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12वीं में CBSE की हिमाचल टॉपर ने नीट में भी किया कमाल, ऑल इंडिया में 400वां रैंक

शिमला की भाव्या ने जहां सीबीएसई की 12वीं कक्षा में भी प्रदेश में टॉप किया था तो वहीं, नीट की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए भाव्या ने ऑल इंडिया में 400 वां रैंक हासिल किया है.

Bhavya sharma achieved first position in NEET exam in himachal
भाव्या शर्मा
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Published : Oct 18, 2020, 10:09 AM IST

शिमलाः नीट प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित हो चुका है. इस परिणाम में भी शिमला की भाव्या ने एक बार फिर से अपना परचम लहराया है. भाव्या ने जहां सीबीएसई की 12वीं कक्षा में भी प्रदेश में टॉप किया था तो वहीं, नीट की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए भाव्या ने ऑल इंडिया में 400वां रैंक हासिल किया है.

भाव्य को सामान्य श्रेणी में 262वां रैंक मिला है. वहीं, इस परीक्षा में भाव्या ने 685 अंक हासिल किए हैं. कोंचिग सेंटर का दावा हैं कि नीट प्रवेश परीक्षा में भी भाव्या ने प्रदेश भर में टॉप किया है.

यह मुकाम भाव्या ने अपनी कड़ी मेहनत से हासिल किया है. 7 से 8 घंटे के पढ़ाई और इस तरह से अपना शेड्यूल बनाना, जिससे पढ़ाई से बोरियत महसूस ना हो यही भाव्या का सफलता का मूल मंत्र रहा है. भाव्या के माता- पिता दोनों डॉक्टर है और उन्हीं के नक्शे कदम पर उनकी बेटी भी चल रही है और उन्हीं के प्रोफेशन को अपनाना चाहती है.

भाव्या का कहना है कि कोविड-19 के बीच जब परीक्षाओं को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी तो उसे पढ़ाई में बहुत फर्क पड़ा. परीक्षा बार-बार पोस्टपोन हो रही थी, जिसके चलते उन्होंने बीच में दो-तीन दिन के लिए पढ़ाई छोड़ दी और फिर दोबारा से फोकस कर पढ़ाई को शुरू किया.

पढ़ाई के दौरान दादा-दादी का उन्हें पूरी सपोर्ट मिला तो वहीं, माता-पिता ने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन दिया.

हालांकि भाव्या ने नीट प्रवेश परीक्षा को लेकर शिमला के ही कोचिंग सेंटर एस्पायर से कोचिंग भी ली. भाव्या का कहना है कि एनसीईआर की बुक्स नीट प्रवेश परीक्षा के लिए मददगार साबित हुई. इसके साथ ही उन्होंने एस्पायर कोचिंग सेंटर शिक्षकों से भी समय-समय पर मार्गदर्शन लिया. वह उनसे ऑनलाइन संपर्क में रहती थी और लगातार उन्हें अपनी परीक्षा से जुड़ी तैयारियों और अपने अंको के बारे में जानकारी देती रही. शिक्षकों ने उन्हें सही गाइडेंस दी. जिसका परिणाम आज सामने है.

एक ओर जहां भाव्या के माता-पिता दोनों ही कोरोना योद्धा की भूमिका निभाते हुए शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो वहीं, बेटी ने नीट प्रवेश परीक्षा में बेहतर रैंक हासिल कर अपने अभिभावकों का नाम रोशन किया है. अपनी इस सफलता का श्रेय भी भाव्या ने माता-पिता के साथ ही अपने शिक्षकों को दिया है.

भाव्या मानती है की आज कल कोविड की वजह से जो स्थिति है, उसकी वजह से माता-पिता को ज्यादा समय अस्पताल में देना पड़ रहा है, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने भाव्या की पढ़ाई और तैयारी पर पूरा ध्यान दिया.

भाव्या के पिता डॉ. राजेश शर्मा आईजीएमसी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है और माता डॉ. वनिता शर्मा माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यभार संभाल रहीं हैं. कोविड संकट के बीच दोनों ही अपनी ड्यूटी अस्पताल में दे रहे हैं.

दोनों ही अपनी बेटी की परफॉर्मेंस से बेहद खुश है. भव्या के पिता का कहना है वह बच्चों को कोविड के इस संकट के बीच अपनी ड्यूटी के चलते कम समय दे पा रहे है. उनकी पत्नी को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यरत होने के चलते लगातार 12 घंटे की ड्यूटी देनी पड़ती है.

भाव्या के पिता ने सभी अभिभावकों को यही संदेश दिया है कि बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव ना रखें. बच्चे जो करना चाहते हैं उसमें उनका पूरा सहयोग दें. तभी वह अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि भव्या पर डॉक्टर बनने का या कुछ और बनने का उन्होंने कभी कोई दवाब नहीं डाला. वह जो बनाना चाहती है, उसके लिए वह भाव्या को पूरा सहयोग करेंगे.

शिमलाः नीट प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित हो चुका है. इस परिणाम में भी शिमला की भाव्या ने एक बार फिर से अपना परचम लहराया है. भाव्या ने जहां सीबीएसई की 12वीं कक्षा में भी प्रदेश में टॉप किया था तो वहीं, नीट की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए भाव्या ने ऑल इंडिया में 400वां रैंक हासिल किया है.

भाव्य को सामान्य श्रेणी में 262वां रैंक मिला है. वहीं, इस परीक्षा में भाव्या ने 685 अंक हासिल किए हैं. कोंचिग सेंटर का दावा हैं कि नीट प्रवेश परीक्षा में भी भाव्या ने प्रदेश भर में टॉप किया है.

यह मुकाम भाव्या ने अपनी कड़ी मेहनत से हासिल किया है. 7 से 8 घंटे के पढ़ाई और इस तरह से अपना शेड्यूल बनाना, जिससे पढ़ाई से बोरियत महसूस ना हो यही भाव्या का सफलता का मूल मंत्र रहा है. भाव्या के माता- पिता दोनों डॉक्टर है और उन्हीं के नक्शे कदम पर उनकी बेटी भी चल रही है और उन्हीं के प्रोफेशन को अपनाना चाहती है.

भाव्या का कहना है कि कोविड-19 के बीच जब परीक्षाओं को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी तो उसे पढ़ाई में बहुत फर्क पड़ा. परीक्षा बार-बार पोस्टपोन हो रही थी, जिसके चलते उन्होंने बीच में दो-तीन दिन के लिए पढ़ाई छोड़ दी और फिर दोबारा से फोकस कर पढ़ाई को शुरू किया.

पढ़ाई के दौरान दादा-दादी का उन्हें पूरी सपोर्ट मिला तो वहीं, माता-पिता ने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन दिया.

हालांकि भाव्या ने नीट प्रवेश परीक्षा को लेकर शिमला के ही कोचिंग सेंटर एस्पायर से कोचिंग भी ली. भाव्या का कहना है कि एनसीईआर की बुक्स नीट प्रवेश परीक्षा के लिए मददगार साबित हुई. इसके साथ ही उन्होंने एस्पायर कोचिंग सेंटर शिक्षकों से भी समय-समय पर मार्गदर्शन लिया. वह उनसे ऑनलाइन संपर्क में रहती थी और लगातार उन्हें अपनी परीक्षा से जुड़ी तैयारियों और अपने अंको के बारे में जानकारी देती रही. शिक्षकों ने उन्हें सही गाइडेंस दी. जिसका परिणाम आज सामने है.

एक ओर जहां भाव्या के माता-पिता दोनों ही कोरोना योद्धा की भूमिका निभाते हुए शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो वहीं, बेटी ने नीट प्रवेश परीक्षा में बेहतर रैंक हासिल कर अपने अभिभावकों का नाम रोशन किया है. अपनी इस सफलता का श्रेय भी भाव्या ने माता-पिता के साथ ही अपने शिक्षकों को दिया है.

भाव्या मानती है की आज कल कोविड की वजह से जो स्थिति है, उसकी वजह से माता-पिता को ज्यादा समय अस्पताल में देना पड़ रहा है, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने भाव्या की पढ़ाई और तैयारी पर पूरा ध्यान दिया.

भाव्या के पिता डॉ. राजेश शर्मा आईजीएमसी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है और माता डॉ. वनिता शर्मा माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यभार संभाल रहीं हैं. कोविड संकट के बीच दोनों ही अपनी ड्यूटी अस्पताल में दे रहे हैं.

दोनों ही अपनी बेटी की परफॉर्मेंस से बेहद खुश है. भव्या के पिता का कहना है वह बच्चों को कोविड के इस संकट के बीच अपनी ड्यूटी के चलते कम समय दे पा रहे है. उनकी पत्नी को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यरत होने के चलते लगातार 12 घंटे की ड्यूटी देनी पड़ती है.

भाव्या के पिता ने सभी अभिभावकों को यही संदेश दिया है कि बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव ना रखें. बच्चे जो करना चाहते हैं उसमें उनका पूरा सहयोग दें. तभी वह अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि भव्या पर डॉक्टर बनने का या कुछ और बनने का उन्होंने कभी कोई दवाब नहीं डाला. वह जो बनाना चाहती है, उसके लिए वह भाव्या को पूरा सहयोग करेंगे.

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