शिमला: उपचुनाव में मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह द्वारा कारगिल के युद्ध को छोटी लड़ाई करार देने वाले विवादित बयान पर राजनीति गरमा गई है. नाचन विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक रैली में प्रतिभा सिंह ने कहा कि भाजपा के लोग यह कह रहे हैं कि कांग्रेस ने रजवाड़ों को ही टिकट दिया है और हम आम जनता की बात करते हैं, ऐसा नहीं है. भाजपा ने फौजी को टिकट इसलिए दिया कि उन्होंने कारगिल युद्ध में भाग लिया. कारगिल युद्ध कोई बहुत बड़ा युद्ध नहीं था. वह हमारी धरती थी, जिस पर पाकिस्तानियों ने कब्जा किया था. उनको खदेड़ने व हटाने की बात कही थी.
प्रतिभा सिंह द्वारा कारगिल युद्ध पर दिए बयान के बाद बीजेपी की ओर से हमले तेज हो गए हैं. भाजपा के स्टार प्रचारक और सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार को करसोग विधानसभा क्षेत्र के केलोधार में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह द्वारा कारगिल युद्ध पर बीते दिन दिए गए बयान पर सवाल उठाए. जयराम ठाकुर ने कहा कि मुझे बहुत विचित्र लगा जब प्रतिभा सिंह ने कारगिल को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि वह किसी के बारे में व्यक्तिगत नहीं बोलते हैं, लेकिन प्रतिभा सिंह ने कल जो कहा उससे दुख पहुंचा. कारगिल में हमारे हिमाचल के 52 जवान शहीद हुए और इस युद्ध को छोटी सी लड़ाई कहा जा रहा है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सैनिक सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी ने कारगिल युद्ध को लेकर बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बयान दिया. सुरेश कश्यप ने कहा कि प्रतिभा सिंह तो कारगिल को युद्ध मानने को भी तैयार नहीं हैं. सुरेश कश्यप ने कहा कारगिल की लड़ाई में हमारे देश के 527 जवानों ने शहादत पाई है. इस युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने वीरगति पाई है, जिनमें कैप्टन विक्रम बत्रा सहित अनेकों भारत माता के सपूतों ने परम शौर्य का परिचय देते हुए अपनी जान इस माटी के लिए न्यौछावर कर दी.
सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी बयान देती हैं कि कारगिल का युद्ध कोई बड़ा युद्ध नहीं था. उन्होंने पूछा कि ऐसा कौन सा युद्ध आजतक हमारे देश ने लड़ा गया, जिसमें हमारी सेना दूसरे देश में जाकर लड़ी हो. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रतिभा सिंह का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. यह शहीदों का अपमान है.
कारगिल युद्ध में सूबे के 52 वीर जवान हुए हैं शहीद: कारगिल युद्ध में हिमाचल के करीब 52 सैनिकों ने शहादत पाई थी. युद्ध के बाद देश भर के 73 जवानों ने वीरता पुरस्कार हासिल किए थे. इनमें हिमाचल के 7 जवान भी शामिल थे, जबकि 53 सैनिकों को वीर चक्र प्रदान किए गए. हिमाचल के हमीरपुर के कश्मीर सिंह, बिलासपुर के उद्यम सिंह, शिमला से श्याम सिंह और ऊना से कैप्टन अमोल कालिया को वीर चक्र से नवाजा गया. कारगिल युद्ध में मिले दो युद्ध सेवा मेडल में एक युद्ध सेवा मेडल मंडी जिले के ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) खुशाल सिंह ठाकुर ने हासिल किया जो कि वर्तमान में भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा दस महावीर चक्र, चार उत्तम सेवा मेडल भी प्रदान किए गए.
परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा और सूबेदार संजय कुमार: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर के समीप घुग्गर से संबंध रखने वाले विक्रम बत्रा 6 दिसंबर 1997 को जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुए. दो साल बाद ही उन्हें प्रमोट कर कैप्टन रैंक दी गई. कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में पांच सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट जीतने में अहम रोल निभाया था. भारत के लिए ये पांच पॉइंट जितना बेहद अहम था क्योंकि पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ा जा सके.
कैप्टन विक्रम बत्रा ने हर पॉइंट जीतने में अहम भूमिका निभाई. कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा अपने एक साथी को बचाते-बचाते शहीद हो गये. कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़े एक वाकये को उनके साथी ने साझा करते हुए कहते हैं कि जब भी विक्रम बत्रा गोलियों से दुश्मनों को भून देते थे तो वह कहते 'ये दिल मांगे मोर'. 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान वीरता के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा को भारत के सर्वोच्च सम्मान मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
कारगिल युद्ध में सर्वोच्च वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार संजय कुमार ने 4 और 5 जुलाई 1999 के दौरान अपने अदम्य साहस का परिचय दिया. कारगिल युद्ध के दौरान एरिया फ्लैट टॉप पर कब्जा करने में संजय कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. संजय कुमार का जन्म 3 मार्च 1976 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में हुआ था.
संजय कुमार की तैनाती कारगिल में मास्को वैल्यू पॉइंट पर थी. यहां दुश्मन ऊपर से लगातार हमले कर रहा था. संजय ने अपने 11 साथियों में से दो को गंवा दिया था, जबकि आठ गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस परिस्थिति में भी संजय ने दुश्मनों का कड़ा मुकाबला किया और एक समय ऐसा भी आया जब उनके राइफल की गोलियां खत्म हो गईं. तीन गोली लगने के बावजूद संजय कुमार ने अपने मिशन में कामयाबी हासिल की. उन्होंने आमने-सामने की मुठभेड़ में तीन दुश्मन सैनिकों को भी मार गिराया.
कारगिल युद्ध में हमीरपुर जिले से आठ सैनिकों ने शहादत पाई. ऊहल गांव के 14 जैक रेजिमेंट से हवलदार कश्मीर सिंह और कक्कड़ गांव के 14 जैक रेजिमेंट से हवलदार राजकुमार पांच जून को शहीद हुए. ऊहल गांव के तृतीय पंजाब रेजिमेंट से सिपाही दिनेश कुमार 17 जून को शहीद हो गए थे, बड़सर के समलेहड़ा के 12 ग्रिनेडियर के हवलदार स्वामी दास चंदेल तीन जुलाई को शहीद हुए थे.
सुजानपुर के बीड़ बगेहड़ा से 27 राजपूत रेजिमेंट के सिपाही राकेश कुमार ने पांच जुलाई को शहादत का जाम पिया. बड़सर के सुनाहनी से 3 जैक रेजिमेंट के प्रवीन कुमार छह जुलाई को शहीद हुए. पंचायत अमरोह के ठनियानका गांव से 28 आरआर रेजिमेंट के सुनील कुमार 18 जुलाई को शहीद हुए थे. बड़सर के बरोटी से 13 जैक रेजिमेंट के दीप चंद छह जुलाई को शहीद हुए थे.
तीन जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सुपूत को हिमाचल के कुल्लू जिले के आनी क्षेत्र के शकरोली गांव वाले आज भी फख्र से याद करता है. पाकिस्तानियों की ओर से घुसपैठ हो रही थी तो उसे रोकने के लिए ऑपरेशन 'विजय' में शहीद डोला राम सहित तीन सैनिकों को उनकी काबिलियत और अदम्य साहस को देखते हुए सियाचिन की चोटी पर दुश्मनों की पोजिशन पर नजर रखने के लिए भेजा गया.
डोला राम अपने दोनों साथियों सहित चोटी पर चढ़े तो उन्होंने देखा कि वहां पर नजदीक में ही बने एक बंकर में पाकिस्तानी घुसपैठियों की हलचल बढ़ रही है. उन्होंने बिना समय गंवाए बंकर पर हमला बोल दिया. बंकर में उन्होंने 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया और इस बीच उनके सीने पर दुश्मनों ने पांच गोलियां दाग दीं. इससे वे देश के लिए कुर्बान हो गए और उन्होंने आपरेशन 'विजय' की सियाचिन की गाथा लिख डाली. डोला राम एक बेहतर बॉक्सर के साथ-साथ पर्वतारोही थे.
कारगिल में हिमाचल के इन जवानों ने दिया सर्वोच्च बलिदान: कांगड़ा जिले से कै. विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र), सौरभ कालिया, बजिंद्र सिंह, राकेश कुमार, वीर सिंह, अशोक कुमार, सुनील कुमार, लखवीर सिंह, ब्रह्मदास, जगजीत सिंह, संतोख सिंह, सुरेंद्र सिंह, पदम सिंह, सुरजीत सिंह, योगेंद्र सिंह कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे.
जिला मंडी से दीपक गुलेरिया, खेम चंद राणा, कृष्ण चंद, सरवण कुमार, टेक सिंह मस्ताना, राकेश कुमार चौहान, नरेश कुमार, हीरा सिंह, पूर्ण चंद, गुरदास सिंह, मेहर सिंह, अशोक कुमार.
जिला बिलासपुर-उधम सिंह (वीर चक्र), मंगल सिंह, विजय पाल, राजकुमार, अश्वनी कुमार, प्यार सिंह, मस्तराम.
जिला शिमला-यशवंत सिंह, श्याम सिंह (वीर चक्र), नरेश कुमार, अनंतराम.
जिला ऊना-अमोल कालिया (वीर चक्र), मनोहर लाल.
जिला सोलन के शहीद-धर्मेंद्र सिंह, प्रदीप कुमार.
जिला सिरमौर के शहीद-कुलविंद्र सिंह, कल्याण सिंह (सेना मेडल).
जिला चंबा के शहीद-खेम राज.
जिला कुल्लू के शहीद-डोला राम.
ये भी पढ़ें- हिमाचल की हिम केयर योजना बनी 'गरीब केयर योजना', 56 टेस्ट होते हैं फ्री