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रैगिंग से परेशान छात्रों के लिए खुशखबरी, MHRD ने 12 भाषाओं में जारी किया हेल्पलाइन नंबर

प्रदेश के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के साथ ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों को आगामी शैक्षणिक सत्र में संस्थानों में रैगिंग को रोकने के लिए एंटी रैगिंग रेगुलेशन को लागू करना होगा. दरअसल ये निर्देश केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया है.

anti-ragging regulations implement in every education center in shimla
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग
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Published : Dec 20, 2019, 5:05 AM IST

Updated : Dec 20, 2019, 10:17 AM IST

शिमला: प्रदेश के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के साथ ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों को आगामी शैक्षणिक सत्र में संस्थानों में रैगिंग को रोकने के लिए एंटी रैगिंग रेगुलेशन को लागू करना होगा. दरअसल ये निर्देश केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया है.

बता दें कि सभी संस्थानों को यूजीसी की ओर से रैगिंग रोकने के लिए बनाए गए रेगुलेशन 2009 को पूरी तरह से पालन करना होगा, क्योंकि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से ये निर्देश सरकार को जारी किए गए हैं.

वीडियो

जिसके बाद एमएचआरडी के निर्देशों के तहत ही प्रदेश के सभी निजी और सरकारी कॉलेजों के साथ ही सभी विश्वविद्यालय को प्रधान शिक्षा सचिव की ओर से भी रैगिंग रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

बता दें कि यूजीसी की ओर से देशभर के शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक एंटी रैगिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर को12 भाषाओं में भी जारी किया गया है. जिससे वो छात्र जो रैगिंग की घटना से परेशान है, वो किसी भी भाषा में आसानी से अपनी शिकायत हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज करवा सकते हैं.

सभी शिक्षण संस्थानों को अपने-अपने शिक्षण संस्थान में छात्रों को एंटी रैगिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर के बारे में जानकारी देनी होगी. साथ ही अपने प्रोस्पेक्टस में भी रैगिंग रोकने के बारे में यूजीसी की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी देनी होगी.

यूजीसी ने यह स्पष्ट किया है कि रैगिंग एक अपराध है और इसे रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से कार्य किया जाना चाहिए. यही वजह है कि यूजीसी समय-समय पर नई-नई एडवाइजरी रैगिंग को लेकर जारी करता रहता है.

यूजीसी ने निर्देश जारी की है कि सरकार इस बात पर ध्यान दें कि उनके राज्य में सभी शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग रेगुलेशन का पालन सख्ती से किया जा रहा है और जो इन दिशा-निर्देशों के तहत काम नहीं कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जाए.

शिमला: प्रदेश के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के साथ ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों को आगामी शैक्षणिक सत्र में संस्थानों में रैगिंग को रोकने के लिए एंटी रैगिंग रेगुलेशन को लागू करना होगा. दरअसल ये निर्देश केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया है.

बता दें कि सभी संस्थानों को यूजीसी की ओर से रैगिंग रोकने के लिए बनाए गए रेगुलेशन 2009 को पूरी तरह से पालन करना होगा, क्योंकि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से ये निर्देश सरकार को जारी किए गए हैं.

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जिसके बाद एमएचआरडी के निर्देशों के तहत ही प्रदेश के सभी निजी और सरकारी कॉलेजों के साथ ही सभी विश्वविद्यालय को प्रधान शिक्षा सचिव की ओर से भी रैगिंग रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

बता दें कि यूजीसी की ओर से देशभर के शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक एंटी रैगिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर को12 भाषाओं में भी जारी किया गया है. जिससे वो छात्र जो रैगिंग की घटना से परेशान है, वो किसी भी भाषा में आसानी से अपनी शिकायत हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज करवा सकते हैं.

सभी शिक्षण संस्थानों को अपने-अपने शिक्षण संस्थान में छात्रों को एंटी रैगिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर के बारे में जानकारी देनी होगी. साथ ही अपने प्रोस्पेक्टस में भी रैगिंग रोकने के बारे में यूजीसी की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी देनी होगी.

यूजीसी ने यह स्पष्ट किया है कि रैगिंग एक अपराध है और इसे रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से कार्य किया जाना चाहिए. यही वजह है कि यूजीसी समय-समय पर नई-नई एडवाइजरी रैगिंग को लेकर जारी करता रहता है.

यूजीसी ने निर्देश जारी की है कि सरकार इस बात पर ध्यान दें कि उनके राज्य में सभी शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग रेगुलेशन का पालन सख्ती से किया जा रहा है और जो इन दिशा-निर्देशों के तहत काम नहीं कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जाए.

Intro:प्रदेश के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के साथ ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों को आगामी शैक्षणिक सत्र में संस्थानों में रैगिंग को रोकने के लिए एंटी रैगिंग रेगुलेशन को कड़े तौर पर लागू करना होगा। सभी संस्थानों को यूजीसी की ओर से रैगिंग रोकने के लिए बनाए गए रेगुलेशन 2009 को पूरी तरह से पालन करना होगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से यह निर्देश सरकार को जारी किए गए हैं जिसके बाद एमएचआरडी के निर्देशों के तहत ही प्रदेश के सभी निजी और सरकारी कॉलेजों के साथ ही सभी विश्वविद्यालय को प्रधान शिक्षा सचिव की ओर से भी रैगिंग रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।


Body:बता दें कि यूजीसी की ओर से देशभर के शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक एंटी रैगिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। 1800- 180- 5522 नंबर को 12 भाषाओं में जारी किया गया है जिससे कि छात्र जो रैगिंग की घटना से परेशान है वह किसी भी भाषा में आसानी से अपनी शिकायत इस हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज करवा सकें। सभी शिक्षण संस्थानों को जहां अपने-अपने शिक्षण संस्थान में छात्रों को इस एंटी रैगिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर के बारे में जानकारी देनी होगी तो वहीं अपने प्रोस्पेक्टस में भी रैगिंग रोकने के बारे में यूजीसी की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी देनी होगी।


Conclusion:यूजीसी ने यह स्पष्ट किया है कि रैगिंग एक अपराध है और इसे रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से कार्य किया जाना चाहिए। यही वजह है कि यूजीसी समय-समय पर नई-नई एडवाइजरी रैगिंग को लेकर जारी करता रहता है। यूजीसी ने निर्देश जारी की है कि सरकार इस बात पर ध्यान दें कि उनके राज्य में सभी शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग रेगुलेशन का पालन सख्ती से किया जा रहा है और जो इन दिशानिर्देशों के तहत काम नहीं कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जाए। यूजीसी ने निर्देश जारी किए हैं कि इन दिशानिर्देशों का पालन कर अपने राज्यों को रैगिंग फ्री राज्य जल्द से जल्द बनाया जाए।
Last Updated : Dec 20, 2019, 10:17 AM IST
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