नाहन: सरकार भेड़ पालकों के द्वार कार्यक्रम के तहत समय-समय पर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जागरूक एवं प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर भेड़ पालकों को जहां मेडिकल किटें वितरित की जाती हैं तो वहीं, उन्हें पेश आने वाली समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है.
इसी कड़ी में जिला मुख्यालय नाहन में भी सरकार भेड़ पालकों के द्वार कार्यक्रम के तहत भेड़ पालक जागरूक एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. शहर के समीप (Sheep Farmer Awareness Camp in Nahan) कंडी रेस्ट हाउस में किन्नौर, कांगड़ा, शिमला व सिरमौर जिले के भेड़ पालकों के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. जबकि हिमाचल भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नाहन के विधायक डॉ राजीव बिंदल इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे.
दरअसल कार्यक्रम में प्रदेश के 4 जिलों से पहुंचे भेड़ पालकों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई, तो वहीं उन्हें इस व्यवसाय में पेश आ रही समस्याओं का भी समाधान किया गया. वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर व विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने इस बीच 150 भेड़ पालकों को निशुल्क मेडिकल किट भी वितरित की.
मीडिया से बात करते हुए वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने कहा कि प्रदेश की जयराम सरकार ने पहली बार भेड़ बकरियों के स्वास्थ्य के लिए 1 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया, जोकि बहुत बड़ी राहत है. आने वाले समय में भी यह बजट घटेगा नहीं, बल्कि ओर बढ़ेगा. इससे भी भेड़ पालकों को बड़ा सहारा मिलेगा. त्रिलोक कपूर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश की जयराम सरकार में भेड़ पालकों के लिए जो प्रयास किए गए वह इससे पहले कभी नहीं हुए. जब-जब भाजपा की सरकार आती है, तब-तब भेड़ पालकों के लिए कल्याण के लिए कार्य किया जाता है. भाजपा सरकार भेड़ पालकों की चिंता करती है, लेकिन कांग्रेस ने कभी इस दिशा में प्रयास नहीं किए. कांग्रेस ने केवल स्वार्थ की राजनीति कर वोट बैंक के लिए ही इनका इस्तेमाल किया.
वहीं, विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि प्रदेश के भेड़ पालकों के कल्याण के लिए (Sheep Farmer Awareness Camp in Nahan) सरकार प्रयासरत है. जिसके तहत कई कार्य किए जा रहे हैं. वन विभाग के माध्यम से भी भेड़ पालकों को जानकारियां दी जा रही हैं. उन्होंने भेड़ पालकों से जंगलों को सुरक्षित रखने का आह्वान किया, क्योंकि जंगल बचेंगे, तो हम बचेंगे और जंगल बचेगा तो भेड़ बचेगी. यही भाव लेकर जंगल का दोहन करना है शोषण नहीं करना है. यही महत्वपूर्ण जानकारी आज भेड़ पालकों को देने का प्रयास किया गया.
उन्होंने कहा कि भेड़ पालकों का (sheep farming in himachal) जीवन सफल हो, इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है. बता दें कि भेड़ पालक अपनी आजीविका के लिए प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों से चारागाह के लिए मैदानी क्षेत्रों में आते हैं और वर्ष भर कठिन जीवन व्यतीत करते हैं. लिहाजा इस तरह के आयोजन सभी भेड़ पालकों की समस्याओं को सुनने के इरादे से ही आयोजित किए जाते हैं.
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