जहां धर्मांतरण कानून बना था. बेशक बाद में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने नया कानून लाया है, लेकिन इसकी नींव वीरभद्र सिंह ने ही रखी थी. अब हिमाचल में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सात साल की सजा का प्रावधान है. ये कानून लागू हो गया है. बेझिझक कहा जा सकता है कि इसका श्रेय वीरभद्र सिंह को जाता है.

दरअसल, अपने कार्यकाल में वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2006 में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाया था. ये बिल लाने वाले वीरभद्र सिंह संभवत: देश के पहले मुख्यमंत्री थे. इसी बात को लेकर मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सत्ताधारी दल भाजपा ने भी वीरभद्र सिंह की तारीफ में कसीदे पढ़े थे. अगस्त 2019 में जिस समय मानसून सेशन में भाजपा ये बिल लाई थी, उस समय सभी ने एकसुर में ये स्वीकार किया था कि इस बारे में पहल करने का श्रेय वीरभद्र सिंह को ही जाता है.

अगस्त 2019 में जिस समय धर्मांतरण के खिलाफ बिल पर विधानसभा में चर्चा हो रही थी, तब विपक्ष का कहना था कि जब वीरभद्र सिंह के समय में ये बिल लाया गया था तो नया लाने की क्या जरूरत थी. यही नहीं, चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से सभी सदस्यों ने वर्ष 2006 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय लाए बिल के लिए उनकी तारीफ की. सुरेश भारद्वाज ने तो यहां तक कहा था कि जब वीरभद्र सिंह ने ये बिल लाया था तो भाजपा ने उनके निवास होली लॉज जाकर बधाई दी थी.

ये भी पढ़ें: अब यादों में वीरभद्र सिंह, अंतिम क्षणों तक पार्टी के रहे सच्चे 'सिपाही'

भारद्वाज ने वीरभद्र सिंह को धार्मिक प्रवृति का बताया. उन्होंने वीरभद्र सिंह को धर्म के मामले में मजबूत व्यक्तित्व की संज्ञा दी. भाजपा विधायक राकेश जम्वाल ने भी वीरभद्र सिंह की इस बात के लिए तारीफ की थी. यही नहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा था कि वीरभद्र सिंह ने अपने समय में इस बिल को लाकर दूरदर्शिता दिखाई थी. लेकिन उस समय और अब के समय में फर्क है. अब इस कानून को और सख्त करने की जरूरत थी.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर के प्रबल समर्थक थे वीरभद्र सिंह, अयोध्या में चाहते थे भव्य मंदिर का निर्माण

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि जब वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ये कानून बना था तो हमने इस बात का अभिनंदन किया था. सीएम जयराम ठाकुर ने उस समय कहा था कि इस बात में कोई दो राय नहीं कि वर्ष 2006 में तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह द्वारा लाया गया बिल अच्छा था, लेकिन ये भी तथ्य है कि उस बिल के आलोक में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ. अब देश के कई राज्यों में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बन गए हैं. हिमाचल ने इसमें पहल की थी और वीरभद्र सिंह की दूरदर्शी सोच ने इसे इस मुकाम तक पहुंचाया.

ये भी पढ़ें: जन-जन के प्यार की पूंजी समेट अनंत सफर पर निकले राजनीति के राजा, यूं ही नहीं कोई हो जाता है वीरभद्र सिंह

शिमला: दिग्गज राजनेता वीरभद्र सिंह बेशक कांग्रेस की विचारधारा के पुरजोर समर्थक थे, लेकिन उनकी सोच कई मामलों में बहुत दूरदर्शी थी. जिस धर्मांतरण कानून का इन दिनों बहुत शोर है, उसकी नींव वीरभद्र सिंह ने ही रखी थी. वीरभद्र सिंह धर्मांतरण के खतरों से बाखूबी वाकिफ थे. यही कारण है कि उनके कार्यकाल में हिमाचल देश का पहला राज्य बना था, जहां धर्मांतरण कानून बना था. बेशक बाद में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने नया कानून लाया है, लेकिन इसकी नींव वीरभद्र सिंह ने ही रखी थी. अब हिमाचल में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सात साल की सजा का प्रावधान है. ये कानून लागू हो गया है. बेझिझक कहा जा सकता है कि इसका श्रेय वीरभद्र सिंह को जाता है.

दरअसल, अपने कार्यकाल में वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2006 में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाया था. ये बिल लाने वाले वीरभद्र सिंह संभवत: देश के पहले मुख्यमंत्री थे. इसी बात को लेकर मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सत्ताधारी दल भाजपा ने भी वीरभद्र सिंह की तारीफ में कसीदे पढ़े थे. अगस्त 2019 में जिस समय मानसून सेशन में भाजपा ये बिल लाई थी, उस समय सभी ने एकसुर में ये स्वीकार किया था कि इस बारे में पहल करने का श्रेय वीरभद्र सिंह को ही जाता है.

अगस्त 2019 में जिस समय धर्मांतरण के खिलाफ बिल पर विधानसभा में चर्चा हो रही थी, तब विपक्ष का कहना था कि जब वीरभद्र सिंह के समय में ये बिल लाया गया था तो नया लाने की क्या जरूरत थी. यही नहीं, चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से सभी सदस्यों ने वर्ष 2006 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय लाए बिल के लिए उनकी तारीफ की. सुरेश भारद्वाज ने तो यहां तक कहा था कि जब वीरभद्र सिंह ने ये बिल लाया था तो भाजपा ने उनके निवास होली लॉज जाकर बधाई दी थी.

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भारद्वाज ने वीरभद्र सिंह को धार्मिक प्रवृति का बताया. उन्होंने वीरभद्र सिंह को धर्म के मामले में मजबूत व्यक्तित्व की संज्ञा दी. भाजपा विधायक राकेश जम्वाल ने भी वीरभद्र सिंह की इस बात के लिए तारीफ की थी. यही नहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा था कि वीरभद्र सिंह ने अपने समय में इस बिल को लाकर दूरदर्शिता दिखाई थी. लेकिन उस समय और अब के समय में फर्क है. अब इस कानून को और सख्त करने की जरूरत थी.

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि जब वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ये कानून बना था तो हमने इस बात का अभिनंदन किया था. सीएम जयराम ठाकुर ने उस समय कहा था कि इस बात में कोई दो राय नहीं कि वर्ष 2006 में तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह द्वारा लाया गया बिल अच्छा था, लेकिन ये भी तथ्य है कि उस बिल के आलोक में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ. अब देश के कई राज्यों में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बन गए हैं. हिमाचल ने इसमें पहल की थी और वीरभद्र सिंह की दूरदर्शी सोच ने इसे इस मुकाम तक पहुंचाया.

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