शिमला: भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya mazdoor sangh shimla Protest) के बैनर तले प्रदेश के आशा वर्करों, आंगनबाड़ी वर्करों और कई संगठनों ने सोमवार को शिमला में विशाल रैली निकाली और सचिवालय गेट पर घंटों जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान पूरा दिन शिमला में परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से बाधित रही. मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने सचिवालय गेट पर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया.
इस दौरान पुलिस से हलकी धक्का-मुक्की भी हुई. मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री पर 38 सूत्रीय मांग पत्र को अनदेखा करने और पिछले चार साल से उनकी एक भी मांग पूरी नहीं करने का आरोप लगाया. भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार मजदूर संघ की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है.
उन्होंने कहा कि चार साल पहले मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को 38 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा था लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि मांग पत्र के माध्यम से छोटे कर्मचारियों की समस्या हल करने की अपील की थी. इनमें आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिलाई-कढ़ाई कार्यकर्ताओं और अन्य छोटे कामगारों की समस्याओं पर भारतीय मजदूर संघ ने मांग की थी. उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली और भवन निर्माण और कंपनियों में काम कर रहे मजदूरों की समस्या को हल करने की भी मजदूर संघ ने मांग की है.
पवन राणा ने पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है. इसके अलावा डिब्बाबंद पदार्थों पर लागत मूल्य अंकित करने की भी मांग रखी है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो आने वाले समय में आंदोलन की समीक्षा की जाएगी और फिर से बड़ा आंदोलन किया जाएगा. अगर सरकार को मजदूरों की परवाह नहीं है तो मजदूर भी सरकार से बात करने में कोई रुचि नहीं रखते.
वहीं, मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री यशपाल हेरटा ने कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली (Restoration of old pension in himachal) आज के समय में भारतीय मजदूर संघ की सबसे बड़ी मांग है. समाज में सबको समान अधिकार होने चाहिए. आज के समय में यदि कोई एक दिन के लिए भी विधायक या सांसद बनता है तो उसको पूरी उम्र के लिए पेंशन जारी रहती है लेकिन यदि कर्मचारी पूरी जिंदगी भी नौकरी करता है उसको खाली हाथ घर लौटना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश से मजदूर भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya mazdoor sangh shimla Protest) के बैनर तले इकट्ठा हुए हैं. पे-स्केल को जेसीसी की मीटिंग के माध्यम से लागू किया गया. पे-स्केल देना जेसीसी की मीटिंग का कभी भी हिस्सा नहीं रहे हैं. यह तो मिलना ही होता है और तय समय से मिलना होता है. प्रदेश सरकार ने जेसीसी की मीटिंग (JCC meeting in Shimla) में कर्मचारियों को कुछ नहीं दिया. कर्मचारियों की मुख्य मांगें तो आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सिलाई-कढ़ाई सिखाने कार्यकर्ताओं की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की है, लेकिन प्रदेश सरकार ने इन किसी भी मांगों पर कोई कार्य नहीं किया.
दोपहर बाद प्रदेश राज्य सचिवालय शिमला में भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya mazdoor sangh shimla Protest) अपनी मांगों लेकर धरना-प्रदर्शन किया. बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता सचिवालय गेट के पास एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस बीच कई संघ कार्यकर्ताओं की ओर से गेट खोलने की भी कोशिश की गई. इस दौरान कार्यकर्ताओं व मौजूद पुलिस कर्मियों के बीच धक्का मुक्की हुई.
सचिवालय में चल रहे संघ के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए मुख्य सड़क के गेट को बंद कर दिया गया. इसके चलते संजौली के लिए काफी समय तक यातायात बाधित रहा. इसी दौरान मांगों पर चर्चा के लिए मुख्य सचिव ने मजदूर नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया. मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल भी बैठक में मौजूद रहे. मुख्य सचिव के आश्वासन के बाद संघ ने धरना खत्म किया. इससे पहले संघ कार्यकर्ताओं ने से लिफ्ट से बाया हिमलैंड और टॉलैंड से छोटा शिमला तक विशाल रैली निकाली. टॉलैंड में कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम भी किया.
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