पांवटा साहिब: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद कैडर के अधीन कार्यरत करीब 4700 अधिकारी, कर्मचारी पिछले 24 वर्षों से विभाग में विलय की राह देख रहे हैं. शुक्रवार शाम जिला परिषद कर्मचारी अधिकारी महासंघ पांवटा साहिब अध्यक्ष विनोद ठाकुर की अध्यक्षता में पांवटा ब्लॉक अधिकारी (Zilla Parishad cadre Paonta Sahib) को ज्ञापन दिया और उनके समक्ष अपनी मांगें रखी ताकि सरकार उनकी और ध्यान भी दे. जिला परिषद कर्मचारी/अधिकारी महासंघ पावंटा अध्यक्ष विनोद ठाकुर, महासचिव रंगील सिंह आदि ने बताया कि इस कैडर के अधीन पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक, कनिष्ट अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता, लेखापाल कर्मचारी आते हैं.
बहुत लम्बे अन्तराल के बाद नियमितीकरण होने पर भी जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को अन्य विभागों की तरह स्थाई सरकारी कर्मचारियों (government employees in himachal) की तर्ज पर सुविधाएं व वित्तीय लाभ नहीं दिए जा रहे हैं, जबकि जिला परिषद कैडर में सभी कर्मचारी, अधिकारी पंचायती राज व ग्रामीण विकास विभाग का कार्य कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार के वित विभाग द्वारा जिला परिषद कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ देने से इस लिए इनकार कर दिया गया कि जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते हैं, जबकि जिला परिषद कर्मचारी अधिकारियों का वेतन हिमाचल प्रदेश सरकार की "ग्रांट इन एड" से ही जारी किया जाता है.
इतनी लम्बी सेवाओं के बाबजूद भी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग का कार्य बखूबी निभाने के उपरांत भी यदि हमे सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं लिया जाता तो यह हमारे लिए बहुत ही दुःखद विषय है. इसलिए सभी जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों को पंचायती राज या फिर ग्रामीण विकास विभाग में नियुक्ति की तारीख से विलय किया जाए. क्योंकि 15-06-1984 की अधिसूचना NO-Pch-HB(2)-1/84 दिनांक 01/06/1984 से पंचायत समिति के तहत काम कर रहे पंचायत सचिवों को भी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में नियुक्ति की तारीख से विलय किया गया था.
महासंघ का कहना है कि इसी अधिसूचना के तर्ज पर समस्त जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों को पूर्व की सभी सेवा अवधि और वरिष्ठता को यथावत रखते हुए पंचायती राज अथवा ग्रामीण विकास विभाग में नियुक्ति की तारीख से विलय करने करें. यदि सरकार उक्त मागों को 15 मई 2022 के भीतर नहीं मानती तो जिला परिषद के सभी कर्मचारी को पेन डाउन स्ट्राइक पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.