शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश सूचना का अधिकार (Himachal Pradesh Right to Information)अधिनियम का बड़ा उपयोग करता है. यहां सूचना मांगने के लिए जनता हर साल 60 हजार से अधिक आवेदन करती है. इस समय हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के पद को लेकर चर्चा जोरों पर है. मौजूदा CIC नरेंद्र चौहान इस महीने रिटायर हो रहे हैं. नए CIC के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 6 जून थी. इसी महीने चयन कमेटी की बैठक प्रस्तावित है. पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार के समय CIC का पद सवा साल से ज्यादा खाली रहा था. ऐसे में देखना है कि जब हिमाचल की जनता सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति इतनी जागरूक है तो इस पद को लेकर समय पर नियुक्ति होती है या नहीं. फिलहाल यहां पर हिमाचल में सूचना के संसार की रोचक बातें जानना जरूरी है.
सूचना का अधिकार अधिनियम 2006 में शुरू हुआ: हिमाचल प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2006 में शुरू हुआ. 16 साल पहले जब ये अधिनियम लागू हुआ तो पहले साल केवल 2654 लोगों ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए सूचना मांगी. बाद में ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता रहा. अब हर साल 50 से 60 हजार आवेदन आते हैं. हिमाचल में आरटीआई कानून ने पूरी तरह से 2006-07 में काम करना शुरू किया. उस साल राज्य में सूचना हासिल करने के लिए कुल 2654 आवेदन आए. वहीं,2011-12 में सबसे अधिक 72191 आवेदन आए.
साल | आवेदन |
2006-07 | 2,654 |
2007-08 | 10,105 |
2008-09 | 17,869 |
2009-10 | 43.835 |
2011-12 | 72,191 |
2012-13 | 61,202 |
2013-14 | 63,722 |
2014-15 | 50.675 |
2015-16 | 46,430 |
2016-17 | 60,104 |
2017-18 | 59,529 |
2018-19 | 64,233 |
RTI कमाई का जरिया भी: आरटीआई के तहत सूचना हासिल करने के लिए निर्धारित शुल्क अदा करना पड़ता है. हिमाचल प्रदेश में जब से अधिनियम लागू हुआ है 1.60 करोड़ रुपए से अधिक आवेदन शुल्क जमा हुआ. वर्ष 2011-12 में सबसे अधिक 19.56 लाख रुपए शुल्क आवेदन कर्ताओं ने जमा कराया. उसके बाद 2018-19 में 19 लाख, दो हजार 362 रुपए आवेदन शुल्क जमा हुआ. लोग हाईकोर्ट से भी सूचनाएं मांगते हैं.
प्रियंका वार्डा का मामला रहा सबसे चर्चित: हिमाचल में आरटीआई के तहत सबसे चर्चित मामला कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा का रहा है. एक आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने प्रियंका वाड्रा के छराबड़ा स्थित मकान की भूमि के सौदे को लेकर जिलाधीश कार्यालय शिमला से सूचना मांगी थी.प्रियंका ने खुद के एसपीजी प्रोटेक्टी होने के नाते सूचना देने में असमर्थता जताई थी. डीसी ऑफिस ने भी टालमटोल की थी. बाद में आवेदनकर्ता सूचना आयोग पहुंचा. आयोग ने डीसी शिमला को सारी सूचना मुहैया करवाने के आदेश दिए. इस पर प्रियंका वाड्रा हाईकोर्ट में चली गई. हाईकोर्ट ने सूचना आयोग के फैसले पर स्थगन आदेश दिया. इसके बाद भी सूचना आयोग ने मामले पर सुनवाई जारी रखी. प्रियंका वाड्रा ने हाईकोर्ट में अवमानना मामला दाखिल किया. बाद में तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त भीमसेन व सूचना आयुक्त केडी बातिश ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सुनवाई जारी रखने पर बिना शर्त माफी मांगी थी.