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भाई-बहन का त्योहार भाई दूज, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त

भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं. भाई अपनी बहन को शगुन के रूप में उपहार भेंट करता है.

भाई दूज
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Published : Nov 5, 2021, 12:40 PM IST

शिमला: दीपावली के बाद दूसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जिसका इंतजार हर भाई-बहन को रहता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस दिन बहन के टीका लगाने से भाई की उम्र बढ़ती है और वह निरोगी रहता है. इस त्योहार पर भाई-बहन का प्रेम देखते ही बनता है. इसके अलावा इस दिन को शुभ काम के लिए उत्तम माना जाता है.

भाई दूज की द्वितिया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लगेगीय, जो 6 नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी. इस साल भाई दूज के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. यानि तिलक करने का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 11 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में भाई दूज मनाने से भाई की यश, बल-बुद्धि और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. ऐसा माना जाता है कि बहन के आ जाने मात्र से ही भाई की आरती उतार देने से ही इन चार चीजों में वृद्धि होती है.

भाई दूज के चलते शहर के बाजारों में खासी चहल-पहल देखने को मिल रही है. भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं. भाई अपनी बहन को शगुन के रूप में उपहार भेंट करता है.

भाई दूज के दिन मौत के देवता यमराज का पूजन भी किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से न्यौता लिया था. भाइयों द्वारा बहनों को न्यौता लेने के बाद उपहार दिया जाता और बहनों के हाथों से भोजन ग्रहण किया जाता है.

ये भी पढ़ें: CM जयराम ठाकुर ने प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा की बधाई दी

शिमला: दीपावली के बाद दूसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जिसका इंतजार हर भाई-बहन को रहता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस दिन बहन के टीका लगाने से भाई की उम्र बढ़ती है और वह निरोगी रहता है. इस त्योहार पर भाई-बहन का प्रेम देखते ही बनता है. इसके अलावा इस दिन को शुभ काम के लिए उत्तम माना जाता है.

भाई दूज की द्वितिया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लगेगीय, जो 6 नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी. इस साल भाई दूज के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. यानि तिलक करने का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 11 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में भाई दूज मनाने से भाई की यश, बल-बुद्धि और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. ऐसा माना जाता है कि बहन के आ जाने मात्र से ही भाई की आरती उतार देने से ही इन चार चीजों में वृद्धि होती है.

भाई दूज के चलते शहर के बाजारों में खासी चहल-पहल देखने को मिल रही है. भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं. भाई अपनी बहन को शगुन के रूप में उपहार भेंट करता है.

भाई दूज के दिन मौत के देवता यमराज का पूजन भी किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से न्यौता लिया था. भाइयों द्वारा बहनों को न्यौता लेने के बाद उपहार दिया जाता और बहनों के हाथों से भोजन ग्रहण किया जाता है.

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