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माजरा में 70 साल से हो रहा रामलीला का मंचन, अन्य राज्यों के कलाकार देते हैं प्रस्तुति - रामलीला

माजरा में पिछले 70 सालों से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. रामलीला के बाद दशहरा मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाता है और उसके अगले दिन दंगल का आयोजन किया जाता है.

ramleela organised from 70 years in paonta sahib
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Published : Oct 5, 2019, 12:54 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के माजरा में पिछले 70 सालों से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. स्वर्गवासी रामनारायण ने साल1947 में पहली बार माजरा में रामलीला शुरू की थी, उस समय परिवहन सुविधा न होने के बावजूद भी दूर-दूर से लोग यहां रामलीला देखने आते थे.

वहीं, स्वर्गवासी रामनारायण के बाद अब इस रामलीला का आयोजन लाला प्रेम चंद अग्रवाल पिछले 60 सालों से करवा रहे हैं. माजरा में मनाए जाने वाले दशहरे की खास बात ये है कि रामलीला मंचन करने वाले अधिकतर कलाकार बाहरी राज्यों के होते हैं.

वहीं, दशहरे के लिए रावण और मेघनाद आदि के पुतले बनाने के लिए भी कारीगर उत्तर प्रदेश से बुलाए जाते हैं. रामलीला के बाद दशहरा मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाता है और उसके अगले दिन दंगल का आयोजन किया जाता है. दंगल में, उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड राज्यों से पहलवान आतें हैं.

श्री रामलीला दशहरा कमेटी के प्रधान लाला प्रेम चंद आग्रवाल ने कहा कि रामलीला के आयोजन करने से युवाओं को प्राचीन धार्मिक सनातन धर्म की जानकारी मिलती है. साथ ही कहा कि लोगों में अपने धर्म के प्रति रुचि भी बढ़ती है.

प्रधान लाला प्रेम चंद आग्रवाल ने बताया कि महंगाई की वजह से रामलीला के आयोजन मे 5 लाख रुपये का खर्च आता है. जिसके लिए स्थानीय लोगों व कंपनियों से चंदा एकत्रित किया जाता है.

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के माजरा में पिछले 70 सालों से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. स्वर्गवासी रामनारायण ने साल1947 में पहली बार माजरा में रामलीला शुरू की थी, उस समय परिवहन सुविधा न होने के बावजूद भी दूर-दूर से लोग यहां रामलीला देखने आते थे.

वहीं, स्वर्गवासी रामनारायण के बाद अब इस रामलीला का आयोजन लाला प्रेम चंद अग्रवाल पिछले 60 सालों से करवा रहे हैं. माजरा में मनाए जाने वाले दशहरे की खास बात ये है कि रामलीला मंचन करने वाले अधिकतर कलाकार बाहरी राज्यों के होते हैं.

वहीं, दशहरे के लिए रावण और मेघनाद आदि के पुतले बनाने के लिए भी कारीगर उत्तर प्रदेश से बुलाए जाते हैं. रामलीला के बाद दशहरा मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाता है और उसके अगले दिन दंगल का आयोजन किया जाता है. दंगल में, उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड राज्यों से पहलवान आतें हैं.

श्री रामलीला दशहरा कमेटी के प्रधान लाला प्रेम चंद आग्रवाल ने कहा कि रामलीला के आयोजन करने से युवाओं को प्राचीन धार्मिक सनातन धर्म की जानकारी मिलती है. साथ ही कहा कि लोगों में अपने धर्म के प्रति रुचि भी बढ़ती है.

प्रधान लाला प्रेम चंद आग्रवाल ने बताया कि महंगाई की वजह से रामलीला के आयोजन मे 5 लाख रुपये का खर्च आता है. जिसके लिए स्थानीय लोगों व कंपनियों से चंदा एकत्रित किया जाता है.

Intro:70 सालो से रामलीला का किया जा रहा है माजरा में आयोजन
माजरा में कई साल स्थानीय युवाओं के द्वारा भी रामलीला का आयोजन किया गया

माजरा में कई वर्षों से मुरादाबाद, मेरठ, बरेली के कलाकार आकर रामलीला करते हैंBody:
माजरा में पिछले लगभग 70 सालो से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है स्वर्गवासी रामनारायण जी ने वर्ष 1947 में पहली बार माजरा में रामलीला शुरू की थी उस समय परिवहन सुविधा न होने के बावजूद भी दूर दूर से लोग आते थे वहीं मौजूदा समय में
लाला प्रेम चंद अग्रवाल पिछले 60 सालो से रामलीला का आयोजन करवा रहे है



वही रामलीला के बाद दशहरे के मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाता है और उसके अगले दिन दंगल का आयोजन किया जाता है जिसमें जीतने वाले को माली का पुरस्कार से नवाजा जाता है।इस दंगल में हरियाणा, उत्तरप्रदेश,पंजाब,उत्तराखंड राज्यो से पहलवान आते है

दशहरे के दौरान 40-50 फुट के रावण के पुतले का दहन किया जाता है जिसे बनाने बाहर के कारीगर आते है वहीं सुंदर आतिशबाज़ी का भी आयोजन किया जाता है ।

श्री रामलीला दशहरा कमेटी के प्रधान लाला प्रेम चंद आग्रवाल जी ने कहा कि रामलीला के आयोजन करने से आज कल के युवाओं को हमारी प्राचीन धार्मिक सनातन धर्म की जानकारी मिलती है वहीं लोगों में अपने धर्म के प्रति रुचि होती है

परन्तु इन दिनों महंगाई के समय में रामलीला आयोजन करने का खर्च लगभग 4-5 लाख रुपया हो जाता है जिसके लिए स्थानीय लोगों व कम्पनियों से चंदा एकत्रित किया जाता है।Conclusion:
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