शिमला: 15 अप्रैल 1948 को अस्तित्व में आए हिमाचल ने एक लंबा सफर तय किया है. इस दौर में हिमाचल की पंचायतों ने भी एक लंबा सफर तय करके एक मुकाम (Achievement of Panchayati Raj System in Himachal) हासिल किया है. भारत में पंचायतों को देश की आत्मा बोलते हैं और पंचायत प्रतिनिधियों को पंच परमेश्वर, देवभूमि हिमाचल में केवल पंच ही परमेश्वर नहीं हैं, बल्कि नारी शक्ति के प्रतिनिधित्व के रूप में यहां परमेश्वरी भी पंच बनकर देश की आत्मा को निखार रही हैं. ये सुखद बात है कि पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj System in Himachal) में महिलाओं को 50% आरक्षण देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. इससे भी बढक़र अचरज ये है कि हिमाचल प्रदेश में पंचायतों में महिला प्रतिनिधियों का प्रतिशत 53 फीसदी से अधिक है. यही नहीं, विशेष रूप से महिलाओं के लिए ग्राम सभाएं आयोजित करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं की विशेषताओं को जानना दिलचस्प होगा.
हिमाचल में 'पंचायत राज' : हिमाचल प्रदेश के कुल 12 जिलों में इस समय 3615 पंचायतें हैं. इसके अलावा 81 पंचायत समितियां और 12 जिला परिषद हैं. निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या की बात करें तो हिमाचल में ग्राम पंचायत स्तर पर इस समय 28699, पंचायत समिति के 1696 और जिला परिषद के कुल 249 प्रतिनिधि हैं.
उपलब्धियां : हिमाचल प्रदेश को खुले में शौच मुक्त बनाने की बात हो या धुआं मुक्त करके एलपीजी युक्त बनाने की, केंद्र की योजनाओं को सिरे चढ़ाने में पंचायतों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. इसके अलावा मनरेगा से लेकर, स्वच्छ भारत मिशन, आवास योजनाओं से लेकर हर घर नल जैसी तमाम योजनाओं का लाभ जन-जन पहुंचाने में हिमाचल की पंचायतों का अहम योगदान रहा है.
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पढ़ी लिखी पंचायतें और आधी आबादी की भागीदारी : पिछले पंचायत चुनाव की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में पंचायतों में 980 प्रतिनिधि मास्टर डिग्री होल्डर चुनकर आए हैं. इसके अलावा 2254 प्रतिनिधि ग्रेजुएट, 13 हजार से अधिक प्रतिनिधि मैट्रिक पास हैं. निरक्षर प्रतिनिधियों की संख्या केवल 571 है. लैंगिक समानता की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में पिछले चुनाव में 53.3 फीसदी महिला उम्मीदवार जीत कर आई हैं. यही नहीं, पंचायतों में 15450 महिला प्रतिनिधि जीत कर आई हैं, जबकि पुरुष प्रतिनिधियों की संख्या 13550 है. सुखद तथ्य ये है कि पिछले चुनाव में कुल नामांकन का 46 फीसदी महिलाओं ने दाखिल किया था, लेकिन उनका जीत का प्रतिशत 53 फीसदी से अधिक रहा.
हिमाचल की पंचायतों में एक और महत्वपूर्ण बात है. यहां 275 प्रतिनिधि आयकर देने वाले हैं, वहीं, बीपीएल परिवारों से 2922 प्रतिनिधि हैं. पंचायतों में 81 फीसदी प्रतिनिधि गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों से संबंध रखते हैं.
हिमाचल की ई-पंचायत : हिमाचल प्रदेश ई-पंचायत प्रणाली (e-panchayat system in himachal pradesh) लागू करने वाला देश का पहला राज्य है. अब हिमाचल प्रदेश में पंचायतों में परिवार रजिस्टर ऑनलाइन है. पंचायत रजिस्टर में अब तक होती आई मैनुअल एंट्री पूरी तरह से बंद हो चुकी है. मौजूदा समय में तयशुदा सॉफ्टवेयर पर पंचायत खाते में अपना नाम कोई भी देख सकता है. जयराम सरकार ने सभी पंचायतों में पंचायत खातों को ऑनलाइन कर दिया है. पंचायत के खातों को अब ऑनलाइन सॉफ्टवेयर प्रिया सॉफ्ट पर ही भरना होता है. राज्य सरकार ने सभी पंचायतों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने रिकार्ड और ऑडिट के लिए प्रिया सॉफ्ट में एंट्री करें. व्यवस्था की गई है कि प्रिया सॉफ्ट में एंट्री के बाद खाते की एक कॉपी पंचायतें अपने रिकार्ड में रखेंगी. इससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है. पहले ये आरोप लगते थे कि पंचायत में परिवार खातों व अन्य रिकार्ड में ओवर राइटिंग की जाती है, इस प्रक्रिया से ये आरोप भी नहीं लग पाएंगे. यहां बता दें कि पंचायत खातों में छेड़छाड़ को लेकर पंचायती राज विभाग को हाईकोर्ट में पेश होना पड़ा था. जयराम सरकार ने सत्ता में आने के बाद ई-पंचायत को तेजी से लागू करने का काम किया। इस साल अप्रैल महीने के बाद से पंचायत में सारे खाते हर महीने प्रिया सॉफ्टवेयर में ही रिकार्ड हो रहे हैं.
मनरेगा से जोड़ा पर्यटन, देश भर में छा गई मुरहाग पंचायत : हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की मुरहाग पंचायत इस समय देश भर में चर्चा का केंद्र बनी हुई है. यहां पंचायत में मनरेगा के सहयोग से पर्यटन पार्क विकसित किया गया है. अब यहां दूर-दूर से सैलानी सैर के लिए आते हैं. मुरहाग पंचायत में चार बीघा जमीन पर सुंदर पार्क बनाया गया है. यहां हिमाचल के पारंपरिक व्यंजन के स्टॉल और साथ ही एक मंदिर भी है.
पर्यटन के मद्देनजर सवा करोड़ की लागत से बने इस पार्क को खूब सजाया गया है. बच्चों के खेलने के लिए कई आकर्षण हैं. मंडी जिला में पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से मनरेगा के तहत पर्यटन गतिविधियां विकसित की जा रही हैं. सुंदरनगर की चमुखा पंचायत को ग्राम पंचायत डवलपमेंट प्लान को लेकर देश में प्रथम स्थान मिला है. इससे पहले हमीरपुर जिला की किपटल पंचायत को जीपीडीपी अवार्ड मिल चुका है. किपटल पंचायत की बागडोर महिला प्रधान मीरा देवी के हाथ है. पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने इस पंचायत को ये अवार्ड दिया था. वहीं, धर्मशाला के समीपवर्ती बगली पंचायत की प्रधान शालिनी देवी न केवल खुद खेती-बाड़ी में कुशल हैं, बल्कि अपनी पंचायत की महिलाओं की आर्थिक दशा सुधार रही हैं. मंडी जिला की ही युवा पंचायत प्रधान जबना चौहान ने अपनी पंचायत में कई सुधार कार्य किए थे.
चमुखा पंचायत ने पेश किया विकास का नया मॉडल: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी का विकास खंड सुंदरनगर राष्ट्रीय मानचित्र पर एक मॉडल (Himachal model of development) बन कर सामने आया है. इसके तहत ग्राम पंचायत चमुखा के हर घर को छूती हुई सड़कें, हर घर में नल और स्वच्छ पेयजल, पंचायत के लोगों को शत प्रतिशत रोजगार सहित अन्य विकासात्मक कार्यों के दम पर इसे ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) के तहत 'हमारी पंचायत हमारी योजना' (Hamari Panchayat Hamari Yojana) में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश में अव्वल स्थान मिला है. इस योजना के तहत प्रदेश में 15 लाख का नकद पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र पंचायत है. चमुखा पंचायत 2020-21 में करीब 40 लाख रुपये की राशि से करवाए कार्यों की अदायगी भी ऑनलाइन करने वाली प्रदेश की पहली पंचायत है. पंचायत में 14वें वित्त आयोग द्वारा प्राप्त राशि को पूरी तरह से खर्च कर दिया गया है और 15वां वित्त आयोग प्रदेश भर में सबसे पहले यहां शुरू किया गया है.
स्टार होटलों को टक्कर देता पंदरेहड़ पंचायत का भवन : कांगड़ा जिले के नूरपुर ब्लॉक की पंदरेहड़ पंचायत की इमारत देखें तो लगता ही नहीं कि ये पंचायत की बिल्डिंग है. ये इमारत किसी स्टार होटल को टक्कर देती है. यहां सीसीटीवी कैमरों से लेकर लोगों के ठहरने की व्यवस्था तक है. यहां सामुदायिक भवन, सिलाई सेंटर, बच्चों के खेलने के लिए मैदान भी पंचायत की ओर से बनाया गया है. मनरेगा के पैसे से 56 वाटर टैंक बनाकर सिंचाई की सुविधा दी गई है. बड़ी बात है कि पंचायत के विकास कार्यों की एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म भी तैयार की गई है.
हिमाचल में मनरेगा और पंचायती राज : मनरेगा में हिमाचल ने जो भी उपलब्धि हासिल की है उसमें पंचायतों (manrega and panchayati raj in himachal) का बड़ा योगदान है. खासकर कोरोना काल में जब देशभर में लॉकडाउन लगा और फिर एक बड़ी आबादी शहरों से गांवों की तरफ पलायन कर गई. जब कई लोगों का रोजगार छिन गया, उस वक्त मनरेगा कई परिवारों के लिए संजीवनी साबित हुई. उस दौरान हिमाचल प्रदेश में सरकार ने भी ऐलान किया था कि जिन लोगों का रोजगार छिन गया है, वो भी मनरेगा में दिहाड़ी के लिए अप्लाई कर सकते हैं. निजी खेतों में कृषि कार्य करने को भी मनरेगा में गिने जाने का ऐलान किया गया.
हिमाचल सरकार के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि राज्य में पंचायती राज व्यवस्था में निरंतर बेहतरी के प्रयास जारी हैं. कोविड काल में मनरेगा के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी गई थी. वर्ष 2020 में मार्च महीने में हिमाचल में भी लॉकडाउन लग गया था. सारी गतिविधियां थम गई तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए मनरेगा आगे आया.
वर्ष 2020 में जब अनलॉक पीरियड शुरू हुआ को मई, जून और जुलाई महीने में सरकार की आशा से कहीं अधिक बढक़र लोगों ने मनरेगा में रोजगार हासिल किया. हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग ने मई 2020 में अनुमान लगाया था कि मनरेगा के तहत 31 लाख से कुछ अधिक कार्य दिवस बनेंगे, लेकिन मई में 32 लाख, 89 हजार, 412 दिहाडिय़ां लगीं. इसी तरह जून 2020 में सरकार की तरफ से संभावित दिहाड़ी की संख्या 49 लाख, 43 हजार, 724 थी, परंतु रिकार्ड तोड़ आंकड़ा सामने आया और 79 लाख, 61 हजार, 349 लाख दिहाड़ी बनीं. इसी तरह जुलाई 2020 में पिछले सारे रिकार्ड टूट गए. संभावित एक करोड़, 24 लाख ,75 हजार,133 कार्य दिवस यानी दिहाड़ी की तुलना में करीब करीब सवा करोड़ दिहाड़ी बनीं. फिर अगस्त 2020 में भी 1.60 करोड़ व सितंबर महीने में 1.94 करोड़ दिहाड़ी मनरेगा के तहत लगी. मनरेगा के तहत साल में सौ दिन का रोजगार देना होता है. यदि कोई ग्रामीण रोजगार मांगता है और एक पखवाड़े के भीतर उसे काम न मिले तो बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है.
हिमाचल में 'पंचायतों का राज'
हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है जहां पंचायती राज व्यवस्था अन्य कई राज्यों के मुकाबले काफी सुदृढ़ है. हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1952 से पहले यहां सिर्फ 280 ग्राम पंचायत थी.
- थ्री टियर व्यवस्था के तहत हिमाचल प्रदेश में इस वक्त 3615 ग्राम पंचायतें, 81 पंचायत समितियां और 12 जिला परिषद हैं.
- पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. तय सीटों से भी अधिक पर महिलाएं जीतती हैं. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला दिवस पर महिला ग्राम सभाओं जैसे आयोजन करवाए जाते रहे हैं.
- अधिकतर प्रत्याशी पढ़े लिखे हैं और युवा भी चुने जा रहे हैं. मंडी जिले की जबना चौहान साल 2016 में देश की सबसे कम उम्र की प्रधान चुनी गई. उस वक्त उनकी उम्र 21 साल थी. प्रधान बनने के बाद उन्होंने अपनी पंचायत में शराबबंदी लागू की थी. इसी तरह 21 साल की उम्र में प्रज्ज्वल बस्टा शिमला की जुब्बल कोटखाई पंचायत समिति से पंचायत समिति अध्यक्ष बनीं थी.
- हिमाचल प्रदेश को सबसे पहले खुले में शौच मुक्त बनाने की बात हो या धुआं मुक्त और एलपीजी युक्त, केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को सिरे चढ़ाने में पंचायती राज संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहता है.
- मौजूदा समय में हर घर नल पहुंचाने की बात हो या घर-घर बिजली पहुंचाने की, पंचायती राज संस्थाओं की भी इसमें अहम भूमिका रही है.
- इसके अलावा मनरेगा, वाटरशेड, स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, हिमाचल प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, इंदिरा आवास योजना और राजीव आवास योजना, महिलाओं और बच्चों से संबंधित विभिन्न योजनाओं समेत तमाम मोर्चों पर भी पंचायती राज व्यवस्था डटी है.
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