शिमला: हिमाचल में सीनियोरिटी को सुपरसीड करके मुख्य सचिव की तैनाती का मामला सुर्खियों में आ (ACS Nisha Singh controversy) गया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह ने सीनियोरिटी को सुपरसीड करने से जुड़े मामले में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को अपना केस रिप्रेजेंट करते हुए शिकायती पत्र लिखा (ACS Nisha Singh letter to the Governor) है. गौरतलब है कि हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने रामसुभग सिंह को मुख्य सचिव के पद से हटाकर आरडी धीमान को यह जिम्मेदारी दी थी.
इसके अलावा निशा सिंह व संजय गुप्ता को भी अहम पदों से हटाकर प्रधान सलाहकार जैसे पदों पर तैनाती (chief secretary controversy in Himachal) दी, जहां कोई फाइल वर्क नहीं होता. वहीं, एसीएस रैंक के अफसर संजय गुप्ता व निशा सिंह इससे खासे नाराज हैं और राज्यपाल को शिकायती पत्र लिखा है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी हिमाचल में सीनियोरिटी को सुपरसीड करके मुख्य सचिव बनाया गया था. वीरभद्र सिंह के शासनकाल में वीसी फारका को मुख्य सचिव बनाया गया था. तब उनसे सीनियर अफसरों को सुपरसीड किया गया था। जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही वीसी फारका को हटा दिया था.
फिलहाल, सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में ये विवाद फिर से उभर आया है. निशा सिंह ने राज्यपाल को शिकायत की है. निशा सिंह ने कहा है कि उनकी सीनियोरिटी का मजाक हुआ है. गौरतलब है कि निशा सिंह को अगस्त महीने में प्रधान सलाहकार (ट्रेनिंग एंड फॉरेन अफेयर्स) लगाया गया था. उससे पूर्व उन्होंने सीएम जयराम ठाकुर को भी पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उनकी भूमिका और जिम्मेदारी को स्पष्ट किया जाए.
उसके बाद सरकार ने ट्रेनिंग एंड फॉरेन अफेयर्स को लेकर रोल एंड रिस्पांसिबिलिटी का ब्यौरा दिया था. इस समय आरडी धीमान मुख्य सचिव हैं और वे दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे. वहीं, पूर्व सीएस रामसुभग सिंह व उनकी पत्नी निशा सिंह दोनों 1987 बैच के आईएएस अफसर हैं. उनके बाद संजय गुप्ता का नंबर आता है. वे 1988 बैच के आईएएस अफसर हैं. फिलहाल, राजभवन में पत्र पहुंचने की पुष्टि वहां के प्रशासन ने की है.
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