शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से इस बार पीजी कोर्सेज में छात्रों को प्रवेश मेरिट के आधार पर दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से पीजी कोर्सेज में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम नहीं करवाई जा रही है, जिसका छात्र संगठन विरोध कर रहे हैं.
छात्रों का मनाना है कि एचपीयू अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ रहा है. हर साल प्रवेश परीक्षाओं की मेरिट के आधार पर ही छात्रों को पीजी कोर्सेज में दाखिला दिया जाता है. इस बार एचपीयू कोविड-19 का बहाना बनाकर प्रवेश परीक्षाएं ना करवाने की बात कह रहा है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी एचपीयू के इस फैसले के खिलाफ है. छात्र संगठन मांग कर रही है कि एचपीयू प्रशासन छात्रों की पीजी कोर्सेज की परीक्षाएं करवाएं. एबीवीपी के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने कहा कि एचपीयू प्रशासन पीजी कोर्सेज में इस बार मेरिट के आधार पर छात्रों को प्रवेश देने जा रहा है, जो कि पहले प्रवेश परीक्षाओं के आधार पर दिया जाता है. इस बार एचपीयू प्रवेश परीक्षाएं करवाने से टाल रहा है जो कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से छात्रों को अपनी काबलियत दिखाने का मौका मिलता है. जो छात्र बेहतर अंक प्रवेश परीक्षाओं में हासिल करता है उसी को दाखिला में प्राथमिकता मिलती है लेकिन अब प्रवेश परीक्षाएं ना होने से छात्रों को यह मौका नहीं मिलेगा.
एबीवीपी ने यह भी कहा कि एचपीयू ने जब कोविड के संकट के बीच में ही यूजी और पीजी की परीक्षाएं करवाई है, तो प्रवेश परीक्षाएं करवाने में एचपीयू को परेशानी क्यूं हो रही है. विश्वविद्यालय को प्रवेश परीक्षाएं करवानी चाहिए और उसका परिणाम भी जल्द से जल्द घोषित कर छात्रों को प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर ही प्रवेश देना चाहिए. इससे सभी छात्रों को प्रवेश का समान अवसर मिलेगा.
उन्होंने कहा कि अभी 30 अक्टूबर तक का समय एचपीयू के पास है. ऐसे में एचपीयू को यह तर्क नहीं देना चाहिए कि समय कम होने के चलते यह प्रवेश परीक्षाएं नहीं हो सकती है. उन्होंने एचपीयू कुलपति से यह मांग की है कि वह अपने फैसले को बदले और पीजी कोर्सेज में प्रवेश परीक्षाएं करवा कर उसकी मेरिट के आधार पर ही छात्रों को प्रवेश दें.