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कम बारिश से 401 पेयजल योजनाएं और हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित, तैयार की जाएगी कार्य योजना

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Published : Apr 18, 2021, 12:01 PM IST

मुख्य सचिव अनिल खाची ने प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति की संभावना से निपटने के लिए विभिन्न जिलों की तैयारियों की समीक्षा के लिए वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से उपायुक्तों से बातचीत की. उन्होंने कृषि, बागवानी और संबद्ध विभागों को निर्देश दिए कि स्थिति से निपटने के लिए जिला स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाए. प्रदेश के कुल 413134 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 146508 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिससे 10820.57 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.

कम बारिश से 401 पेयजल योजनाएं प्रभावित
कम बारिश से 401 पेयजल योजनाएं प्रभावित

शिमलाः इस बार कम बारिश होने के कारण प्रदेश के कुल 413134 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 146508 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिससे 10820.57 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार सर्वाधिक नुकसान बिलासपुर जिले में हुआ है.

जहां कुल 28020 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 20280 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. इस तरह जिले में 3259.37 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है. चंबा जिले में 3571 हेक्टेयर फसल भूमि को नुकसान हुआ है, जिससे 815.58 लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है. इसी प्रकार अन्य जिलों में भी फसल क्षेत्र को नुकसान होने की जानकारी मिली है.

जिला स्तर पर कार्य योजना करें तैयार

जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव अनिल खाची ने प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति की संभावना से निपटने के लिए विभिन्न जिलों की तैयारियों की समीक्षा के लिए वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से उपायुक्तों से बातचीत करते हुए कृषि, बागवानी और संबद्ध विभागों को निर्देश दिए कि स्थिति से निपटने के लिए जिला स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाए.

कम बारिश होने से जल शक्ति विभाग की योजनाएं प्रभावित

खाची ने कहा कि कम बारिश होने से जल शक्ति विभाग की भी विभिन्न योजनाएं प्रभावित हुई हैं. विभाग की कुल 9526 योजनाओं में से 401 योजनाओं को 25 प्रतिशत तक, 197 योजनाओं को 25 से 50 प्रतिशत तक, 87 योजनाओं को 50 से 75 प्रतिशत तक जबकि 28 योजनाओं को 75 प्रतिशत से अधिक क्षति हुई है.

उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए जल शक्ति विभाग को सम्बन्धित क्षेत्रों में जल आपूर्तिकर्ता चिन्हित कर परिवहन की दरें निर्धारित करनी चाहिए, ताकि आवश्यकता होने पर प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति की जा सके.

कम वर्षा होने के कारण कृषि को नुकसान

उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में पेयजल आपूर्ति सामान्य है, लेकिन इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि मौसम की परिस्थितियों पर नजर बनाए रखने के लिए समूहों का गठन किया जाए और कृषि विभाग को मौसम व फसल की स्थिति पर डेटा एकत्र करना चाहिए, ताकि राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को सहायता प्रदान की जा सके.

प्राकृतिक जल स्रोतों की सफाई की जाए

उन्होंने हैंड पम्पों से जल निष्कासन को रोकने के लिए इनकी मुरम्मत करने और सभी पारम्परिक व निजी जल स्रोतों के उचित रख-रखाव के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल स्रोतों की समुचित सफाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कार्य में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता भी सुनिश्चित बनाई जाए. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को जल संरक्षण के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- 'कोरोना काल में हुआ करोड़ों का घोटाला

शिमलाः इस बार कम बारिश होने के कारण प्रदेश के कुल 413134 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 146508 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिससे 10820.57 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार सर्वाधिक नुकसान बिलासपुर जिले में हुआ है.

जहां कुल 28020 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 20280 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. इस तरह जिले में 3259.37 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है. चंबा जिले में 3571 हेक्टेयर फसल भूमि को नुकसान हुआ है, जिससे 815.58 लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है. इसी प्रकार अन्य जिलों में भी फसल क्षेत्र को नुकसान होने की जानकारी मिली है.

जिला स्तर पर कार्य योजना करें तैयार

जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव अनिल खाची ने प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति की संभावना से निपटने के लिए विभिन्न जिलों की तैयारियों की समीक्षा के लिए वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से उपायुक्तों से बातचीत करते हुए कृषि, बागवानी और संबद्ध विभागों को निर्देश दिए कि स्थिति से निपटने के लिए जिला स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाए.

कम बारिश होने से जल शक्ति विभाग की योजनाएं प्रभावित

खाची ने कहा कि कम बारिश होने से जल शक्ति विभाग की भी विभिन्न योजनाएं प्रभावित हुई हैं. विभाग की कुल 9526 योजनाओं में से 401 योजनाओं को 25 प्रतिशत तक, 197 योजनाओं को 25 से 50 प्रतिशत तक, 87 योजनाओं को 50 से 75 प्रतिशत तक जबकि 28 योजनाओं को 75 प्रतिशत से अधिक क्षति हुई है.

उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए जल शक्ति विभाग को सम्बन्धित क्षेत्रों में जल आपूर्तिकर्ता चिन्हित कर परिवहन की दरें निर्धारित करनी चाहिए, ताकि आवश्यकता होने पर प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति की जा सके.

कम वर्षा होने के कारण कृषि को नुकसान

उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में पेयजल आपूर्ति सामान्य है, लेकिन इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि मौसम की परिस्थितियों पर नजर बनाए रखने के लिए समूहों का गठन किया जाए और कृषि विभाग को मौसम व फसल की स्थिति पर डेटा एकत्र करना चाहिए, ताकि राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को सहायता प्रदान की जा सके.

प्राकृतिक जल स्रोतों की सफाई की जाए

उन्होंने हैंड पम्पों से जल निष्कासन को रोकने के लिए इनकी मुरम्मत करने और सभी पारम्परिक व निजी जल स्रोतों के उचित रख-रखाव के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल स्रोतों की समुचित सफाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कार्य में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता भी सुनिश्चित बनाई जाए. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को जल संरक्षण के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए.

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