शिमला: हिमाचल में सेब का सीजन शुरू (Apple season in himachal) हो चुका है. इस बार सेब की बंपर फसल है, लेकिन सेब की पेटियों के दाम बढ़ने के कारण बागवान शराब की पेटियों में सेब लाकर बेचने को मजबूर हो (Apples in wine boxes in Shimla) गए हैं. जानकारी के मुताबिक सेब का उत्पादन सबसे ज्यादा शिमला जिले में होता है.
पेटियों ओर ट्रे के दाम 18 फीसदी बढ़े: बागवानों की सेब पेटियों और पैकिंग ट्रे के दाम बढ़ने से चिंता बढ़ गई है कि सेब को किस तरह से फल मंडियों में पहुंचाया जाएगा.जानकारी के मुताबिक इस बार सेब की पेटियों और पैकिंग ट्रे के दाम 18 फीसदी तक बढ़ हुए है. बुधवार को शिमला भट्टाकुफर फल मंडी में सेब शराब की पेटियों में भर कर बागवान पहुंचा. इससे आढ़ती भी हैरान रह गए. हालांकि ,सेब की पेटी 500 रुपए में बिकी.
बेचना मुश्किल हो रहा: भट्टाकुफर फल मंडी आढ़ती ज्ञान ठाकुर ने कहा कि शराब की पेटियों में बागवान सेब भर कर ला रहे हैं, अगर बागवान अच्छे हाफ बॉक्स में सेब लाएंगे तो हम उसे बेच पाएंगे. शराब की पेटियों में हम सेब कैसे बेच पाएंगे. पर फिर भी जो बागवान शराब की पेटियों में सेब लाया था उसे 500 रुपए पेटी के हिसाब से दिया गया. बता दें सेब पेटी और पैकिंग ट्रे के दाम इस बार बढ़ गए है.कार्टन और पैकिंग ट्रे की कीमतें बढ़ने से सेब की प्रति पेटी लागत में इजाफा हुआ है.
शिमला में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन: वर्तमान में राज्य में 2.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के (Horticulture sector in Himachal) अधीन है. पिछले चार वर्षों से प्रदेश में 31.40 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन हुआ है. हिमाचल के कुल सेब उत्पादन (Apple production in Himachal) का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. अब प्रदेश सरकार की योजना फल कारोबार को बढ़ाकर 6 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है.
12 लाख लोगों को सेब से रोजगार: हिमाचल प्रदेश में बागवानी क्षेत्र से 12 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है. राज्य में ढ़ाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जा रही है. अब प्रदेश सरकार की योजना फल कारोबार को बढ़ाकर 6 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है. प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में तो फल उत्पादन होता ही है. लेकिन अब प्रदेश सरकार का फोकस निचले इलाके इलाकों में भी किसानों का ध्यान पारंपरिक खेती से हटाकर बागवानी की तरफ लाना है. जिसके लिए विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
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