रोनहाट/सिरमौर: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य की सीमा टोंस नदी पर प्रस्तावित बहुउद्देश्य किशाऊ बांध परियोजना की डीपीआर बनने से पहले ही स्थानीय ग्रामीण इसके विरोध में उतर आए हैं.
ग्रामीणों ने बांध निर्माण के निरीक्षण करने पहुंचे परियोजना महाप्रबंधक को इसके बारे में ज्ञापन सौंपा. बांध के निर्माण पर अपना ऐतराज जताते हुए ग्रामीणों का कहना है कि पुनर्वास के लिए वे कभी तैयार नहीं होंगे.
वहीं, जानकारी देते हुए किशाऊ बांध परियोजना के महाप्रबंधक डीके गर्ग ने बताया की ग्रामीणों ने उन्हें अपनी सभी मांगों से अवगत करवाया है. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों की सभी मागों को सर्वमान्य बताया.
डीपीआर को तैयार करने का काम शुरू
उन्होंने कहा कि वर्तमान में बहुउद्देशीय किशाऊ बांध परियोजना की डीपीआर को तैयार करने का काम किया जा रहा है. निर्माण की प्रक्रिया इसके बाद शुरू होनी है. उनका मानना है कि परियोजना की जांच और सर्वेक्षण सम्बंधित गतिविधियों में उन्हें सभी ग्रामीणों का सहयोग प्राप्त होगा. बता दें कि वर्ष 2008 में जब इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था तो उस समय इसके निर्माण में आने वाला कुल खर्च करीब 10 हजार करोड़ अनुमानित किया गया था.
परियोजना का खर्च बढ़ाकर 11 हजार 500 करोड़
वर्ष 2018 में बढ़ाकर 11 हजार 500 करोड़ किया गया था. वर्तमान में किशाऊ बांध परियोजना के निर्माण के लिए 15 हजार करोड़ की अनुमानित लागत के आधार पर डीपीआर बनाने का कार्य किया जाना है. किशाऊ बांध से हिमाचल प्रदेश के 8 गांव और उत्तराखंड के 9 गांव सहित दोनों राज्यों के 14 उपगांव जलमग्न हो जायेंगे.
660 मेगावाट विद्युत उत्पादन
बांध बनने से 660 मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता वाले इस बांध की ऊंचाई लगभग 236 मीटर होगी. 2011 की जनगणना के मुताबिक बांध के डूब क्षेत्र से विस्थापन के बाद पुनर्वास की जाने वाली जनसंख्या में उत्तराखंड राज्य के 3406 और हिमाचल प्रदेश के 2092 लोग शामिल है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में अटल आदर्श विद्यालय योजना का हाल-बेहाल, 3 साल में बनने थे 25, सिर्फ 3 जगह शुरू हुआ कार्य
81300 हरे पेड़, 631 लकड़ी के मकान, 171 पक्के मकान, 632 संयुक्त परिवार, 508 एकल परिवार, 8 मंदिर, 2 अस्पताल, 10 विधालय, 62 ग्राम पंचायत, 2 दर्जन सड़क मार्ग सहित अनेकों लघु सिंचाई एवं पेयजल योजनाए भी इस बांध की जद में आना तय है. किशाऊ बांध के जलाशय से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सहित कुल 6 राज्यों की 97076 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की जाएगी.
ये भी पढ़ेंः बारिश नहीं होने से हमीरपुर में सूखे की स्थिति, सरकार से किसानों की सहायता करने की मांग